दिल्ली के जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय में रविवार को हुई हिंसा के बाद सोमवार को साबरमती हॉस्टल वार्डन आर मीना ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा है कि हमने बहुत कोशिश की लेकिन इसके बावजूद भी हम छात्रों को सुरक्षा प्रदान नहीं कर पाए। आर मीना ने अपने इस्तीफे में लिखा, मैं बताना चाहता हूं कि मैं साबरमती हॉस्टल के सीनियर वार्डन पद से इस्तीफा दे रहा हूं। क्योंकि हमने कोशिश की लेकिन इसके बाद भी छात्रावास को सुरक्षा प्रदान नहीं करा सके”
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JNU में रविवार को दर्जनों नकाबपोशों द्वारा कैंपस में तोड़-फोड़ और छात्रों-शिक्षकों के साथ की गई बर्बरता के बाद JNUSU की अध्यक्ष आईशी घोष और प्रोफेसर सुचरिता सेन समेत करीब 3 दर्जन छात्र छात्राएं घायल हुए थे, जिन्हें एम्स ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया था। सोमवार को साबरमती हॉस्टल वार्डन आर मीना की ओर से लिखा हुआ एक लैटर सामने आया है। जिसमें उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देने की बात की है।
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उधर JNU हिंसा के बाद यूनिवर्सिटी के कुलपति एम जगदेश कुमार ने छात्रों से शांति बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने कहा, ‘सभी छात्रों से शांति बनाए रखने की अपील की जाती है। यूनिवर्सिटी अकादमिक गतिविधियों को आगे बढ़ाने की सुविधा प्रदान करने के लिए सभी छात्रों के साथ है। हम इस बात को सुनिश्चित करेंगे कि उनका शीतकालीन सत्र पंजीकरण बिना किसी बाधा के पूरा होगा।
उन्होंने कहा, ‘छात्रों को पंजीकरण प्रक्रिया के बारे में डरने की जरूरत नहीं है। हमारे छात्रों के शैक्षणिक हितों की रक्षा करना विश्वविद्यालय की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
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बता दें कि JNU के बाहर अभी भी भारी मात्रा में पुलिस बल तैनात है। हिंसा के बाद छात्र छात्राएं हॉस्टल छोड़ रहे हैं। उधर मुंबई, लखनऊ और हैदराबाद समेत देश की कई बड़ी यूनिवर्सिटी के छात्र JNU में हुई हिंसा के विरोध में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं। जिसके चलते यूपी समेत कई जिलों में अलर्ट जारी कर सभी बड़े विश्वविद्यालयों के बाहर भारी मात्र में अर्ध-सैनिक बलों को तैनात किया गया है।
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रविवार को दिल्ली की जवाहर लाल नेहरु यूनिवर्सिटी के परिसर में घुसकर लाठी और डंडों से लैस कुछ नकाबपोशों ने छात्रों और शिक्षकों के साथ मरपीट की थी। इस दौरान JNU छात्र संघ की अध्यक्ष आयशी घोष बुरी तरह जख्मी हो गई थीं। आयशी ने बताया था कि साबरमति हॉस्टल में कुछ नकाबपोशों ने उन्हें बुरी तरह से पीटा। इस हमले में JNU की प्रोफ़ेसर सुचरिता सेन भी बुरी तरह से घायल हुई थीं। इस हमले में दर्जनों छात्र भी घायल हुए थे, जिन्हें एम्स और सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
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JNU की एक विद्वान ने बताया था, “रविवार दोपहर के बाद से ही भीड़ इकठ्ठा हो रही थी। दोपहर के समय अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के करीब 30 लोग विवेकानंद की मूर्ती के सामने इकठ्ठा हुए। उन सभी के हाथ में लाठी, डंडे और हॉकी स्टिक थे। वे सभी नारे लगा रहे थे। हर कोई डरा हुआ है। हमें हॉस्टल के अंदर रहने के लिए कहा गया था।”
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सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुई थी, जिसमें दर्जनों नकाबपोश यूनिवर्सिटी कैंपस के अंदर हाथ में डंडे, हॉकी और हथियार लेकर घुसते दिख रहे हैं। इन लोगों ने अंदर घुसने से पहले वहां मौजूद स्ट्रीट लाइट को भी बंद कर दिया था। जिस समय नकाबपोश कैंपस में घुस रहे थे, उस समय वहां मौजूद पुलिस सब कुछ खड़े हुए देख रही थी। इसके अलावा हमले के समय कैंपस के सभी गार्ड भी नदारद दिखे।
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