पुलवामा हमले के बाद जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था और चाकचौबंद कर दी गई है। खबरों के मुतबाकि, बड़े पैमाने पर अर्धसैनिक बलों को घाटी में भेजा गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गृह मंत्रालय ने अर्द्धसैनिक बलों की 100 कंपनियों को घाटी में भेजा है। इसमें सीआरपीएफ की 35, बीएसएफ की 35, एसएसबी की 10 और आईटीबीपी की 10 कंपनियां शामिल हैं।
वहीं शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों के बड़े नेता यासीन मलिक को गिरफ्तार किया गया था। यासीन मलिक जम्मू-कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट का प्रमुख है। खबरों के अनुसार, घाटी में पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है।
इससे पहले 21 फरवरी को 18 हुर्रियत नेताओं और 160 राजनीतिज्ञों को दी गई सुरक्षा वापस ले ली थी। पुलवामा हमले के बाद सख्त कदम उठाते हुए 22 अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा भी वापस हो ले ली गई थी।
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घाटी में लगातार आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं। अब तक अलग-अलग ऑपरेशन में सेना ने जैश-ए-मोहम्मद समेत कई दूसरे संगठनों के आतंकवादियों को मार गिराया है। पुलवामा के पिंगलेना गांव में सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने जैश-ए-मोहम्मद के कमांडर कामरान उर्फ गाजी राशिद समेत तीन आतंकियों को मार गिराया था। सुरक्षा बलों ने दावा किया था कि कामरान वही आतंकी था, जिसने 14 फरवरी को पुलवामा आतंकी हमले की साजिश रची थी। 17 फरवरी को यह मुठभेड़ शुरू हुआ था और करीब 18 घंटे बाद 18 फरवरी को यह मुठभेड़ खत्म हुआ था। वहीं इस कार्रवाई में एक मेजर समेत पांच जवान शहीद हो गए थे। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक डीआईजी रैंक के अधिकारी और सेना के एक ब्रिगेडियर भी घायल हुए थे।
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