झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने राज्य के किसानों द्वारा 31 मार्च 2020 तक लिए गए 50 हजार रुपये तक के कर्ज को माफ कर दिया है। बुधवार की शाम हुई कैबिनेट मीटिंग में इसके लिए कृषि ऋण माफी योजना को मंजूरी दे दी गई। इसके कार्यान्वन के लिए 2000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इससे करीब 9 लाख किसानों को फायदा होगा और वे अपने कर्ज से मुक्त हो जाएंगे। पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों से पहले राज्य सरकार में शामिल तीनों पार्टियों झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने मतदाताओं से यह वादा किया था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने अपनी जनसभाओं में यह बात जोर देकर कही थी कि उनकी सरकार बनने के बाद किसानों का कर्ज माफ कर दिया जाएगा। अब अपनी सरकार की पहली सालगिरह से ठीक पहले यह निर्णय लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने राजनीतिक विरोधियों को कड़ा जवाब दे दिया है।
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हाल के दिनों में कई व्यक्तिगत आरोप झेल रहे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का यह फैसला राजनीति के उस हेलिकाप्टर शाट की तरह है, जिसमें गेंद वापस पाने के लिए विपक्ष के पास इंतजार ही एकमात्र विकल्प बचेगा। झारखंड सरकार ने 355.27 करोड़ रुपये के प्रावधान के साथ मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना और 100 करोड़ की झारखंड राज्य फसल राहत योजना को भी मंजूरी दी है। झारखंड सरकार में कांग्रेस कोटे से शामिल कृषि मंत्री बादल पत्रलेख इससे काफी उत्साहित हैं। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार सिर्फ वादे ही नहीं करती, उसे पूरा करने का इरादा भी रखती है। बकौल बादल पत्रलेख, राज्य कैबिनेट द्वारा पारित तीनों योजनाएं किसानों की मुश्किलें कम करने में सहायक साबित होंगी और उनकी समृद्धि का रास्ता खुलेगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने चुनाव से पहले किसानों कर्ज माफी का वादा किया था लेकिन अचानक आए कोरोना संकट के कारण इसे लागू कराने में कुछ महीने का वक्त लग गया।
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कैसे होगी कर्ज माफी
कैबिनेट सचिव अजय कुमार सिंह ने बताया कि कृषि ऋण माफी योजना का लाभ उन किसानों को मिलेगा, जिनके लोन खाते अभी चालू हैं। मतलब उनमें लोन के किस्त जमा किए जा रहे हैं। एनपीए खातों वाले किसानों को इसका फायदा उठाने के लिए अपने बंद पड़े खाते चालू (स्टैंडर्ड) कराने होंगे। उसमें कुछ भी ट्रांजिक्शन होने के बाद वे कर्ज माफी के हकदार हो जाएंगे।
कैबिनेट सचिव के मुताबिक राज्य के करीब 9 लाख किसानों को इससे फायदा होगा। आवेदन शुल्क के बतौर हर किसान एक रुपये की टोकन राशि देंगे। सारी प्रक्रिया आनलाइन होगी। कर्ज माफी का पैसा डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से सीधे बैंक खातों में जाएगा। इसके लिए हर परिवार से सिर्फ एक किसान ही पात्र होंगे। इसके लिए उन्हें अपने राशन कार्ड का भी ब्योरा देना होगा ताकि परिवारों की पहचान संभव हो सके।
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कितने किसान हैं कर्जदार
झारखंड में कुल 12 लाख 93 हजार किसानों ने कर्ज लिया है। इनमें से 3000 किसानों ने 2 लाख या उससे अधिक, 5681 किसानों ने 1.51 लाख से 2 लाख, 53184 किसानों ने एक से डेढ़ लाख, 446000 किसानों ने 51 हजार से एक लाख रुपये, 425681 किसानों ने 25 से 50 हजार और 359000 किसानों ने 25000 से कम रुपये का कर्ज लिया है। इनमें से 9 लाख किसानों के बैंक खाते स्टैंडर्ड यानी चालू हैं। बैंकों से प्राप्त जानकारी के आधार पर राज्य सरकरा ने ये आंकड़े जारी किए हैं।
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29 दिसंबर को पहली सालगिरह
गौरतलब है कि आगामी 29 दिसंबर को राज्य की हेमंत सोरेन सरकार अपने कार्यकाल का एक साल पूरा करने वाली है। इसके लिए व्यापक तैयारियां की जा रही हैं। झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि सरकार ने हर मोर्चे पर बेहतर प्रदर्शन किया है। अब धीरे-धीरे उन वादों को पूरा किया जा रहा है, जो हमने चुनाव लड़ते वक्त किए थे। हम अपने वादों को लेकर हमेशा से गंभीर रहे हैं।
बकौल राजेश ठाकुर, जहां एक ओर दिल्ली के बोर्डर पर किसानो का आंदोलन चल रहा है, वे ठंडी रातों मे भी सड़को पर सोने को मजबूर कर दए गए हैं, वहीं झारखंड सरकार किसानों के चेहरे पर खुशी लाने का जतन कर रही है। भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व की केंद्र सरकार और हमारी गठबंधन सरकार में यही फर्क है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां कारपोरेट घरानों को खुश करने में लगे हैं, वहीं हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार किसानों का भला सोच रही है।
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