मुसलमानों के हालिया ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा के लिए जमीयत उलेमा ए हिन्द का सम्मेलन देवबंद में शुरू हो गया है। यह सम्मेलन उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के कस्बे देवबंद में आयोजित किया जा रहा है। सम्मेलन मौलाना महमूद मदनी की अध्यक्षता में आयोजित किया जा रहा है। इसमें कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है। इस सम्मेलन में लगभग 5000 उलेमा और मुस्लिम बुद्धिजीवी शामिल हों रहे हैं। अब तक सम्मेलन में 2000 के आसपास उलेमा जुट चुके हैं। इस दो दिवसीय सम्मेलन का मकसद मौजूदा दौर में देश के मुसलमानों के समाजिक, राजनैतिक, धार्मिक हालातों पर रणनीति बनाना है और साथ ही ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा की शाही ईदगाह को लेकर चल रहे विवाद पर चर्चा भी होने की उम्मीद है। सम्मेलन में भारी तादाद में पुलिस तैनात की गई है।
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सम्मेलन का संचालन जमीयत उलेमा ए हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कर रहे हैं। इसमें पश्चिम बंगाल सरकार के कई मंत्री भी शिरकत करने पहुंचे हैं। इसके अलावा कई मुस्लिम बुद्धिजीवी भी इसमें शामिल हो रहे हैं। इस सम्मेलन के लिए ईदगाह के पांच बीघा मैदान में कवर्ड पंडाल लगाया गया और यहीं पर एक मंच भी बनाया गया है। बाहर से आए हुए लोगों के लिए विशेष इंतजाम भी किए गए हैं।
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मौलाना महमूद मदनी की अध्यक्षता में होने जा रहे इस सम्मेलन में देश में मुसलमानों के मौजूदा हालात पर चर्चा होगी। इसके अलावा देश में कई मस्जिदों को लेकर चल रहे विवाद, यूनिफॉर्म सिविल कोड, मुस्लिमों की शिक्षा और वक्फ समेत कई अन्य मुद्दों पर विचार-विमर्श होगा। चर्चा के बाद जमीयत के कुछ एजेंडों पर भी विमर्श होगा और सम्मेलन के आखिरी दिन यानी कल रविवार को देश के ताजा हालात को देखते हुए कुछ प्रस्ताव भी पारित किए जाने की उम्मीद है।
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जमीयत उलेमा-ए-हिंद के मौलाना मूसा कासमी के अनुसार यह सम्मेलन तीन चरणों में आयोजित किया जाएगा। पहले दो चरण शनिवार को होंगे और तीसरा चरण रविवार को आयोजित होगा। इस तीसरे चरण में जमीयत सम्मेलन में आए लोगों के सामने कई प्रस्ताव भी लाएंगी। जमीयत के इस सम्मेलन की रूपरेखा 15 मार्च को दिल्ली में हुए एक कार्यक्रम में तय हुईं थीं। सम्मेलन में देशभर से आने वाले उलेमाओं और मुस्लिम बुद्धिजीवी की सुरक्षा को लेकर सहारनपुर प्रशासन की ओर से विशेष इंतजाम भी किए गए हैं।
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जमियत उलेमा-ए-हिन्द के प्रदेश उपाध्यक्ष मौलाना फुरकान असदी ने कहा है कि इस समय देश में जिस तरह से मुस्लिमों के सामने तमाम धार्मिक और राजनीतिक संकट खड़े हुए हैं। देश में बढ़ती सांप्रदायिक घटनाएं और कॉमन सिविल कोड का मुद्दा उठाया जा रहा है। इन्हीं सारे मुद्दों को लेकर हमने देवबंद में बैठक बुलाई है। उन्होंने कहा कि काशी-मथुरा के मुद्दे पर हम अपना स्टैंड पहले साफ कर चुके हैं कि उसे सड़क का मुद्दा न बनाए जाए, लेकिन जिस तरह से एक के बाद एक मुस्लिम धार्मिक स्थलों को टारगेट किया जा रहा है। ऐसे में जमियत इस मसले पर भी एक प्रस्ताव लेकर आएगी।
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हाल ही में पिछले दिनों ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी अपनी एक्सिक्यूटिव कमेटी की बैठक ज्ञानवापी मस्जिद, मथुरा की शाही ईदगाह समेत अन्य मामलों को लेकर बुलाई थी। बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि बोर्ड की लीगल कमिटी मस्जिद को चुनौती देने वाले केस को लड़ने में मुस्लिम पक्ष की हर संभव मदद करेगी।
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पिछले हफ्ते दिल्ली में ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरत ने भी देश में मुसलमानों के हालात को लेकर एक बैठक बुलाई थी और ज्ञानवापी मस्जिद समेत कई अन्य मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया था। इस बैठक में कई राज्यों के मुस्लिम बुद्धिजीवियों, समाजिक कार्यकर्ताओं, धार्मिक गुरु, शिक्षाविदों ने भाग लिया था। बैठक में जमात-ए-इस्लामी हिंद के सदर सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी से लेकर मौलाना तौकीर रजा और अहले हदीस से जुड़े लोगों तक ने अपने सुझाव रखे थे। बैठक में मुसलमानों के मुद्दों पर राजनैतिक दलों की खामोशी को लेकर भी चिंता व्यक्त की गई थी।
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