नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीसीए) के खिलाफ चल रहे हिंसक प्रदर्शनों से रविवार को दिल्ली पुलिस निपटने की कोशिशें करती नजर आई, वहीं जामिया मिलया इस्लामिया के प्रॉक्टर ने कथित तौर पर आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस जबरदस्ती परिसर में घुसी और विद्यार्थियों के साथ मारपीट की। वसीम अहमद खान ने रविवार शाम आरोप लगाते हुए कहा कि परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं होने के बावजूद पुलिस ने प्रवेश किया और कर्मचारियों व छात्रों के साथ मारपीट की।
उन्होंने आरोप लगाय कि सभी को पीटा जा रहा है और उन्हें परिसर खाली करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
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रविवार को हुए प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया। विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों और स्थानीय लोगों की पुलिस के साथ झड़प हो गई। कुछ बसों को आग के हवाले कर दिया गया। वहीं, जामिया के विद्यार्थियों ने दावा किया कि वह हिंसा की घटनाओं में शामिल नहीं थे।
उधर दिल्ली पुलिस ने इन आरोपों को ख़ारिज करते हुए कहा कि उनका जामिया के छात्रों से कोई लेना देना नहीं है. दक्षिण-पूर्वी दिल्ली डीसीपी चिन्मय बिस्वाल ने कहा,“भीड़ काफी हिंसक थी। पथराव में करीब 6 पुलिस जवान घायल हुए हैं। फ़िलहाल हमें किसी की भी पहचान नहीं मिली है”
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उन्होंने कहा, “हमारा एकमात्र उद्देश्य भीड़ को पीछे धकेलना है ताकि इलाके में कानून-व्यवस्था बहाल की जा सके। हमें जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ कोई समस्या नहीं है”
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ये पूछने पर कि क्या पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर फायर किया, DCP ने बताया, “बिल्कुल भी गोलीबारी नहीं हुई है। यह एक झूठी अफवाह है जो फैलाई जा रही है। भीड़ ने आगजनी की, मोटरसाइकिलों को आग लगा दी और हम पर पथराव किया”
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