1990 के दशक में कश्मीर घाटी में खौफ का दूसरा नाम रहे दो दोस्तों की आज तिहाड़ की सलाखों में हालत खराब है। तीन दशक पहले इसी जोड़ी के नाम से कश्मीर में अच्छे-अच्छों को पसीना आ जाता था। कभी कंधे से कंधा मिलाकर घाटी को खून से रंगने के लिए कुख्यात रही यह जोड़ी सिर्फ कुछ कदमों की दूरी पर रहने के बावजूद फिलहाल एक दूसरे की शक्ल देखने को तरस गई है।
गुजरे हुए कल की यह खूनी जोड़ी लंबे समय से एशिया की सबसे सुरक्षित समझी जाने वाली दिल्ली स्थित तिहाड़ जेल में कैद है। नाम है यासीन मलिक और फारुख अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे। सूत्रों के अनुसार यासीन मलिक तिहाड़ की एक नंबर जेल में बंद है। कभी उसका हमनवां-हमप्याला रहा बिट्टा कराटे भी यहीं 8-9 नंबर जेल में बंद है। कहने को तो दोनों तिहाड़ जेल में ही हैं, लेकिन दोनों ने अभी तक एक-दूसरे का चेहरा भी नहीं देखा है।
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बिट्टा और यासीन को हाई-सिक्युरिटी वार्डस में रखा गया है। बिट्टा कराटे यहां से पहले करीब 18 साल तक कश्मीर और देश की बाकी तमाम जेलों में कैद रह चुका है। जब उसे आगरा जेल में भेजा गया था, तब उसने वहां 14 महीने की भूख हड़ताल की थी और जेल प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए थे। बिट्टा किस हद का खतरनाक है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कश्मीर घाटी की जेल में बंद रहने के दौरान उस पर एक कैदी का सिर कुचल कर उसकी हत्या का आरोप लगा था। घाटी में बिट्टा की जिंदगी का वह पहला कत्ल था, और जिसका कत्ल उसने किया था वह उसका जिगरी दोस्त (कश्मीरी पंडित युवक राम) था। वह घटना आज भी कश्मीरियों के दिलों में सिहरन पैदा कर देती है।
तिहाड़ जेल सूत्रों के मुताबिक, बिट्टा बीते साल ही भारतीय सुरक्षा और जांच एजेंसियों द्वारा गिरफ्तार कर दिल्ली की तिहाड़ जेल लाया गया था। यासीन मलिक जम्मू एवं कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद-370 को निष्क्रिय किए जाने से कुछ दिन पहले ही तिहाड़ जेल में लाया गया है। बिट्टा और यासीन वही खूंखार आतंकवादी हैं, जिन्होंने हिंदुस्तान के तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबिया सईद (जम्मू कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती की बहन) के अपहरण का षड्यंत्र रचा था। रुबिया सईद के अपहरण में बिट्टा और यासीन का नाम खुलकर सामने आया था। यह बात यासीन कई साल पहले कबूल भी चुका है।
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फारुख अहमद डार उर्फ बिट्टा, कराटे में 'ब्लैक-बेल्ट' होल्डर है। यहां उल्लेखनीय है कि कश्मीर को कथित आजादी दिलाने की खूनी जंग के नाम पर जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के बैनर तले बिट्टा और यासीन दोनों ने 1990 के दशक में कंधे से कंधा मिलाकर कश्मीर के अमन-चैन को आतंक की आग में झोंक दिया था। बाद में दोनों ने एक-दूसरे से इस हद तक दूरी बना ली कि जेकेएलएफ दो-फाड़ हो गया। एक जेकेएलएफ (आर) यानी रियल बिट्टा कराटे वाला और दूसरा सिर्फ जेकेएलएफ (जिसका स्वंयभू सर्वेसर्वा खुद को यासीन मलिक ने घोषित कर लिया)।
जेल के सूत्रों के मुताबिक, कहने को तो दिल्ली की हाई सिक्युरिटी मंडोली जेल में भी कई खूंखार आतंकवादी बंद हैं, लेकिन उनमें बिट्टा कराटे और यासीन मलिक जैसा कोई नहीं है। यासीन मलिक और बिट्टा कराटे को जब से गिरफ्तार कर दिल्ली की तिहाड़ जेल लाया गया है, उनसे वहां मिलने आने वालों की संख्या न के बराबर है।
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यासीन और बिट्टा के बाद कश्मीर घाटी का ही खूंखार आतंकवादी परवेज राशिद भी फिलहाल तिहाड़ के जेल नंबर-3 में कैद है। जेल सूत्रों के मुताबिक, राशिद से मिलने कभी-कभार उसका पिता अब्दुल राशिद ही पहुंचा है। जबकि तिहाड़ में वर्तमान समय में बंद चौथा खूंखार नाम है अब्दुल सुब्हान। सुब्हान हरियाणा के मेवात का रहने वाला है। तिहाड़ जेल के महानिदेशक संदीप गोयल का कहना है कि कैदी तो कैदी हैं। जेल प्रशासन की जिम्मेदारी है कि यहां बंद किसी को भी कोई नुकसान न हो, और फिर हाई-सिक्युरिटी वार्ड में तो वैसे भी अपराधियों को एकदम अलग रखा जाता है। सुरक्षा कारणों से उन्होंने इस बारे में और कोई जानकारी देने से साफ इंकार कर दिया।
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