10 बातें जिनसे लगता है प्रद्युम्न हत्या में अशोक को बनाया जा रहा बलि का बकरा !
तो क्या प्रद्युम्न की हत्या का मामला भी उसी दिशा में चल पड़ा है जैसा कि करीब
दस साल पहले नोएडा में आरुषि हत्याकांड में हुआ था?
By विक्रांत झा
फोटो : Getty Images
रियान इंटरनेशनल स्कूल के छात्र प्रद्युम्न की हत्या की गुत्थी दिन ब दिन उलझती जा रही है। प्रद्युम्न की मौत के चंद घंटों के भीतर ही पुलिस ने दावा किया था कि इस हत्याकांड को बस कंडक्टर अशोक ने अंजाम दिया है। पुलिस का दावा था कि अशोक ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया है। लेकिन अब जो तथ्य और खबरें सामने आ रही हैं, उनसे ऐसा लगता है कि अशोक को बलि का बकरा बनाया जा रहा है। दरअसल कातिल कोई और है और कत्ल की वजह भी कोई बहुत ही गंभीर है, जिसे शायद पुलिस और हरियाणा सरकार के साथ ही रियान स्कूल भी छिपाने की कोशिश कर रहा है।
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तो क्या प्रद्युम्न की हत्या का मामला भी उसी दिशा में चल पड़ा है जैसा कि करीब दस साल पहले नोएडा में आरुषि हत्याकांड में हुआ था। उस केस में भी पुलिस ने पहले ये बताया था कि आरुषि की हत्या घरेलू नौकर हेमराज ने की है और वह फरार है। लेकिन जब अगले दिन हेमराज का शव आरुषि के घर की छत पर मिला तो शक की सुई किसी और की तरफ घूमी थी और इसे ऑनर किलिंग का मामला बताने की कोशिश की गयी। इस मामले में निचली अदालत ने आरुषि के माता-पिता को सजा भी सुनाई थी।
लेकिन प्रद्युम्न का मामला उससे भी पेचीदा होता नजर आ रहा है। जो घटनाक्रम सामने है उसके मुताबिक 8 सितंबर को सुब करीब 8 बजे ये खबर आई कि प्रद्युम्न वॉशरूम में खून से लथपथ पड़ा है। लोगों के जमा होने पर उसे अस्पताल ले जाया गया जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। जो शख्स बुरी तरह घायल प्रद्युम्न को अपनी बाहों में उठाकर कार तक लेकर गया, जिसका नाम अशोक है, क्या वही असली कातिल है? क्या उसे कोई बलि का बकरा बना रहा है? आखिर क्यों:
पूरी घटना महज 10 से 15 मिनट में ही हो गयी। वह भी उस समय जब स्कूल में खूब गहमा-गहमी होती है। माता-पिता बच्चों को स्कूल छोड़ने आए हुए होते हैं, टीचर असेंबली के लिए जमा हो रहे होते हैं। अपने क्लास के लिए बच्चों की भागदौड़ का माहौल होता है। लेकिन इस सबके बावजूद कोई भी उस टॉयलेट की तरफ नहीं गया, जो रिसेप्शन से लगभग सटा हुआ था? इतना ही नहीं, किसी ने प्रद्युम्न के चिल्लाने की आवाज भी नहीं सुनी?
पुलिस का दावा है कि बस कंडक्टर अशोक कुमार ने टॉयलेट में बच्चे पर सेक्सुअल हमला किया, और जब उसने प्रतिरोध किया तो चाकू से उसकी हत्या कर दी। पुलिस का कहना है कि अशोक ने, “यह चाकू बस की टूलकिट से चुराया था।” लेकिन पोस्टमार्टम की रिपोर्ट बताती है कि, “बच्चे के शरीर पर किसी और जख्म या चोट के निशान नहीं मिले हैं। शरीर से मिले सैंपल जांच के लिए फोरेंसिक लैब भेजे गए हैं,जिनसे साबित होता है कि बच्चे पर सेक्सुअल हमला नहीं हुआ था”
पुलिस का कहना है कि चाकू बस की टूल किट से चुरा गया था, लेकिन बस के ड्राइवर सौरभ राघव का दावा है कि टूल किट में कोई चाकू था ही नहीं।
पुलिस के मुताबिक प्रद्युम्न जब टॉयलेट में गया तो उसने अशोक को हस्तमैथुन करते हुए देखा। कंडक्टर इससे घबरा गया और उसे लगा कि बच्चा यह बात किसी को बता देगा, जिससे उसकी पिटाई होगी और नौकरी भी जा सकती है। इसलिए वह बच्चे की तरफ झपटा और उसे धक्का दिया जिससे वह गिरा और उसका सिर कमोड से टकराया। लेकिन पुलिस की यह थ्योरी भी सच नजर नहीं आती, क्योंकि पोस्टमार्ट की रिपोर्ट में बच्चे के शरीर पर किसी भी किस्म की चोट के निशान पाए ही नहीं गए हैं। सिर्फ उसके गले पर दो गहरे कट मिले हैं, जिनसे बहुत अधिक खून बह जान के कारण प्रद्युम्न की मौत हो गयी।
पुलिस का दावा है कि अशोक की कमीज पर खून के दाग मिले हैं और मुख्यत: इसी आधार पर उसे गिरफ्तार किया गया है। लेकिन जख्मी या मृत अवस्था में प्रद्युम्न को सबसे पहले देखने वाले स्कूल के माली हरपाल का बयान है कि, “अंजु मैम ने मुझसे प्रद्युम्न को उठाने के लिए कहा, लेकिन मैंने इसलिए मना कर दिया क्योंकि मैं दुबला पतला हूं। इसी बीच वहां अशोक कुमार वहां आ गया और टीचरों ने उससे प्रद्युम्न को उठाने के लिए कहा। अशोक ने बिना देरी के बच्चे को उठाया और उसे ले जाकर वैगन आर कार में लिटा दिया। इस दौरान मैंने अशोक की किसी भी हरकत में कोई संदिग्धता नहीं देखी। वह एकदम सामान्य व्यवहार कर रहा था। हालांकि उसकी पूरी कमीज प्रद्युम्न को उठाने के कारण खून में लथपथ हो गयी थी, लेकिन फिर भी वह शांत ही लग रहा था।”
पुलिस का कहना है कि अशोक कुमार के अपनी पत्नी के साथ रिश्ते अच्छे नहीं थे, और शायद इसी कारण उसने बच्चे पर सेक्सुअल हमला करने की कोशिश की हो। लेकिन न सिर्फ अशोक की पत्नी, बल्कि घमरोज के विवेक भारती स्कूल के प्रिंसिपल मनोज कुमार का कहना है कि अशोक के बारे में ऐसी कोई बात कभी नहीं सुनी। अशोक पहले इसी स्कूल में काम करता था और उसकी पत्नी और पिता अभी भी इसी स्कूल में काम करते हैं।
पुलिस का कहना है कि उसके पास सीसीटीवी फुटेज है जिससे साबित होता है कि बच्चे के टॉयलेट जाने के बाद अशोक टॉयलेट में गया और उसे इस बात में कोई भी शक नहीं है कि यह हत्या अशोक ने ही की है। लेकिन टॉयलेट की खिड़की टूटी हुई है, जिससे कोई भी बिना किसो को खबर के वहां आ सकता है या जा सकता है। क्या इस बात की संभावना नहीं है कि टॉयलेट में कोई खिड़की के रास्ते घुसा हो?
कंडक्टर अशोक ने मीडिया के सामने स्वीकार किया कि उसने बच्चे पर सामने से हमला किया था, न कि पीछे से। ऐसी हालत में उसके कपड़ों या पैरों पर किसी भी किस्म से खून के निशान क्यों नहीं मिले?
अशोक कुमार के गांव घमरोज के लोगों का कहना है कि अशोक के चरित्र के बारे में जानने के लिए पुलिस के किसी भी अधिकारी ने गांव का दौरा नहीं किया और न ही किसी से बात की। कोई 42 वर्षीय व्यक्ति जन्म से ही अगर कहीं रहता है तो उसके बारे में वहां के लोग अच्छी तरह जानते हैं, और वे पुलिस को उसके चरित्र के बारे में जानकारी दे सकते हैं। लेकिन गांव में एक बात पर आमराय है कि अशोक को बलि का बकरा बनाया जा रहा है।
स्कूल का दावा है कि जब प्रद्युम्न को अस्पताल ले जाया जा रहा था, तो वह जिंदा था। लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट का कहना है कि, “गले पर चाकू का वार होने के दो मिनट के अंदर ही उसकी मौत हो गयी, क्योंकि उसकी सांस की नली कट गयी थी।” ऐसे में इन दावों की सच्चाई जानने की कोशिश क्यों नहीं की जा रही? एक टीचर ने प्रद्युम्न के क्लासमेट से पानी की एक बोतल धोने को कहा, क्योंकि उस पर खून लग गया था। क्या ऐसा करके किसी सबूत को मिटाने की कोशिश की जा रही थी?
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इस बीच अशोक के वकील मोहित वर्मा ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा है कि अशोक दबाव में जुर्म कुबूल करवाया गया है। उनका दावा है कि पुलिस ने अशोक को उलटा लटकाकर लाठियों से पीटा। लेकिन जब मोहित से पूछा गया कि अशोक ने तो कैमरे के सामने अपना गुनाह स्वीकार किया है, तो उनका दावा था कि पुलिस ने अशोक को ड्रग्स दिए थे ताकि वह कैमरे के सामने अपना जुर्म कबूल कर ले।
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उधर रियान स्कूल के माली हरपाल ने भी दावा किया है कि पुलिस ने उससे भी गुनाह कबूल करने का दबाव डाला और उसे मारा-पीटा।
तो क्या इस कत्ल का राज़ भी राज़ ही रहेगा? क्या कत्ल की असली वजह और असली कातिल का चेहरा कभी सामने आएगा?