राफेल के खेल का खुलासा होता दिख रहा है। नए खुलासे ने राहुल गांधी द्वारा चौकीदार पर लगाए गए चोरी के आरोपों को और पुख्ता किया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि राफेल डील होने से 10 दिन पहले ही अनिल अंबानी फ्रांस के रक्षा मंत्री से ‘गुप्त’ रुप से मिले थे और उन्हें कहा था कि जब पीएम आएंगे तो एक राफेल डील पर हस्ताक्षर होगा, जिसमें मेरा नाम होगा। राहुल गांधी ने एक ईमेल के हवाले से पीएम मोदी पर यह आरोप लगाए हैं।
'आपकी जानकारी के लिए, अभी फोन पर सी. सालोमन (सालोमन जेवाई ले ड्रायन के सलाहकार हैं, जो सोमवार को हुई मीटिंग में मौजूद थे) से बात हुई। ए. अंबानी (अनिल अंबानी) इस हफ्ते मंत्री के ऑफिस आए (उनकी यह यात्रा गुप्त थी और पहले से ही तय थी) थे। मीटिंग में उन्होंने (ए. अंबानी ने) बताया कि वह कॉमर्शियल हेलोस पर पहले एएच के साथ काम करना चाहते हैं और बाद में डिफेंस सेक्टर में। उन्होंने (ए. अंबानी) बताया कि एक एमओयू तैयार किया जा रहा है, जिस पर प्रधानमंत्री के दौरे के समय दस्तखत किए जाएंगे।'
Published: 12 Feb 2019, 6:51 PM IST
यह ईमेल एयरबस के तत्कालीन सीईओ गुलियाम फौरी की ओर से कंपनी के एशिया सेल्स हेड मॉन्टेक्स और फिलिप को लिखा गया था। इसकी कॉपी श्ली, क्लाइव, मॉडेट, डोमिनिक, चॉम्सी और निकोलस को भेजी गई थी।
संयोग से इसी दौरान 28 मार्च 2015 को अनिल अंबानी ने अपनी कंपनी ‘रिलायंस डिफेंस लिमिटेड’ का गठन किया। उस वक्त तक डील के बारे में भारत के विदेश सचिव को भी जानकारी नहीं थी। पीएम मोदी द्वारा राफेल डील की घोषणा करने के 48 घंटे पहले तक विदेश सचिव ने किसी एयरक्राफ्ट डील पर हस्ताक्षर होने की बात से साफ इनकार किया था और कहा था फ्रेंच कंपनी और रक्षा मंत्रालय के बीच बातचीत चल रही है, जिसमें एचएएल भी शामिल है। उन्होंने कहा था कि यह बहुत ही टेक्निकल बाते हैं जिस पर विस्तार से बातचीत होना जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा था कि हम रक्षा क्षेत्र में नेतृत्व को शामिल नहीं करते।
राफेल सौदे के बारे में मोदी और अंबानी के अलावा किसी को कोई जानकारी नहीं थी। ऐसे में राफेल डील के ऐलान वाले दिन पेरिस में पीएम मोदी के साथ अनिल अंबानी का होना हैरान करने वाला नहीं लगता।
पीएम मोदी हर हाल में राफेल डील में अनिल अंबानी को हिस्सेदार बनाना चाहते थे। ये बात फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के 21 सितम्बर 2018 को दिए उस बयान से भी साबित होता है जिसमें उन्होंने कहा था कि मोदी सरकार ने ही एचएएल का नाम हटा कर अनिल अंबानी के रिलायंस का नाम सुझाया था। उनके पास और कोई विकल्प नहीं था।
इसके अलावा भी डील में कई बदलाव किए गए जिससे शक की सुई और गहरी होती है। जैसे:-
Published: 12 Feb 2019, 6:51 PM IST
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Published: 12 Feb 2019, 6:51 PM IST