संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रथम सचिव विमर्श आर्यन ने पाकिस्तान को लताड़ लगाते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 भारतीय संविधान का एक अस्थायी प्रावधान था और इसका हालिया संशोधन हमारे संप्रभु अधिकार के भीतर है और यह पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया जानती है कि हमारे फैसलों से पाकिस्तान के पैरों तले जमीन खिसक चुकी है, इसीलिए वह झूठे तथ्यों से हालात का राजनीतिकरण और ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रहा है।
Published: 10 Sep 2019, 10:53 PM IST
विमर्श आर्यन ने कहा कि कुछ पाकिस्तानी नेता जम्मू-कश्मीर और अन्य देशों में हिंसा को प्रोत्साहित करने के लिए जिहाद का आह्वान करने के हद तक गए हैं, ताकि एक नरसंहार की तस्वीर बनाई जा सके, जो कि वे भी जानते हैं कि वास्तविकता से बहुत दूर है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का अपना रिकॉर्ड दुनिया को उसकी सच्चाई दिखा रहा है। उसकी यह बयानबाजी पाकिस्तान में धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे उत्पीड़न और भेदभाव से अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान नहीं हटा सकती। भारतीय अधिकारी ने कहा कि जहां तक इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) का संबंध है, भारत के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करने का उसके पास कोई अधिकार नहीं है।
Published: 10 Sep 2019, 10:53 PM IST
इससे पहले भारत ने यूएनएचआरसी में जम्मू-कश्मीर के बारे में गलत और मनगढ़ंत कहानी पेश करने करने लिए पाकिस्तान को फटकार लगाई। इस दौरान भारत ने स्पष्ट किया कि वह इस मुद्दे पर कोई विदेशी हस्तक्षेप स्वीकार नहीं करेगा, क्योंकि यह उसका आंतरिक मामला है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के एनएचआरसी को संबोधित करने के कुछ घंटों बाद भारतीय राजनयिक विजय ठाकुर सिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि 'पाकिस्तान आतंकवाद का केंद्र है और वह वैकल्पिक कूटनीति के तौर पर सीमा पार आतंकवाद का संचालन करता है।
Published: 10 Sep 2019, 10:53 PM IST
विदेश मंत्रालय में सचिव (ईस्ट) विजय ठाकुर सिंह ने कहा कि भारत मानवधिकारों को बढ़ावा देने और उसकी रक्षा करने में दृढ़ता से विश्वास करता है। उन्होंने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग क्षेत्र में किसी भी रूप में आतंकवाद को बढ़ावा देने व वित्तिय तौर पर इसका समर्थन करते हैं, वास्तव में वही मानव अधिकारों के सबसे बड़े उल्लंघनकर्ताओं में हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान पीड़ित बनने का रोना रो रहा है, जबकि वास्तव में वह खुद मानवाधिकारों के उल्लंघन का अपराधी है।
Published: 10 Sep 2019, 10:53 PM IST
भारतीय राजनयिक ने कहा, "हमें उन लोगों पर लगाम कसनी चाहिए, जो मानवाधिकारों की आड़ में दुर्भावनापूर्ण राजनीतिक एजेंडों के लिए इस मंच का दुरुपयोग कर रहे हैं। ये लोग दूसरे देशों के अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों पर बोलने का प्रयास कर रहे हैं, जबकि वे अपने ही देश में उन्हें रौंद रहे हैं। वे पीड़ित की तरह रो रहे हैं, जबकि वास्तव में वे अपराधी हैं।"
जम्मू एवं कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द करने के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि भारत द्वारा अपने संवैधानिक ढांचे के अनुरूप यह फैसला लिया गया है। उन्होंने कहा कि यह फैसला संसद द्वारा पारित अन्य विधानों की तरह ही भारतीय संसद द्वारा एक पूर्ण बहस के बाद लिया गया। उन्होंने कहा कि इसे व्यापक तौर पर समर्थन भी मिला। उन्होंने इस फैसले को पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला बताया और कहा कि कोई भी देश अपने आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप स्वीकार नहीं कर सकता और भारत भी नहीं करेगा।
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
Published: 10 Sep 2019, 10:53 PM IST
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Published: 10 Sep 2019, 10:53 PM IST