हरियाणा में अब अन्नदाता सत्ताधारियों से सवाल कर रहा है। नतीजे में बीजेपी-जेजेपी पसीने से लथपथ हैं। अन्नदाता पूछ रहा है कि उसकी राह में कीलें क्यों बिछाईं? उस पर आंसू गैस के गोले क्यों दागे गए? लाठियां क्यों बरसाई गईं? वह शहीद होते रहे। सरकार तमाशा देखती रही? राज्यों की सीमाओं को भारत-पाकिस्तान बार्डर बना दिया गया? अन्नदाता कह रहा है कि अब मेरा वक्त है। लिहाजा, लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए बीजेपी-जेजेपी नेताओं का गांवों में घुसना मुश्किल हो गया है। नौबत माफी मांगने तक की आ गई है, लेकिन किसान तो जवाब चाह रहा है।
राज्य की सत्ता में साढ़े चार साल तक साथ रहे भारतीय जनता पार्टी और जन नायक जनता पार्टी के माथे पर किसानों के विरोध ने पसीना ला दिया है। किसान गांवों में उन्हें घुसने नहीं दे रहे हैं। तकरीबन हर रोज हंगामा हो रहा है। बावजूद इसके बीजेपी का रवैया हैरान कर रहा है। सीएम नायब सिंह सैनी उन्हें गुंडा और उपद्रवी कह रहे हैं। हिसार से बीजेपी प्रत्याशी रणजीत सिंह चौटाला ने उन्हें खालिस्तान समर्थक कह डाला। सीएम की रैली में खाली कुर्सियां दिखाने पर एक पत्रकार के खिलाफ पुलिस में शिकायत दे दी गई। जेजेपी का रवैया और दिलचस्प है। सत्ता से बाहर का दरवाजा दिखा देने के बावजूद वह कभी किसानों को धमका रही है तो कभी माफी भी मांग रही है। हरियाणा में बने हालात बीजेपी-जेजेपी की बेचैनी बढ़ा रहे हैं। हिसार के नारनौंद हल्क के गांव बुडाना के सोशल मीडिया में वायरल हुए पोस्टर की इबारत इन हालातों की तस्दीक कर रही है। वायरल पोस्टर में लिखा गया था कि गांव बुडाना यह ऐलान करता है कि हमारे गांव में बीजेपी-जेजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं का आना सख्त मना है। बीजेपी शहीद किसानों की हत्यारी और जेजेपी किसान कौम की गद्दार है। पोस्टर में लिखे ये शब्द साढ़े चार साल की सत्ता के खिलाफ आक्रोश की अभिव्यक्ति है। नारनौंद के ही गांव डाटा में रोघी खाप के चबूतरे पर हुई पंचायत में ग्रामीणों ने फैसला लिया कि बीजेपी और जेजेपी नेताओं को गांव में नहीं घुसने दिया जाएगा। किसानों को दिल्ली जाने से जिस तरह रोका गया उसी तरह अब इन दलों के नेताओं को भी गांव में नहीं घुसने दिया जाएगा। 4-5 अप्रैल से हरियाणा में शुरू हुआ विरोध का यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। 5 अप्रैल को पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को नारनौंद के गांव नाड़ा में काले झंडे दिखाने के बाद गांव गामड़ा में घुसने नहीं दिया गया। कुछ युवाओं की दुष्यंत चौटाला के साथ बहस भी हुई। भड़के किसानों का कहना था कि दुष्यंत ने उनसे कहा कि तुम मेरे सामने राजनीति करोगे? नेता बनोगे? इन किसानों का कहना था कि बीजेपी को यमुना पार करने वाले सत्ता के लालच में उनकी गोद में बैठे रहे। जब भाजपा ने बाहर का रास्ता दिखा दिया तो आज उनको गांव के लोगों की याद आई है। किसानों का कहना था कि पूर्व सीएम मनोहर लाल व दुष्यंत चौटाला ने प्रदेश की सीमाओं पर कंटीली तारें व दीवारें बनाकर एक ही देश में रहने वाले लोगों के लिए बॉर्डर बना दिए। दुष्यंत का मिर्चपुर, कोथ खुर्द, कोथ कलां, नाडा, गैबीनगर, हैबतपुर, राखी शाहपुर, राखी गढ़ी, गुराना, डाटा, खानपुर, सिंधड़ आदि गांवों में कार्यक्रम था।
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फतेहाबाद के रतिया में मुख्यमंत्री नायब सैनी का विरोध करने आए 100 सौ से अधिक किसानों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। इन किसानों को सीएम ने उपद्रवी कह दिया, जिसके विराध में पगड़ी संभाल जट्टा किसान संघर्ष समिति के प्रदेशाध्यक्ष मनदीप नथवान के नेतृत्व में बड़ी तादाद में किसानों ने थाने मे शिकायत दी। किसानों का कहना था कि लोकतांत्रिक देश के किसान सीएम से 18 सवाल पूछने आए थे, लेकिन सीएम उनसे नहीं मिले। रतिया रैली में खाली कुर्सियां दिखाने पर पत्रकार के खिलाफ दी गई शिकायत को लेकर भी किसानों ने आपत्ति जताई। फतेहाबाद के ही टोहाना में भी सीएम की रैली से पहले बड़ी तादाद में किसानों को हिरासत में लिया गया। फरीदाबाद में पार्टी के स्थापना दिवस कार्यक्रम में सीएम ने चेतावनी के अंदाज में प्रदेश में गुंडागर्दी करने वालों से सुधर जाने का 'आग्रह' कर दिया। साथ में यह भी कहा कि नहीं तो यह सुधार भी हम ही करेंगे। यह माना गया कि सीएम यह चेतावनी किसानों को दे रहे थे। हिसार की उकलाना अनाजमंडी में संकल्प रैली में भाग लेने आ रहे सीएम का विरोध करने निकले किसानों को सूरेवाला चौक पर हिरासत में ले लिया गया। किसान नेता सरदानंद राजली का कहना था कि वह सीएम से किसान आंदोलन में 750 किसानों की मौत का जिम्मेदार कौन है, यह जानना चाहते थे।
हिसार के नलवा हल्के के कैमरी गांव में विजय संकल्प रैली में बोल रहे पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से सवाल पूछने पहुंचे किसानों को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया। वहीं, बरवाला में बीजेपी प्रत्याशी रणजीत सिंह चौटाला के लिए वोट मांगने गए मनोहर लाल से सवाल पूछने आ रहे किसानों को भी हिरासत में लिया गया। यहां संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं का कहना था कि जो किसान बरवाला मंडी गेहूं बेचने आए थे, उनको भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इसका जवाब वह चुनाव में वोट की चोट से देंगे।
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हिसार लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी रणजीत सिंह चौटाला का भारी विरोध हो रहा है। अग्रोहा खंड के गांव श्यामसुख में किसानों की नारेबाजी से उनकी जनसभा में बवाल मच गया। रणजीत चौटाला को अधूरा भाषण छोड़कर ही जाना पड़ा। इसी तरह कनोह गांव में ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए रणजीत सिंह चौटाला कार्यक्रम में पहुंचे ही नहीं। गांव कुलेरी, श्यामसुख, किरमारा, अग्रोहा, सबरवास, नंगथला आदि में भी उनका भारी विरोध हो चुका है, जबकि नारनौंद में बीजेपी चुनाव कार्यालय में कार्यकर्ताओं की मीटिंग लेने से पहले किसानों को हिरासत में ले लिया गया। रणजीत चौटाला ने किसानों को एक जगह खालिस्तान समर्थक कह दिया।
रोहतक लोकसभा से बीजेपी प्रत्याशी अरविंद शर्मा का भी भारी विरोध हो रहा है। कोसली विधानसभा के गांव सुधराना में ग्रामीणों ने उनसे कहा कि सांसद महोदय चुनाव जीतने के पांच साल बाद दर्शन दे रहे हैं। ग्रामीणों की नारेबाजी के चलते अंतत: अरविंद शर्मा को वहां से वापस लौटना पड़ा। कोसली विस में 74 हजार 980 वोटों की मिली लीड से ही 2019 में अरविंद शर्मा को महज 7 हजार वोट से जीत नसीब हुई थी। रोहतक के गांव सैमाण व गांव भैणी सुरजन (बड़ाली) में भी उनका भारी विरोध किया गया। उन्हें किसानों ने काले झंडे दिखाए। विरोध के चलते उन्हें अपना भाषण बीच में ही छोड़कर वापस लौटना पड़ा। सोनीपत के बीजेपी प्रत्याशी मोहन लाल बड़ौली को रोहणा गांव में किसानों ने काले झंडे दिखाए। चौपाल में चल रहे कार्यक्रम में भी उनको भाग लेने से रोका गया। इससे पहले जींद के नंदगढ़ गांव में भी उनका विरोध हो चुका है। लोगों ने उनको वहां बोलने तक नहीं दिया था।
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सिरसा से बीजेपी प्रत्याशी अशोक तंवर को तो और ज्यादा मुश्किलें आ रही हैं। रोड़ी गांव में किसानों के भारी विरोध के कारण उन्हें कार्यक्रम रद्द करना पड़ा। डबवाली के घुकावाली गांव में तो किसानों ने तंवर के 4 पार्टी बदलने पर भी सवाल उठाए। भारी विरोध के बाद घुकावाली गांव से बिना प्रचार किए ही वह लौट गए। किसान नेता गुरदास सिंह का कहना था कि बीजेपी ने उनके साथ धोखा किया और किसानों को मारा है। उन्हें दिल्ली जाने से रोका गया। डबवाली से दिल्ली जाने वाला रास्ता किसानों के नाम पर बंद कर दिया गया है। किसान के बेटे शुभकरण को सरेआम गोली मार दी। किसानों ने अशोक तंवर से कहा कि अगर आप किसानों के साथ हो तो बीजेपी को छोड़कर किसानों के साथ आओ। एक वायरल वीडियो ने अशोक तंवर की मुश्किल बढ़ा दी हैं। किसानों के विरोध का यह वीडियो तंवर तीन साल पुराना बता रहे हैं। चुनाव आयोग से इसकी शिकायत भी की है। रणजीत सिंह चौटाला के साथ सिरसा के रानियां पहुंचे अशोक तंवर को 15 अप्रैल को किसानों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा। प्रशासन ने उन्हें दूसरे रास्ते से किसी तरह निकाला। सिरसा के गांव माखा में किसानों के भारी विरोध की सूचना पर भाजपा जिला अध्यक्ष आदित्य देवी लाल चौटाला आए ही नहीं।
जेजेपी की मुश्किलें कहीं और ज्यादा हैं। वजूद के संकट से जूझ रही पार्टी को किसानों का विरोध और भारी पड़ रहा है। जेजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय चौटाला भिवानी के बवानी खेड़ा हलके में गांवों के दौरे पर थे। गांव कुंगड़ में भारी विरोध के चलते जजपा सुप्रीमो को अंतत: वापस लौटना पड़ा। किसानों का कहना था कि उन्हें कुंगड़ तो क्या बवानी खेड़ा के किसी भी गांव में नहीं घुसने देंगे।
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जेजेपी महासचिव दिग्विजय चौटाला से सिरसा के गांव पीपली में घुसने से रोक कर किसानों ने सवाल किया कि अब आप किस हैसियत से हमारे बीच आ रहे हैं? जब डबवाली में किसानों को रोक कर बैरिकेड्स लगाए और अत्याचार हुआ तब कहां थे? किसानों ने कहा कि वह बीजेपी से नाखुश थे इसलिए जेजेपी को वोट दिया था, लेकिन वह बीजेपी के साथ चली गई। राज्य सरकार में भागीदारी के बावजूद जेजेपी ने किसानों का समर्थन नहीं किया। अजय चौटाला ने तो किसान आंदोलन को बीमारी बता दिया था। किसानों ने दिग्विजय से सवाल किया कि आपके पिता तो किसान आंदोलन को बीमारी बताते हैं। हम बीमारी हैं? इस पर दिग्विजय ने कहा कि मैं कल भी बीजेपी के खिलाफ था और आज भी खिलाफ हूं। इस पर किसान बोले तो क्या बीजेपी के साथ दुष्यंत चौटाला थे, अजय चौटाला थे या फिर आपकी मां नैना चौटाला थीं? जिसका जवाब उनके पास नहीं था। फतेहाबाद में जब किसानों ने दिग्विजय का विरोध किया तो इसका ठीकरा उन्होंने अभय चौटाला पर फोड़ दिया। यही नहीं दिग्विजय ने पूर्व सीएम मनोहर लाल को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा दिया। विरोध को छोटा मोटा करार देते हुए दिग्विजय ने इसका कारण मनोहर लाल की छवि को बताया। मतलब साफ है कि जेजेपी आज भी समझने के लिए तैयार नहीं है। दुष्यंत चौटाला के विरोध पर उनकी मां विधायक नैना चौटाला ने पहले इसे विरोधियों की साजिश करार दे दिया। वह बोलीं कि दुष्यंत न इससे कभी डरेगा, न दबेगा। अब वह माफी मांग रही हैं। वह कह रही हैं कि नाराजगी अपनों से होती है। उन्हें दुष्यंत से ठेस लगी होगी। मैं किसानों से माफी मांगती हूं और दुष्यंत का विरोध न कर बैठकर समाधान करने की अपील करती हूं।
भाकियू चढ़ूनी के प्रवक्ता राकेश बैंस ने नवजीवन से विशेष बातचीत में कहा कि किसानों का यह विरोध तो स्वाभाविक है। सरकार ने जिस तरह किसानों पर लाठियां बरसाईं, आंसू गैस के गोले दागे और एसएलआर से सीधे फायरिंग कर युवा किसान को मौत के घाट उतारा, उसके बाद तो इस विरोध का सामना उसे करना ही पड़ेगा।
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