सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें दिल्ली सरकार द्वारा इस संबंध में नीति तय किए जाने तक राष्ट्रीय राजधानी में दोपहिया टैक्सी का संचालन जारी रखने की अनुमति दी गई थी। न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की खंडपीठ ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में बाइक टैक्सी एग्रीगेटर रैपिडो को राज्य सरकार द्वारा जारी नोटिस पर रोक लगाते हुए अंतिम नीति बनने तक संचालन जारी रखने की अनुमति दी थी।
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शीर्ष अदालत ने कहा कि नीति को अंतिम रूप दिए जाने तक वैधानिक शासन के व्यापक संचालन पर रोक लगाने का अंतरिम आदेश अनुचित था और हम दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा पारित दोनों आदेशों पर रोक लगाते हैं।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 26 मई को राज्य सरकार की इस संबंध में जारी सार्वजनिक सूचना पर रोक लगा दी थी और शहर के परिवहन विभाग को राइड-शेयरिंग प्लेटफार्मो पर रोक लगाने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
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न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की खंडपीठ ने परिवहन विभाग को एक व्यापक नीति तैयार होने तक रैपिडो और अन्य राइड-शेयरिंग प्लेटफॉर्म के खिलाफ कोई कठोर कदम उठाने से परहेज करने का निर्देश दिया।
इससे पहले फरवरी में ऐप-आधारित एग्रीगेटर्स को व्यावसायिक परमिट के बिना सड़क पर बाइक टैक्सी चलाने से रोका गया था।
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परिवहन विभाग ने इन प्लेटफार्मो द्वारा प्रदान की जाने वाली बाइक टैक्सी सेवाओं को तत्काल रोकने का आदेश देते हुए चेतावनी दी थी कि किसी भी तरह का उल्लंघन करने पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
परिवहन विभाग द्वारा सार्वजनिक नोटिस में कहा गया है कि आदेशों की अवहेलना करने वाली कंपनियों पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा, क्योंकि व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए बाइक का उपयोग मोटर वाहन अधिनियम, 1988 का उल्लंघन करता है।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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