बटाला के 70 वर्षीय ज्ञानी जगतार सिंह संधू बेहद खुश हैं कि वह अब महज चंद किलोमीटर की यात्रा करके अपने गुरु नानक देव जी की कर्मभूमि करतारपुर साहिब के दर्शन के लिए बगैर वीजा के पाकिस्तान जा सकेंगे।
कश्मीर मसले, खासतौर से अनुछेद 370 रद्द किए जाने को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच सियासी और कूटनीतिक दांवपेच भले ही हो रही हो, करतारपुर कॉरिडोर का काम दोनों तरफ पूरी रफ्तार से न केवल जारी है बल्कि अंजाम तक पहुंचने को है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई में उनके मंत्री और अफसर निर्माण कार्य वक्त पर पूरा करवाने के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं।
वैसे, पाकिस्तान की उदारता और तत्परता के पीछे किसी साजिश पर भी सतर्क नजर रखी जा रही है। पिछले दिनों पुलिस ने करतारपुर गलियारे के निर्माण स्थल के पास से एक कथित जासूस को गिरफ्तार किया जो वहां की तस्वीरें पाकिस्तान भेज रहा था। माना जा रहा है कि उससे पूछताछ की जा रही है।
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हालांकि, इन्हीं खबरों और सरगोशियों के बीच पंजाब में पाकिस्तान से वायरल हुआ एक वीडियो खूब देखा जा रहा है। यह करतारपुर कॉरिडोर के पाकिस्तान वाले हिस्से से संबंधित है और वहां चल रहे कार्य की प्रगति का सचित्र विवरण देता है। इस तरह का यह पांचवां वीडियो है। भारत-पाक संबंधों में पसरे जबरदस्त तनाव के बीच यह सुखद हवा के झोंके की मानिंद है।
वीडियो में बताया गया है कि पाकिस्तान स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब साढ़े चार सौ एकड़ भूमि में फैला है। इस गुरुद्वारे के मुख्य भवन से कुछ मीटर की दूरी पर बनाए जा रहे पवित्र सरोवर और उसके चारों तरफ रेलिंग लगाने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। पूरे एरिया में 16 छोटे-बड़े गुंबद बनाने का काम चल रहा है। दो मंजिले दीवान हॉल के ऊपर स्थापित किए जाने वाले 80 फुट ऊंचे गुंबद का निर्माण कार्य भी तेजी से पूरा किया जा रहा है। इस पूरे प्रोजेक्ट के 75 प्रतिशत रंग-रोगन का काम पूरा हो चुका है।
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गुरुद्वारा साहिबान के आसपास बने भवनों में एयर कंडीशन और गीजर लगाने का काम जारी है। इस भवन के कमरों में पंखे लगाए जा चुके हैं। पूरे प्रोजेक्ट के इनडोर में बिजली का काम 75 से 80 फीसदी पूरा हो चुका है। संगत के ठहरने के लिए यात्री निवास दो मंजिल के बनाए गए हैं। यह यात्री निवास 700 फुट लंबा है। इस भवन में मार्बल का काम चल रहा है। संगमरमर लगाने का अस्सी फीसदी काम पूरा कर लिया गया है। इसके साथ ही श्रद्धालुओं के लिए कई बड़े हाॅल का निर्माण किया गया है जहां एक साथ कई बेड रखे जाएंगे। कमरों के साथ अटैच्ड बाथरूम भी बनाए गए हैं। एक वाटर फिल्टर प्लांट स्थापित किया गया है। मुख्य टर्मिनल भवन में वाल सीलिंग का काम अंतिम चरण में है। इस टर्मिनल में इमीग्रेशन काउंटर लगा दिए गए हैं।
गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के साथ सटी भारतीय सीमा के साथ एक बड़ी दीवार का निर्माण भी किया जा रहा है। पूरे एरिया में पौधरोपण का काम भी साथ-साथ चल रहा है। लंगर पकाने के लिए एक बड़ी रसोई बनाई गई है। लंगर बनाने के लिए अत्याधुनिक ऑटोमेटिक मशीन लगाई गई है। वीडियो में करतारपुर साहिब के मुख्य ग्रंथी भाई गोविंद सिंह कहते हैं कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान 9 अक्टूबर को इसका उद्घाटन करेंगे। तब तक शेष सभी काम पूरे हो जाएंगे। बीते 9 महीने से काम इसी गति के साथ जारी है। कॉरीडोर का निर्माण करवा रही कंपनी के सीनियर इंजीनियर खासिफ अली वीडियो में बताते हैं कि करतारपुर साहिब गुरुद्वारा दुनिया का सबसे बड़ा गुरुद्वारा होगा।
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भारत के हिस्से वाले पंजाब में इस काॅरिडोर का निर्माण कस्बा बाबा बकाला से शुरू हुआ है। बाबा बकाला की सूरत बदलने लगी है। जमीनों के भाव मंदी के बावजूद यहां लगातार बढ़ रहे हैं। नए होटल-ढाबों और अन्य व्यापारिक केंद्रों का निर्माण तेजी से हो रहा है। माना जा रहा है कि पाकिस्तान स्थित श्री करतारपुर साहिब जाने के लिए दुनिया भर के सिख बाबा बकाला से यात्रा का आगाज करेंगे और प्रतिवर्ष उनकी संख्या लाखों में होगी। पहले अमृतसर से लाहौर और फिर, 120 किलोमीटर का फासला तय करके करतारपुर जाया जाता था। अब, यह कॉरिडोर बनने के बाद बाबा बकाला से यह दूरी महज 6-7 मील की होगी।
पंजाब के वरिष्ठ पत्रकार, बुद्धिजीवी और अजीत अखबार समूह के कार्यकारी संपादक सतनाम सिंह माणक कहते हैं कि पाकिस्तान के साथ अपने संपूर्ण मतभेदों के बावजूद इस बात के लिए उसकी प्रशंसा करनी चाहिए कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने करतारपुर साहिब गलियारा को खोलने का फैसला लेकर और देश की खराब आर्थिक स्थिति के बावजूद निर्माण कार्य पर पूरे वित्तीय साधन लगाकर एक बड़ी पहल की है। उल्लेखनीय है कि पहली बार भारत-पाकिस्तान के बीच वीजा मुक्त यात्रा का प्रावधान किया गया है जिसके तहत हर रोज हजारों श्रद्धालु भारतीय पंजाब से बगैर वीजा पासपोर्ट पाकिस्तान जा सकेंगे।
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वैसे, इन सुखद सूचनाओं के बीच कुछ आशंकाएं भी फिजा में हैं। अतीत की कुछ परछाइयां डरा भी रही हैं। मसलन, लंबे अरसे तक पंजाब ने आतंकवाद के जख्म सहे हैं। खालिस्तानी आतंकवादियों को पाकिस्तान की खुली शह मिलती रही है। इनमें से कुछ ने वहां पनाह भी ली हुई है। करतारपुर कॉरिडोर की अति लचीली आवाजाही का नाजायज फायदा ऐसे नापाक तत्व उठा सकते हैं। इसीलिए सुरक्षा व्यवस्था के लिए दोनों देशों के आला अधिकारियों की एक संयुक्त कमेटी का गठन प्रस्तावित है। पंजाब पुलिस के एक बड़े अधिकारी ने बताया कि पूर्व आतंकियों और तस्करों के तमाम रिकॉर्ड नए सिरे से खंगाले जा रहे हैं।
जो हो, फिलहाल सिख खासे उत्साही हैं कि उन्हें अपने प्रथम गुरु की कर्मभूमि के खुले दर्शनों का इतना आसान और सुविधाजनक मौका मिलने जा रहा है। गुरु नानकदेव जी 1522 में करतारपुर आए थे और 1539 में उन्होंने चोला त्यागा था। इसी जगह उनकी मजार बनी हुई है, जहां बड़ी तादाद में मुस्लिम समुदाय के लोग भी सजदा करते हैं। करतारपुर में ही उन्होंने पहला गुरुद्वारा बनाया था। वह एक बार रावी की बाढ़ में बह गया था। इसे बाद में महाराजा रणजीत सिंह ने फिर से बनवाया। श्री करतारपुर साहिब सिखों के लिए बहुत महत्व रखता है। अब तक ज्यादातर श्रद्धालु दूरबीन के जरिये ही श्री करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के दर्शन किया करते थे। कॉरिडोर बनने के बाद वे अब रूबरू दर्शन कर सकेंगे।
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