कोरोना वायरस के चलते पहले से ही कई दिक्कतों से जूझ रहा कश्मीर अब और ज्यादा मुसीबत में है। सबसे बड़ी दिक्कत केंद्र सरकार की ओर से किए गए 'नेटबंदी' से दरपेश है। 'नवजीवन' ने फोनवार्ता के जरिए वहां के हालात का जायजा लिया। जम्मू-कश्मीर के प्रमुख अखबार 'कश्मीर टाइम्स' की संचालक-संपादक अनुराधा भसीन ने बताया कि 4-जी पर प्रतिबंध के चलते बेहद दिक्कतें आ रही हैं। लोग डॉक्टरों से संपर्क नहीं कर पा रहे और संदिग्ध मरीज मुश्किलों में हैं।
Published: undefined
अनुराधा भसीन ने बताया कि "पहले से ही कश्मीर 5 अगस्त के बाद लॉकडाउन में है लेकिन अब जबकि पूरी दुनिया डॉक्टरों से इंटरनेट के जरिए अपनी रिपोर्ट्स भेज कर मशवरा कर रही है तो कश्मीर में नेट क्यों नहीं खोला जा रहा।" कोरोना वायरस कश्मीर में भी अपना नागवारा असर दिखा रहा है। कश्मीर में कोरोना वायरस के कुछ संदिग्ध पाए गए हैं। खानियार श्रीनगर की 68 साल की महिला कोरोना वायरस से पीड़ित हैं। बाकायदा मेडिकल जांच के बाद उनमें वायरस पॉजिटिव होने की पुष्टि सरकारी अमले ने की है।
Published: undefined
भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक इस तरह के कई और मामले भी घाटी में हैं, लेकिन केंद्र सरकार और उसके अधीन काम कर रही राज्य सरकार ऐसी सूचनाएं बाहर नहीं आने दे रही। इस संवाददाता ने जम्मू-कश्मीर के बहुत सारे लोगों के साथ बातचीत में पाया कि महामारी के मौजूदा हालात में उनकी एक बड़ी मांग 4-जी बहाल करने की है। इस बाबत हाल ही में रिहा हुए जम्मू-कश्मीर के आला सियासतदान फारूक अब्दुल्ला ने हस्तक्षेप करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखा है।
Published: undefined
कश्मीर में बेतहाशा पाबंदियां हैं, इसलिए लोग खुलकर नाम सहित प्रतिक्रिया देने से गुरेज करते हैं। फिर भी इंडियन डॉक्टर्स एंड पीस डेवलपमेंट के राष्ट्रीय महासचिव और कश्मीर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रमुख डॉक्टर गुलाम मोहम्मद खुलकर कहते हैं, "उम्मीद थी कि इस आपदा के बाद केंद्र का रुख कश्मीर के प्रति नरम होगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। लोगों को नेटबंदी की वजह से डॉक्टरों से परामर्श में दिक्कत आ रही है। कश्मीर में 2-जी चल रहा है लेकिन उसकी रफ्तार भी बेहद धीमी है। जबकि इन हालात में दरकार 4-जी की है। लोग डॉक्टरों से संपर्क नहीं कर पा रहे।"
Published: undefined
कश्मीर के एक नामवर फिजिशियन सिकंदर बट् ने इस संवाददाता को बताया कि उनकी ऑब्जरवेशन के मुताबिक घाटी में लगभग 100 से ज्यादा लोग कोरोना वायरस की जद में हैं लेकिन उनके इलाज के लिए बंदोबस्त नदारद हैं। वह कहते हैं, "इस आलम में हुकूमत को नेटबंदी से पाबंदी मुकम्मल तौर पर हटा लेनी चाहिए क्योंकि सामान्य बीमारियों के मरीज भी डॉक्टरों से संपर्क नहीं कर पा रहे। यहां के 75 फ़ीसदी लोग वैसे भी अवसादग्रस्त हैं। शक के दायरे में आए लोग डॉक्टरों से कैसे राय लें।" एक अन्य डॉक्टर सईदा मुफ्ती के मुताबिक इस वक्त कश्मीर में संपूर्ण नेटबंदी हटाना इसलिए भी अपरिहार्य है कि अवाम का एक-दूसरे से फोन के जरिए संपर्क रहना चाहिए।
Published: undefined
मानवाधिकार कार्यकर्ता जुबिन डार का कहना है कि पूरी दुनिया में कोरोना वायरस की दहशत है और इसके मद्देनजर हर मुल्क ने नेट सर्विस को ज्यादा से ज्यादा सक्रिय कर दिया है लेकिन कश्मीर में बिलकुल उलट है। सरकार ने इस बाबत कश्मीरियों को लावारिस हालात में छोड़ दियाा है। 'नवजीवन' ने श्रीनगर के मेयर जुनैद मट् से कोरोना वायरस के मसले पर बातचीत की। उन्होंने बताया कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को चिट्ठी लिखकर तत्काल प्रभाव से इंटरनेट की 4-जी सेवाएं बहाल करने की गुजारिश की गई है ताकि वायरस से निपटने में मदद मिल सके। उनका कहना है, "आधी-अधूरी नेट सेवाएं दिक्कत कर रही हैं।"। कश्मीर प्रेस क्लब के प्रधान शुजा उल हक का कहना है कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन को समझना चाहिए कि इस समय उच्च गति वाली इंटरनेट सेवा की बेहद दरकार है। आवाम को वक्त पर सही सूचना मिलना जरूरी है ताकि वे कोरोना वायरस के खिलाफ तैयार हो सकें।
Published: undefined
नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुखिया और श्रीनगर लोकसभा सीट से सांसद फारूक अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखें पत्र में कहा है कि वक्त की जरूरत के मुताबिक हाई स्पीड 4जी सर्विस तत्काल बहाल की जाए। उन्होंने लिखा है कि गुरुवार को कोरोना वायरस के पहले मामले का पता चला तो अधिकारियों ने घाटी के बड़े हिस्से को बंद कर दिया। 5 अगस्त 2019 से पाबंदियां चल रही हैं और एक बार फिर कश्मीरियों को पाबंदियों का सामना करना पड़ रहा है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के एक अन्य नेता नजरुदीन आलम कहते हैं, "प्रधानमंत्री लोगों को घर में पढ़ाई/काम की सलाह दे रही हैं जबकि 2-जी की धीमी गति के तहत यह निहायत असंभव है।"
Published: undefined
उधर, पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तजा मुफ्ती ने भी अपनी मां के टि्वटर हैंडल पर लिखा है कि पूरी दुनिया कोरोना वायरस से लड़ रही है लेकिन जम्मू-कश्मीर प्रशासन अब भी कठोर बना हुआ है और 4-जी पर लगा अमानवीय प्रतिबंध हटाने से इंकार कर रहा है। अब इंटरनेट और सूचना एक सुविधा नहीं बल्कि आवश्यकता है। इल्तजा ने सवाल किया है कि क्या कश्मीरियों का जीवन इतना सस्ता है? उनका कहना है कि कश्मीर में सरकार के यह आदेश क्यों लागू नहीं होते कि महामारी के मद्देनजर पूरे देश में इंटरनेट की गति तेज की जाएगी।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined