नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को कहा कि उन्हें उम्मीद है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दल देश में तीन नये आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन पर पुनर्विचार करेंगे।
उमर ने यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि राजग के घटक दल इन नये कानूनों पर पुनर्विचार करेंगे। आखिरकार, ये मानव निर्मित कानून हैं और इन्हें बदला जा सकता है। इनकी समीक्षा होनी चाहिए।’’
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भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) 2023 सोमवार से पूरे देश में प्रभावी हो गए। इन तीनों कानून ने ब्रिटिश कालीन कानूनों क्रमश: भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस हमेशा से इन कानूनों को लेकर आशंकित रही है।
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उन्होंने कहा, ‘‘हमने शुरू से ही इन कानूनों को लेकर अपनी आशंकाएं व्यक्त की हैं। कहते हैं कि कोई भी कानून अपने आप में बुरा नहीं होता। समस्या कानूनों के इस्तेमाल के तरीके से है। लेकिन, आज से जो कानून लागू हो रहे हैं, उनमें पहले के कानूनों के मुकाबले दुरुपयोग की गुंजाइश बहुत ज्यादा है। हमने अक्सर देखा है कि सरकारों को जब भी मौका मिलता है, वे कानूनों का दुरुपयोग करती हैं।’’
उमर अब्दुल्ला ने आरोप लगाया, ‘‘ये सारे कानून पहले जम्मू-कश्मीर के लोगों के खिलाफ इस्तेमाल किए जाते हैं और फिर पूरे देश को इसका असर महसूस होता है। हमें इसके परिणाम भुगतने पड़ेंगे।’’
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