हिंदी के मशहूर साहित्यकार और आलोचक नामवर सिंह का निधन हो गया है। उन्होंने दिल्ली एम्स में मंगलवार रात को आखिरी सांस ली। नामवर सिंह 93 साल के थे। वे पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। जनवरी के महीने में वे अचानक अपने कमरे में गिर पड़े थे। इसके बाद उन्हें दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था। नामवर सिंह के निधन से हिंदी जगत शोक की लहर है। उनके निधन पर वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी ने दुख जताया। उन्होंने ट्विटर पर लिखा ”नायाब आलोचक, साहित्य में दूसरी परंपरा के अन्वेषी डॉ. नामवर सिंह का निधन हो गया है। 26 जुलाई को वो 93 साल के हो जाते। नामवर ने अच्छा जीवन जिया, बड़ा जीवन जिया। नतशीश नमन।”
Published: 20 Feb 2019, 9:24 AM IST
नामवर सिंह के निधन पर कांग्रेस अध्क्ष राहुल गांधी ने शोक व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “नामवर सिंह के निधन से भारतीय भाषाओं ने अपनी एक ताकतवर आवाज खो दी है। समाज को सहिष्णु, जनतांत्रिक बनाने में उन्होंने जिंदगी लगा दी। हिंदुस्तान में संवाद को बहाल करना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी।”
Published: 20 Feb 2019, 9:24 AM IST
दिग्गज साहित्कार नामवर सिंह का जन्म वाराणसी के जीयनपुर गांव में हुआ था (फिलहाल चंदौली जिले में है)। उन्होंने हिन्दी साहित्य में एमए और पीएचडी किया। इसके बाद उन्होंने बीएचयू में बतौर शिक्षक के तौर पर काम किया। 1959 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। नामवर सिंह ने लंबे वक्त तक जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में भी बतौर शिक्षक काम किया। नामवर सिंह की हिन्दी के अलावा उर्दू और संस्कृत भाषा पर अच्छी पकड़ थी।
Published: 20 Feb 2019, 9:24 AM IST
उन्हें साहित्य अकादमी सम्मान से भी नवाजा गया था। बकलम खुद, हिंदी के विकास में अपभ्रंश का योग, आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियां, छायावाद, पृथ्वीराज रासो की भाषा, इतिहास और आलोचना, कहानी नई कहानी, कविता के नये प्रतिमान, दूसरी परंपरा की खोज, उनकी प्रमुख रचनाएं हैं।
Published: 20 Feb 2019, 9:24 AM IST
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Published: 20 Feb 2019, 9:24 AM IST