पूरे देश के जोखिम भरे इलाकों में अपनी जान की बाजी लगाकर लोगों की हिफाजत करने वाले अर्द्धसैनिक बल सीआरपीएफ के छत्तीसगढ़ में तैनात सैकड़ों जवानों को मिलने वाला ‘हाई रिस्क अलाउंस’ रोका जा सकता है। देश के हाई रिस्क जोन में आने वाले छत्तीसगढ़ में तैनात इन जवानों को अब तक हाई रिस्क अलाउंस के तौर पर हर महीने 9,700 रुपये से लेकर 17,300 रुपये मिलते रहे हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ जोन के सीआरपीएफ आईजी ने 22 बटालियनों के मुख्यालय को एक पत्र भेजकर 894 जवानों का हाई रिस्क अलाउंस बिना किसी देरी के रोकने को कहा है। छत्तीसगढ़ के स्पेशल ऑपरेशन जोन (एसओजेड) में सीआरपीएफ की 22 बटालियन तैनात हैं।
Published: 27 Aug 2019, 7:10 PM IST
सीआरपीएफ आईजी ने जवानों की शारीरिक क्षमता पर उठाए सवाल
छत्तीसगढ़ जोन के सीआरपीएफ की आईजी जीएचपी राजू की ओर से सभी बटालियनों को भेजे पत्र में कहा गया है कि इन बटालियनों में तैनात इन 894 जवानों को मिलने वाले हाई रिस्क अलाउंस को फौरन रोक दिया जाए, क्योंकि ये जवान यहां ड्यूटी देने योग्य ही नहीं हैं। आईजी ने कहा कि यह इलाका हाई कॉन्फ्लिक्ट जोन में आता है, इसलिए यहां बेहतर शारीरिक क्षमता वाले जवानों की जरूरत होती है। लेकिन ये जवान निम्न मेडिकल वर्ग में आते हैं। ऐसे में इन नक्सल प्रभावित इलाकों में अक्सर चलने वाले अभियानों को ये जवान प्रभावित करेंगे और कमांडेंट पर इनका भार पड़ेगा। आईजी ने कहा कि इन क्षेत्रों में तत्काल नोटिस पर ऑपरेशन के लिए तैयार रहना पड़ता है और ये 894 जवान अब किसी तरह का रिस्क लेने लायक नहीं हैं।
Published: 27 Aug 2019, 7:10 PM IST
21 अगस्त को आईजी ने भेजा पत्र
इसी महीने की 21 तारीख को जारी पत्र में आईजी ने कहा है कि ये जवान नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में ड्यूटी देने योग्य नहीं हैं, इसलिए इनका हाई रिस्क अलाउंस (आर1एच1) तत्काल खत्म किया जाए। इस पत्र पर अगर अमल हो गया तो इन जवानों को इस माह के वेतन के साथ हाई रिस्क अलाउंस नहीं मिलेगा। आईजी ने ऑडिट का डर दिखाते हुए लिखा है कि अगर अलाउंस को अभी नहीं रोका गया, तो आगे ऑडिट ऑब्जेक्शन लग जाएगा।
Published: 27 Aug 2019, 7:10 PM IST
बटालियन के भीतर ही बेगाना बनाया
वहीं, आईजी के इस कदम से हताश जवानों का कहना है कि नक्सल प्रभावित स्पेशल ऑपरेशन जोन में तैनात होने वाला हर जवान अपनी जान हथेली पर रखकर ड्यूटी करता है। जवानों का कहना है कि इन जंगलों में कब और कहां, किस कैंप पर हमला हो जाए या कब किस टीम या गाड़ी को आईईडी या लांडमाइन्स धमाके में उड़ा दिया जाए, कोई नहीं जानता। जवानों ने नाराजगी दिखाते हुए कहा कि अगर किसी जवान का वजन दो किलो बढ़ गया, या किसी को सर्द-गर्म के असर से हल्की खांसी आ गई या ब्लड प्रेशर या शुगर थोड़ा- ऊपर नीचे हो गया, तो इसका मतलब यह नहीं कि वह जवान किसी लायक नहीं है। जवानों ने कहा कि उन्हें तो इस आदेश ने बटालियन के भीतर ही बेगाना सा बना दिया है। जवान इस बात से व्यथित दिखे कि उन्हें बोझ बताया जा रहा है।
Published: 27 Aug 2019, 7:10 PM IST
सीआरपीएफ मुख्यालय ने जवानों के साथ न्याय का भरोसा दिया
इस पूरे मामले पर सीआरपीएफ के आईजी (मुख्यालय) पीके सिंह का कहना है कि इस प्रस्ताव पर पुनर्विचार किया जाएगा और जवानों के साथ गलत नहीं होगा। उन्होंने बताया कि नियम यही है कि अगर कोई जवान शारीरिक तौर पर फिट नहीं रहता, तो उसे ऐसे क्षेत्र से हटाकर दूसरी जगह ड्यूटी दे दी जाती है। पीके सिंह ने कहा कि इसमें तबादले का प्रावधान भी है, जिससे ऐसे जवान को किसी दूसरे सेक्टर में तैनात किया जाता है। उन्होंने कहा कि जवानों को चिंता करने की जरूरत नहीं, उनके हितों का पूरी तरह ध्यान रखा जाएगा।
पुलवामा आतंकी हमले के बाद बढ़ा था भत्ता
इस साल फरवरी में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों के शहीद होने के बाद गृह मंत्रालय ने सीआरपीएफ जवानों के हाई रिस्क और हार्डशिप अलाउंस में इजाफा किया था। इसके तहत जम्मू-कश्मीर में तैनात सीआरपीएफ जवानों को हवाई यात्रा की सुविधा और देश के किसी भी स्पेशल ऑपरेशन जोन में तैनात जवानों का हाई रिस्क और हार्ड्शिप अलाउंस बढ़ाया गया था। इस बढ़ोत्तरी में सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारियों को हर महीने 9,700 से लेकर 17,300 रुपए बतौर हाई रिस्क या हार्ड्शिप अलाउंस देने का फैसला किया गया था। वहीं इस बढ़ोतरी में अफसरों का भी हाई रिस्क और हार्ड्शिप अलाउंस 16,900 से लेकर 25,000 रुपए तक कर दिया गया था। इससे पहले हाई रिस्क अलाउंस के तौर पर अधिकारियों को 16,900 रुपए और निम्न रैंक वालों को 9,700 रुपए मिलते थे।
Published: 27 Aug 2019, 7:10 PM IST
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Published: 27 Aug 2019, 7:10 PM IST