उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ में रविवार को ग्लेशियर टूटने के बाद बाढ़ प्रभावित इलाकों में बचाव कार्य के लिए सेना उतर गई है। सरकार ने सेना से कहा है कि वह बचाव कार्यों में जिला प्रशासन और केंद्र-राज्य सरकार की आपदा राहत टीमों की मदद करे। इसके अलावा भारतीय वायु सेना भी हर संभव मदद करने के लिए स्टैंडबाय मोड पर है।
सैनिकों को धौलीगंगा के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की ओर भेजा गया है, जहां ग्लेशियर टूटने के बाद बड़े पैमाने पर आई बाढ़ ने तबाही मचा दी है।
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वहीं सेना की एविएशन विंग को हवाई सर्वे करने और फंसे हुए लोगों को निकालने के काम में लगाया गया है। सेना के एक अधिकारी ने कहा, "एक एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर और दो चीता हेलीकॉप्टर फंसे हुए लोगों को निकाल रहे हैं।"
अधिकारी ने कहा कि सेना के लगभग 400 कर्मियों की 4 टुकड़ियां बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में भेज दी गई हैं। भारतीय वायुसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "भारतीय वायु सेना के सी-130 और एएन-32 विमानों का इस्तेमाल राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के कर्मियों को एयरलिफ्ट करने में किया जा रहा है।"
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उत्तराखंड की स्थिति की समीक्षा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और अन्य शीर्ष अधिकारियों से बात कर बचाव और राहत कार्यो का जायजा लिया है।
उन्होंने ट्वीट कर कहा, "मैं उत्तराखंड की दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति को लेकर लगातार निगरानी कर रहा हूं। पूरा भारत उत्तराखंड के साथ खड़ा है और वहां सभी की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करता है। वरिष्ठ अधिकारियों से लगातार बात कर रहे हैं और एनडीआरएफ की तैनाती, राहत और बचाव कार्यो का अपडेट ले रहे हैं।"
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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने ट्विटर पर लिखा, "जिला प्रशासन, पुलिस और आपदा प्रबंधन विभागों को स्थिति से निपटने के लिए निर्देशित किया गया है। किसी भी तरह की अफवाहों पर ध्यान न दें। राज्य सरकार सभी आवश्यक कदम उठा रही है।"
यह घटना जोशीमठ से 26 किमी दूर रेनी गांव के पास हुई है। इससे धौलीगंगा नदी में बाढ़ आ गई है और नदी के किनारे के कई घर बह गए हैं।
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इससे पहले आईटीबीपी ने सुबह करीब 10 बजे कहा था कि बादल फटने या जलाशय टूटने के कारण धौलीगंगा में बाढ़ आई है। बता दें कि यह नदी गंगा नदी की 6 स्रोत धाराओं में से एक है। 85 किमी लंबी यह नदी उत्तराखंड में जोशीमठ पर्वत के बेस विष्णुप्रयाग में अलकनंदा नदी से मिलती है। खबरों में यह भी कहा गया था कि ग्लेशियर टूटने के बाद ऋषि गंगा पनबिजली परियोजना में काम करने वाले कई मजदूरों के लापता होने की आशंका है।
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