साल 1966 में हरियाणा के गठन के तकरीबन 53 साल बाद पहली बार विधानसभा अध्यक्ष के स्तर पर पंजाब से विधानसभा की इमारत में हरियाणा का हक देने की मांग की गई है। यह मांग हरियाणा विधानसभा के स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने पंजाब असेंबली के स्पीकर राणा केपी सिंह से मिलकर की है। हरियाणा और पंजाब के बीच पहले ही राजधानी चंडीगढ़, हिंदी भाषी क्षेत्र और एसवाईएल नहर जैसे संवेदनशील मुद्दे अटके पड़े हैं, जिनका निपटारा नहीं हो पाया है। अब पंजाब विधानसभा भवन में हरियाणा के अपना हक मांगने के बाद दोनों राज्यों के बीच एक और मोर्चा खुलने की आशंका प्रबल हो ग है।
बीते 6 दिसंबर को हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता पंजाब विधानसभा के स्पीकर राणा केपी सिंह से मुलाकात के बाद सदन में ही मीडिया से रूबरू हुए। ज्ञान चंद गुप्ता ने बताया कि हमने राणा केपी सिंह से मिलकर यह मांग रखी है कि अब हमारी विधानसभा का स्टाफ ज्यादा है, लिहाजा हमारे पास जगह की बेहद कमी है। इसके मद्देनजर हमें हमारा हिस्सा दिया जाए, जो विधानसभा के बंटवारे के वक्त तकरीबन 60 और 40 के अनुपात में था। मतलब संयुक्त पंजाब की विधानसभा इमारत का 60 प्रतिशत हिस्सा पंजाब को मिला था और 40 फीसदी हिस्सा हरियाणा को मिला था। ज्ञानचंद गुप्ता ने बताया कि बेशक संयुक्त पंजाब विधानसभा इमारत का 40 फीसदी क्षेत्र हमें मिला था, लेकिन मौजूदा वक्त में हमारे कब्जे में तकरीबन 27 प्रतिशत ही है। 13 फीसदी हमें मिला ही नहीं।
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हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष ने राणा केपी सिंह से कहा है कि रिकॉर्ड के मुताबिक पंजाब एवं हरियाणा विधान भवन इमारत का कुल क्षेत्रफल 66430 स्क्वॉयर फीट है। इस इमारत का बंटवारा 17 अक्टूबर 1966 को पंजाब के राज्यपाल कार्यालय में तत्कालीन चीफ इंजीनियर (कैपिटल प्रोजेक्ट) ने तीन भागों में किया था। इसके मुताबिक पंजाब विधानसभा सचिवालय को 30890 स्क्वॉयर फीट, पंजाब विधान परिषद सचिवालय को 10910 स्क्वॉयर फीट और हरियाणा विधानसभा सचिवालय को 24630 स्क्वॉयर फीट हिस्सा मिला।
इसके अलावा पंजाब को यह भी याद दिलाया गया कि इस आनुपातिक बंटवारे के बावजूद हरियाणा विधानसभा के लिए आवंटित कक्ष अभी भी पंजाब विधानसभा के पास हैं। विधान भवन इमारत के भूतल (बेसमेंट) में चार कमरे कक्ष संख्या 23 से 26 तक हरियाणा विधानसभा के लिए आवंटित हैं, जबकि उसके कब्जे में महज दो कमरे 24 और 25 ही हैं। 23 और 26 पंजाब विधानसभा के पास हैं। निचली मंजिल (ग्राउंड फ्लोर) में भी चार कमरे कक्ष संख्या 27 से 30 तक हरियाणा के लिए आवंटित हैं, जबकि एक भी उसके पास नहीं है। सभी कमरे पंजाब के पास हैं।
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इसी तरह पहली मंजिल में 14 कमरे कक्ष संख्या 99 से 104 और 106 से 113 तक हरियाणा विधानसभा के लिए आवंटित हुए थे, जिनमें से भी एक भी उसके पास नहीं है। सभी 14 कमरे पंजाब विधानसभा के पास हैं। विधान भवन की दूसरी मंजिल पर 6 कमरे कक्ष संख्या 154 से 156 तक और 158 से 160 तक हरियाणा के लिए आवंटित हुए थे। यह सभी कमरे भी पंजाब के पास हैं, जबकि आपसी सहमति से दूसरी मंजिल पर पंजाब के सात कमरे कक्ष संख्या 129 से 135 तक हरियाणा के पास हैं।
ज्ञान चंद गुप्ता ने पंजाब के स्पीकर से कहा है कि पंजाब और हरियाणा दोनों के विधानसभा सचिवालयों की कार्य की प्रकृति भी एक समान होने के कारण कर्मचारियों की संख्या भी लगभग बराबर है। लेकिन जगह की कमी के कारण हरियाणा के कर्मचारियों और विधायकों को विधानसभा में काम करने में मुश्किल होती है। विशेषकर सत्र के दौरान मंत्री आपात स्थिति में अपने विभाग की बैठक बुलाने में असमर्थ होते हैं। हरियाणा के स्पीकर ने मांग की कि इन हालातों के मद्देनजर हरियाणा के हिस्से की जगह, जो पंजाब विधानसभा के नियंत्रण में है, उसे दी जाए। मीडिया से ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि हमें उम्मीद है कि हमारा बड़ा भाई पंजाब छोटे भाई हरियाणा को उसका बनता हक दे देगा। पंजाब विधानसभा अघ्यक्ष ने उन्हें इसका पूरा आश्वासन भी दिया है।
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लेकिन क्या यह सब इतना ही आसान है। पंजाब और हरियाणा के बीच पहले से ही कई मुद्दों पर पेंच फंसा हुआ है। एसवाईएल नहर को लेकर दोनों प्रदेश कई आंदोलन झेल चुके हैं। अगले महीने जनवरी में एसवाईएल नहर को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाला है, जिसे लेकर भी माहौल गर्म होने लगा है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पंजाब पर टालमटोल करने का आरोप लगाते हुए हमला बोल चुके हैं। अब राज्य के गठन के बाद पहली बार विधानसभा भवन में हरियाणा ने अपना हक मांग कर पंजाब के साथ एक और नया फ्रंट खोल दिया है।
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