मानवाधिकार कार्यकर्ता और सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज (सीएसई) के संस्थापक हर्ष मंदर को लेकर केंद्र सरकार हमलावर हो गई है। आयकर विभाग ने सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज को नोटिस दिया है जिसमें यह कहा गया है कि उनकी संस्था द्वारा दाखिल किए गए 2016-17 के इनकम टैक्स रिटर्न को संपूर्ण जांच के लिए चुना गया है। आयकर विभाग ने उन्हें इस संबंध में मौजूद कोई भी जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है।
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इस समय हर्ष मंदर कारवां-ए-मोहब्बत निकाल रहे हैं, जो अल्पसंख्यक समुदाय पर हो रहे हमलों के खिलाफ जनमत जुटाने का अभियान है।
आयकर विभाग द्वारा सीएसई को नोटिस दिए जाने के बारे में हर्ष मंदर ने नवजीवन को बताया, ‘यह सरकार द्वारा बदले की कार्रवाई है। हमारी संस्था बहुत छोटी है। वे संस्था बंद कराना चाहते हैं तो बंद करा दें, लेकिन वे हमारी आवाज को नहीं दबा पाएंगे। जनता का विरोध जारी रहेगा और हम मोहब्बत की बात करते रहेंगे।’
उन्होंने आगे कहा, ‘कारवां-ए-मोहब्बत का जत्था जब राजस्थान में पहलू खान को श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचा तब एनडीटीवी के एक कार्य़क्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक राकेश सिन्हा ने सीधs-सीधे मुझे यह धमकी दी थी कि हमें बहुत विदेशी धन मिलता है और अब वह इसकी संपूर्ण जांच कराएंगे। और इस धमकी के तीन दिन के भीतर हमें यह नोटिस मिल गया।’
नोटिस की भाषा से यह स्पष्ट है कि आयकर विभाग ने गहनता से जांच करने की तैयारी कर रखी है। सीएसई जो बुनियादी रूप से एक शोध और अध्ययन केंद्र है, वह इस जांच का सामना कैसे करता है, यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा। फिलहाल सामाजिक कार्यकर्ताओं और बौद्धिकों के बड़े हिस्से में इसे सरकार की तरफ से बदले की कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है।
लोगों का मानना है कि इसकी सुगबुगाहट कारवां-ए-मोहब्बत की शुरुआत में ही मिलने लगी थी। असम से शुरू हुई यह यात्रा जब उत्तर भारत में पहुंची तो इसे कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। राजस्थान में दो जगहों पर उग्र हिंदुत्व के कार्यकर्ताओं ने कार्यक्रम को बाधित करने की कोशिश की और कारवां को आयोजन में तब्दील तक करना पड़ी। गुजरात में तो बेहद खौफ का माहौल बना दिया गया। हर्ष मंदर ने बताया कि वहां जिन हॉलों की बुकिंग बैठकों के लिए की गई थी, वे भी रद्द कर दी गईं। सरकार के इस रवैये से साफ हो गया था कि वे कोई बड़ा कदम उठाने वाले हैं।
कारवां-ए-मोहब्बत के साथ सफर करने वाले युवा कपिल का कहना है कि जहां-जहां हम गए वहां लोगों में, खासतौर से अल्पसंख्यक समुदाय में खौफ था। कारवां इस खौफ को कम करने का काम कर रहा था। दिलों को जोड़ने का काम कर रहा था। शायद यह सत्ता में बैठे लोगों को बहुत नागवार गुजरा, इसलिए हमें डराने के लिए यह नोटिस भेजा गया है।
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