राफेल सौदे पर एचएएल के चेयरमैन आर माधवन ने एक बार फिर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि जिस वक्त फ्रांस से 126 राफेल विमान खरीदने की बात चल रही थी उस वक्क एचएएल इस विमान को बनाने में सक्षम था। लेकिन तुरंत डिलीवरी के लिए सरकार (मोदी सरकार) ने 36 विमान से खरीद लिए।
एचएएल के चेयरमैन का यह बयान बेहद अहम है, क्योंकि मोदी सरकार ने संस्थान की क्षमता पर सवाल खड़े किए थे। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि एचएएल के पास फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट एविएशन के साथ मिल कर भारत में राफेल लड़ाकू विमान के विनिर्माण के लिए जरूरी क्षमता ही नहीं थी और सार्वजनिक क्षेत्र की यह कंपनी काम की गारंटी देने की स्थिति में नहीं थी।
Published: 22 Dec 2018, 1:37 PM IST
यही सवाल कांग्रेस लगातार उठा रही है। कांग्रेस का कहना है कि अगर एचएएल राफेल विमान को बनाने में सक्षम था तो उसकी बजाय डसॉल्ट एविएशन ने रिलायंस ग्रुप की कंपनी को ऑफसेट पार्टन क्यों बनाया। कांग्रेस का आरोप है कि पीएम मोदी के कहने पर ही अंनिल अंबानी की कंपनी को डसॉल्ट एविएशन ने ऑफसेट पार्टनर बनाया था। कांग्रेस का कहना है कि जिस कंपनी को विमान बनाने का कोई तजुर्बा नहीं है, उसे ऑफसेट पार्टनर बना दिया गया। वहीं विमान बनाने वाली एचएएल जैसी कंपनी को एक झटके में बाहर कर दिया गया।
कांग्रेस पूरे मामले की जांच के लिए जेपीसी की गठन की मांग कर रही है। कांग्रेस का कहना है कि बिना जेपीसी के गठन के सौदे में हुई गड़बड़ियों को सामने नहीं लाया जा सकात है।
Published: 22 Dec 2018, 1:37 PM IST
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Published: 22 Dec 2018, 1:37 PM IST