गुजरात हाई कोर्ट ने केंद्र की मोदी सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस देकर पूछा है कि क्या ईवीएम और वीवीपैट के बिना गुजरात में चुनाव कराए जा सकते हैं या नहीं और साथ ही यह भी पूछा कि खराब ईवीएम और वीवीपैट को सील किया जा सकता है या नहीं। हाईकोर्ट ने गुजरात चुनाव आयोग को भी नोटिस भेजा है। कांग्रेस की गुजरात इकाई की याचिका पर नोटिस जारी कर हाईकोर्ट ने सभी से 13 नवंबर तक जवाब देने को कहा है। गुजरात विधानसभा की 182 सीटों के लिए 9 और 14 दिसंबर को चुनाव होने हैं।
कांग्रेस की गुजरात इकाई ने हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल कर अनुरोध किया था कि दोषपूर्ण पाई गई ईवीएम और वीवीपैट सील की जायें और उनका विधानसभा चुनावों में इस्तेमाल न हो।
याचिका दायर करने वाले वकील पी एस चंपानेरी ने फोन पर बताया कि खराब ईवीएम का चुनावों में इस्तेमाल न सिर्फ अनैतिक होगा, बल्कि संविधान की धारा 19(1) से मिलने वाले बुनियादी अधिकारों का हनन भी होगा। उन्होंने पूछा है कि, “संविधान के तहत अभिव्यक्ति की आजादी है, लेकिन अगर वोटिंग मशीनों से छेड़छाड़ की गई होगी तो कोई स्वतंत्रता से अपनी मर्जी से चुनाव में किसी को कैसे वोट दे पाएगा?”
इस याचिका पर गुजरात हाईकोर्ट के न्यायाधीश अकील कुरैशी और ए जे कागजी की बेंच ने नोटिस जारी किए हैं।
कांग्रेस ने याचिका में कहा है कि कुल 70182 वीवीपैट यानी मतदाता सत्यापन जांच पर्ची इकाइयों में करीब सात प्रतिशत पहले स्तर की जांच के दौरान ही खराब या दोषपूर्ण पाई गईं। साथ ही ईवीएम और इनकी नियंत्रण इकाइयां भी दोषपूर्ण या खराब पाई गईं। कांग्रेस ने इन्हें सील करने की मांग करते हुए चुनाव में इनका इस्तेमाल न करने की मांग भी की है।
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याचिका के मुताबिक “गुजरात के मुख्य निर्वाचन अधिकारी बी बी स्वाईं और गुजरात के चुनाव आयुक्त ने खुद ही अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कुल 75,196 मशीनों में से 2907 मशीनें खराब पाई गईं, जबकि 62,666 नियंत्रण इकाइयों में से 3245 खराब पाई गईं। इसके अलावा 70,182 वीवीपैट में से 3550 खराब निकलीं।”
चंपानेरी का कहना है कि, “खराब वीवीपैट की सबसे ज्यादा प्रतिशत जामनगर, देवभूमि, द्वारका और पाटन जिलों में पाया गया है। कुल 70,182 वीवीपैट इकाइयों में से 46,000 को सड़क के रास्ते या दूसरे माध्यमों से एक जगह से दूसरी जगह भेजा गया है, ऐसे में इन मशीनों से छेड़छाड़ की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।”
याचिका में कांग्रेस ने अदालत से अपील की है कि कि वह या तो आयोग को निर्देश दे या खुद एक विशेषज्ञ समिति गठित करके इन दोषपूर्ण मशीनों के बारे में फैसला करे, ताकि इनसे कोई गड़बड़ी नहीं हो सके।
यहां बताना लाजिमी है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्दश के बाद ही चुनाव आयोग ने पहली बार किसी राज्य में सभी बूथों पर वीवीपैट की व्यवस्था करने का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में चुनाव आयोग को 2014 के लोकसभा चुनाव में चरणबद्ध तरीके से ईवीएम में वीवीपैट का इस्तेमाल करने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वीवीपैट से मतदान प्रक्रिया की सटीकता प्रमाणित की जा सकेगी।
गौरतलब है कि हाल ही में हार्दिक पटेल ने भी इस बारे में में ट्वीट किया था। उन्होंने लिखा था, “पहले लेवल टेस्ट में ही चुनाव आयोग की 3500 VVPAT मशीनें फेल हुई हैं, मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि बीजेपी अब चुनाव में गोलमाल करके ही जीतेगी।”
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