अपने आप में गौरवशाली इतिहास समेटे राजा हसन खां मेवाती की धरती हरियाणा के मेवात (नूंह) में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के कदम पड़ने के साथ मानों लोगों की उम्मीदें परवान चढ़ने लगीं। बेइंतहा बेरोजगारी, पिछड़ापन, अपराध और गौ तस्करी के नाम पर लिचिंग का दर्द अपने सीने में लिए मेवातियों के जैसे जज्बात ही छलक पड़े। लोगों से यह कहते सुना गाय कि कोई तो है, जो उनकी सुध लेने आया है। गांव, गरीब, मजदूर, बेरोजगार के हालात जमीन पर जानने-समझने आया है।
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राहुल गांधी की भारत जोड़ा यात्रा के राजस्थान से हरियाणा के मेवात में प्रवेश करते ही लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा। राहुल गांधी की एक झलक पाने और अपने दिल का दर्द उनके साथ साझा करने के लिए लोग बिना थके हाड़ कंपाती ठंड में भी भारी संख्या में लोग घंटों कतार में खड़े रहे। मेवातियों के दामन में जबरन उड़ेल दिए गए अनगिनत दागों की पीड़ा साझा करने की लोगों में छटपटाहट थी। एक थ्योरी के तहत राम और कृष्ण के भी वंशज माने जाने वाले राम के ही विरोधी ठहरा दिए गए। यहां के मेव मुसलमान राहुल गांधी में उम्मीद की वह किरण ढूंढते नजर आए, जो उन्होंने आज वक्त की जरूरत बताई। नरयाला गांव के प्रधान हनीफ कहते हैं कि आज समाज में जो जहर फैलाया जा रहा है, उसे खत्म करने की जरूरत है। राहुल गांधी यही तो करने निकले हैं। सड़क पर निकले राहुल लोगों की मुश्किलों को समझ पाएंगे। जनता परेशान है। महंगाई ने कमर तोड़ दी है। 266 रुपये में मिलने वाला यूरिया खाद आज 500 रुपये में बिक रहा है। वह भी मिल नहीं रहा।
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फिरोजपुर झिरका अनाज मंडी में मिले युवा मौसिम कहते हैं कि वह बेरोजगार हैं। धक्के खा-खा कर अब हार मान ली है। वहीं मिले शिक्षा सहायक ईसब खान कहते हैं कि इस तरह की यात्रा तो हर दो साल में होनी चाहिए। बीजेपी का तो मेनीफेस्टो ही यही है कि नफरत फैलाओ। ब्रिटिश हकूमत के वक्त ऐसी ही यात्राएं और आंदोलन हुए थे, जिससे देश आजाद हुआ था। आज फिर ऐसी ही यात्राओं की जरूरत है। आज राहुल गांधी यही काम कर रहे हैं। देश में हालात ही ऐसे पैदा कर दिए गए हैं।
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मेवात के बेहद पिछड़े होने का दर्द भी सभी में एक जैसा था। यह दर्द भी वह राहुल गांधी से साझा करना चाह रहे थे। लोगों का कहना था कि ग्लोबल सिटी का दर्जा प्राप्त गुरुग्राम के साथ लगते मेवात की यह हालत किसी की भी समझ से परे है। इसे तो ऐसे छोड़ दिया गया है मानो वह कोई अलग देश हो। उड़ती धूल और सड़कों में गड्ढे मेवात के विकास की कहानी खुद-ब-खुद कहते हैं। ईसब खान कहते हैं कि मेवात में कोई रोजगार का साधन नहीं है। कोई कारोबार यहां नहीं है। सिर्फ खेती और ट्रक ड्राइवरी यहां जीवन चलाने का अहम जरिया है। बेरोजगारी बेइंतहा है। किसान आत्महत्या कर रहे हैं, लेकिन सरकार कोई आंकड़ा नहीं बताएगी। अस्पताल खस्ता हैं। ईसब खान एक आंकड़ा देते हैं कि मेवात में 111 स्कूलों में टीचर नहीं हैं। 99 स्कूल ऐसे हैं, जहां एक टीचर है। 68 स्कूल ऐसे हैं, जिनके पास अपनी बिल्डिंग नहीं है। मेवात से गुजरने वाला गुरुग्राम-अलवर एनएच-248 अभी तक सिंगल रोड ही है। ईसब ने एक और आंकड़ा दिया कि जर्जर होने के चलते चार साल में इस रोड में 800 मौतें हादसों में हो चुकी है। इसी के चलते इस रोड का नाम ही खूनी रोड पड़ गया है।
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जाहुल हक कहते हैं कि दिल्ली से सटे होने के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी ने 8 साल में एक बार भी मेवात आना मुनासिब नहीं समझा। इनका तो काम ही नफरत फैलाना है। सलामुद्दीन कहते हैं कि 8 साल में इन्होंने समाज में इतनी खटास पैदा कर दी है। यह तो हमें अच्छे दिन देने का वादा करके सत्ता में आए थे, जिनका हम आज भी इंतजार कर रहे हैं। प्रवीण कहते हैं कि राहुल गांधी कोई अपने लिए तो यात्रा कर नहीं रहे हैं। इससे उन्हें अमीर-गरीब, किसान-मजदूर सभी के जमीनी हालात पता चलेंगे। यहां की जर्जर सड़कों के साथ ही सरकार के काम करने के अंदाज को भी वह नजदीक से समझ सकेंगे। दीपक का कहना था कि इस तरह की यात्राओं से समाज में बना दिए गए जातिवाद और सांप्रदायिक माहौल में बदलाव आएगा।
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मेवात के हिंदू और मुसलमान समुदाय में एक बात समान दिखी कि यहां के लोग सामाजिक सद्भाव को लेकर लोग चिंतित हैं। ताहिर कहते हैं कि यात्रा से समाज में बिगड़ चुके भाईचारे को लेकर सकारात्मक संदेश जाएगा। मेवात में पानी, रोड और बेरोजगारी की गंभीर समस्या को वह जान पाएंगे। हर दूसरे दिन यहां हादसे होते हैं, जिनमें लोग मर रहे हैं। अनुबंध के तहत बिजली विभाग में कार्यरत वसीम कहते हैं कि इस तरह की यात्राओं से बदलाव तो आता है। आखिर किसी को तो अगुवाई करनी पड़ेगी। महंगाई से लेकर भ्रष्टाचार और बेरोजगारी की स्थिति गंभीर है। नौकरी में रेगुलर करने की वह मांग करते हैं तो पुलिस की लाठियां पड़ती हैं। मेवात में अपराध अधिक होने की बदनामी का भी लोगों में यहां दर्द दिखा। वसीम कहते हैं कि मेवात पर यह आरोप थोपा गया है। कोई मेवात आकर तो देखे। यहां जो भी आता है वह मेवात में भाईचारे और मोहब्बत की मिसाल देता है। मेवात के पिछडेपन का दर्द बयां करते हुए वसीम कहते हैं कि मेवात में कोई यूनिविर्सिटी नहीं है। मेवात के लोगों ने रेल की सीटी तक नहीं सुनी। यहां रेल चलाने की मांग करते-करते लोग थक चुके हैं। किसानों को बिजली भी मेवात में महज 6 घंटे मिलती है। सिंचाई के लिए कोई नहर तक नहीं है।
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मेवात के लोगों पर गौ तस्करी में शामिल होने के लगते आरोपों की पीड़ा यहां लोगों में साफ दिखी। गौ तस्करी के आरोप पर ही पूरे देश में चर्चित हुए पहलूखान की लिचिंग का मामला यहां लोग भूले नहीं हैं। लोगों का कहना था कि गौ तस्करी में शामिल होने का आरोप लगाते हुए एक खास संगठन के लोग अक्सर यहां किसी को भी उठा लेते हैं। फिर उन्हें पुलिस भी प्रताडि़त करती है। कोई ऐसा दरवाजा नहीं है, जहां वह अपनी पीड़ा बता सकें या शिकायत दर्ज करवा सकें।
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