कांग्रेस अडानी और पीएम मोदी के रिश्ते को लेकर लगातार हमलावर है। संसद में इस मुद्दे को लेकर सभी विपक्ष दल एक हैं और सरकार से जेपीसी जांच की मांग कर रहे हैं। लेकिन सरकार इसके लिए तैयार नहीं है। वहीं पार्टी सोशल मीडिया के जरिए “हम अडानी के हैं कौन" श्रृंखला के तहत हर दिन पीएम मोदी से तीन सवाल पूछ रही है। इसी क्रम में पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने शनिवार को भी सवाल पूछे।
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अपने पहले सवाल में कांग्रेस ने कहा कि 'गृह मंत्री अमित शाह ने 17 मार्च 2023 के एक इंटरव्यू में कहा कि जिस किसी के पास अडानी समूह के गलत कार्यों के सबूत हैं, वह उन्हें सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 2 मार्च 2023 को गठित 'विशेषज्ञ समिति' के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए स्वतंत्र है। आपको याद दिलाने के लिए बता दें कि समिति को क्या करने के लिए आदेशित किया गया है। निवेशकों की जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए उपाय सुझाना। यह जांच करना कि क्या अडानी ग्रुप या अन्य कंपनियों के संबंध में सिक्योरिटीज़ मार्केट से संबंधित कानूनों के कथित उल्लंघन से निपटने में विनियामक विफलता हुई है। वैधानिक और नियामक ढांचे को मजबूत करने के लिए और निवेशकों की सुरक्षा के लिए मौजूदा ढांचे के सुरक्षित अनुपालन के लिए उपाय सुझाना।'
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कांग्रेस ने आरोप लगाया कि, विशेषज्ञ समिति को दिए गए आदेश में उन आरोपों का ज़िक्र तक नहीं है कि कैसे मोदी सरकार ने अपने परम मित्र और फाइनेंसर गौतम अडानी को समृद्ध करने के लिए हर तरह से मदद की है। पार्टी ने कहा कि सरकार ने नियामकों और जांच एजेंसियों पर दबाव डाला है कि वे अडानी द्वारा किए गए घोर ग़लत कामों पर आंख मूंद लें, चाहे वह शेल कंपनियों के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग हो या उन चीनी नागरिकों के साथ संदिग्ध संबंध, जिन पर अन्य चीजों के अलावा चीन और पाकिस्तान के सहयोगी उत्तर कोरिया के साथ अवैध व्यापार के आरोप हैं। पार्टी ने आगे कहा कि आपने उपभोक्ताओं और करदाताओं की कीमत पर बंदरगाहों, हवाई अड्डों, रक्षा और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में एकाधिकार देकर केंद्र, राज्य और विदेशी सरकारों को अडानी समूह के व्यापार को बढ़ावा देने के लिए मजबूर किया है। कांग्रेस ने पीएम मोदी से पूछा कि, 'फिर आपके करीबी राजनीतिक सहयोगी और देश के गृह मंत्री भारत की जनता को गुमराह क्यों कर रहे हैं? विशेषज्ञ समिति के सीमित दायरे को ग़लत तरीके से पेश करके, क्या आप दोनों कवर-अप के लिए ज़मीन तैयार कर रहे हैं?'
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दूसरे सवाल में पार्टी ने जेपीसी जांच की मांग करते हुए कहा, सेबी और अन्य जांच एजेंसियों द्वारा की गई जांच विशेषज्ञ समिति के औपचारिक अधिकार क्षेत्र में नहीं हैं। इसके पास सम्मन करने, साक्ष्य के लिए दबाव डालने या गवाहों की जिरह करने की शक्ति नहीं है। साथ ही इस समिति के समक्ष दिए गए बयान भी अदालत में मजबूत साक्ष्य की तरह नहीं होंगे। सबसे बड़ी बात, सुप्रीम कोर्ट ने सेबी अध्यक्ष को "यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि समिति को सभी आवश्यक जानकारी प्रदान की जाए।" इसके अलावा "वित्तीय विनियमन, वित्तीय एजेंसियों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों से जुड़ी एजेंसियों सहित केंद्र सरकार की सभी एजेंसियों" को सहयोग करने को कहा गया है। हम आपको याद दिलाना चाहते हैं कि मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमणा ने 25 अगस्त 2022 को कथित तौर पर कहा था कि आपकी सरकार ने भारत में पेगासस के अवैध उपयोग की जांच करने वाली समिति के साथ सहयोग करने से इनकार कर दिया था, जिससे एक ख़तरनाक मिसाल कायम हुई। इस इतिहास को देखते हुए, क्या यह स्पष्ट नहीं है कि अडानी घोटाले की व्यापक जांच करने का एकमात्र तरीक़ा उपयुक्त शक्तियों वाली संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) है?
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कांग्रेस ने कहा कि उम्मीद है कि विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट, जिसे दो महीने में एक 'सीलबंद कवर' में प्रस्तुत किया जाना है, का हश्र पिछली रिपोर्ट्स के जैसा न हो। पेगासस रिपोर्ट अभी तक सामने नहीं आई है, हालांकि इसे जुलाई 2022 में प्रस्तुत कर दिया गया था। इस बात की क्या गारंटी है कि अडानी मामले में ऐसा नहीं होगा? इन सभी प्रासंगिक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए क्या यह आवश्यक नहीं है कि इस मामले की जांच जेपीसी करे?
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