क्या आपने कभी सुना है कि किसी राज्य में सरकार का कामकाज ठप पड़ा हो और राज्य का मुख्यमंत्री अपनी खराब सेहत के कारण कामकाज करने की स्थिति में न हो, ऐसे वक्त में विपक्षी दल के विधायक इस्तीफा दे दें। लेकिन ऐसा हुआ है गोवा में, और इसके सूत्रधार और कोई नहीं बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह हैं।
सर्वविदित है कि गोवा में बीजेपी की मनोहर पर्रिकर सरकार पर सत्ता खोने की तलवार लटक रही है। सोमवार को खबर आई कि कांग्रेस के दो विधायकों, दयानंद सोप्ते और सुभाष शिरोडकर ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। दोनों ने कहा कि वे अपनी मर्जी से और बिना किसी दबाव के इस्तीफा दे रहे हैं।
इस बारे में गोवा कांग्रेस अध्यक्ष गिरीश चोडनकर ने कहा, “यह सीधे विधायक तोड़ने की रणनीति है। गोवा में बीजेपी की अल्पमत सरकार को बचाने के लिए अमित शाह किसी भी हद तक जा सकते हैं।”
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर दिल्ली एम्स में इलाज छोड़कर जब से गोवा वापस लौटे हैं तब से गोवा में बीजेपी काफी परेशान नजर आने लगी है। सत्ता खोने का भय बीजेपी खेमे में साफ नजर आ रहा है। गिरीश चोडनकर कहते हैं, “बीजेपी जानती है कि गोवा में उनकी सत्ता के अब गिने-चुने दिन ही बचे हैं। बात सिर्फ दो-तीन दिनों की ही रह गई है, इसीलिए अमित शाह ने विधायकों को तोड़ने का हथकंडा अपनाया है।” उन्होंने कहा कि राज्य में सरकार के खिलाफ गुस्सा बढ़ रहा है, ऐसे में विपक्षी सदस्यों का इस्तीफा होना और विधानसभा अध्यक्ष द्वारा तुरत-फुरत इसे स्वीकार कर लेना बीजेपी की घबराहट दर्शाता है।
इन विधायकों का इस्तीफा स्वीकार करते हुए विधानसभा अध्यक्ष प्रमोद सावंत ने कहा, “मुझे दो कांग्रेस विधायकों दयानंद सोप्ते और सुभाष शिरोडकर के इस्तीफे मिले हैं। उन्होंने पुष्टि की है कि वे ऐसा अपनी मर्जी और बिना किसी दबाव के कर रहे हैं। मैंने इस्तीफे मंजरू कर लिए हैं। बाकी प्रक्रिया पूरी कर इसकी प्रति सदन के सभी सदस्यों, राजभवन और चुनाव आयोग को उपलब्ध करा दी जाएगी।”
दो विधायकों के इस्तीफे के बाद 40 सदस्यों वाली विधानसभा की क्षमता अब सिर्फ 38 रह गई है और ऐसे में बहुमत के लिए सिर्फ 20 सदस्य ही चाहिए। विधानसभा में अब कांग्रेस और बीजेपी के 14-14 विधायक, एमजीपी ओर गोवा फार्वर्ड के 3-3 विधायकों के अलावा तीन निर्दलीय विधायक हैं।
इन इस्तीफों से पहले तक कांग्रेस 16 विधायकों के साथ गोवा विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी थी, लेकिन अब उसके और बीजेपी के विधायकों की संख्या बराबर हो गई है। गोवा कांग्रेस अध्यक्ष का कहना है कि, “बीजेपी द्वारा ऐसा करना कोई नई बात नहीं है। उन्होंने सत्ता हासिल करने के लिए हर बार संवैधानिक नियमों को ताक पर रखा है। चुनाव के बाद कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी थी, लेकिन राज्यपाल ने कांग्रेस के बजाए बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता दिया। और अब जबकि राज्य में कामकाज ठप है, क्योंकि मुख्यमंत्री की सेहत सही नहीं है, तो बीजेपी ने शक्ति परीक्षण के बजाए कांग्रेस विधायकों को तोड़कर उनके इस्तीफे करा दिए।”
इन दोनों विधायकों के इस्तीफे के बावजूद कांग्रेस को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में उसकी सरकार बन जाएगी। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि उनके पास अपने 14 विधायकों के अलावा एमजीपी के 3 और एनसीपी के एक विधायक का समर्थन है। साथ ही उसे भरोसा है कि शक्ति परीक्षण के दौरान कम से कम दो निर्दलीय विधायक उसका समर्थन करेंगे।
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गिरीश चोडनकर कहते हैं कि, “बीजेपी और अमित शाह ज्यादा दिनों तक गोवा के लोगों को मूर्ख नहीं बना सकते। गोवा में अब बीजेपी की सरकार बनना तो दूर, बीजेपी विधायकों को अपने चुनाव क्षेत्र जाने में दिक्कत होने वाली है, क्योंकि लोगों का गुस्सा उबाल पर है।”
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