पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का सख्त कोविड-19 एहतियाती नियमों का अनुपालन करते हुए पूरे सैन्य सम्मान के साथ राजधानी के लोधी रोड श्मशान घाट पर मंगलवार दोपहर अंतिम संस्कार कर दिया गया। भारत रत्न से सम्मानित भारत के 13वें राष्ट्रपति रहे मुखर्जी का इलाज के दौरान सेना के आर एंड आर अस्पताल में सोमवार को निधन हो गया था। वह 84 साल के थे।
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प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी ने 21 तोपों की सलामी के बीच उनका अंतिम संस्कार किया। कोरोना के मद्देनजर केवल परिवार के सदस्यों के अलावा परिवार के करीबियों को ही श्मशान घाट में प्रवेश करने की अनुमति थी।
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इससे पहले, कोविड-19 एहतियाती प्रोटोकॉल के बाद, राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई शीर्ष नेताओं ने मुखर्जी को उनके 10, राजाजी मार्ग स्थित आवास पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
इसके अलावा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत ने भी श्रद्धांजलि देकर पूर्व राष्ट्रपति को अंतिम विदाई दी।
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इन सबके अलावा प्रणब दा के साथ लम्बे समय तक काम कर चुके पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, शशि थरूर, अधीर रंजन चौधरी, सीपीआई महासचिव डी.राजा, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कई अन्य ने भी मुखर्जी को श्रद्धांजलि दी।
मस्तिष्क सर्जरी के बाद हफ्तों तक कोमा में रहने के बाद मुखर्जी का सोमवार शाम को निधन हुआ। 13वें राष्ट्रपति के पार्थिव शरीर को सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल से उनके आवास पर सुबह लगभग 9.30 बजे लाया गया। इसके बाद सैन्य परंपरा को ध्यान में रखते हुए, तीनों सेवा प्रमुखों ने मुखर्जी को श्रद्धांजलि दी। इनके बाद राजनेताओं ने पुष्पांजिल अर्पित कर दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति को श्रद्धांजलि दी।
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पुष्पांजलि के बाद मुखर्जी के पार्थिव शरीर के चारों ओर लपेटे गए तिरंगे को हटा दिया गया और अंतिम संस्कार के लिए उनके परिवार को दे दिया गया।
मुखर्जी 2012 से 2017 तक देश के राष्ट्रपति थे। उन्हें 2008 में पद्म विभूषण और 2019 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
सरकार ने उनके सम्मान में 31 अगस्त से 6 सितंबर तक सात दिवसीय राजकीय शोक का ऐलान किया है।
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