मुंबई पुलिस के दिवंगत एटीएस चीफ हेमंत करकरे के बारे में भोपाल से बीजेपी उम्मीदवार प्रज्ञा सिंह ठाकुर द्वारा दिए गए बयान को लेकर पूर्व नौकरशाहों में नाराजगी है। सेवानिवृत्त 70 से ज्यादा लोक सेवकों ने प्रज्ञा ठाकुर की उम्मीदवारी वापस लेने की मांग की है। बता दें कि प्रज्ञा ने कहा था कि हेमंत करकरे की मौत उनके शाप से हुई थी । प्रज्ञा ठाकुर ने हेमंत करकरे पर मालेगांव बम धमाका मामले में जेल में यातनाएं देने के भी आरोप लगाए थे। गौरतलब है कि प्रज्ञा मालेगांव मामले में अब भी आरोपी हैं इसके बावजूद बीजेपी ने उन्हें भोपाल लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है।
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इन पूर्व अधिकारियों ने एक खुला खत लिखा है जिसमें कहा गया है कि ठाकुर ने राजनीतिक मंच का इस्तेमाल न सिर्फ अपनी "कट्टरता को दिखाने के लिए" किया बल्कि उन्होंने करकरे की यादों का भी अपमान किया है। बता दें कि करकरे 26/11 मुंबई हमले के दौरान आतंकियों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे।
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पूर्व अधिकारियों ने अपने पत्र में लिखा कि एक पूर्व सहकर्मी, एक अधिकारी, जो अपने पेशेवर अंदाज के लिये जाना जाता हो उनका इस तरह अपमान हैरान करने वाला है और इसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। देश को करकरे के बलिदान का सम्मान करना चाहिए और उनका और उनकी स्मृतियों का अपमान नहीं करने दिया जाना चाहिए। इस पत्र में अधिकारियों ने कहा है कि करकरे के साथ या उनकी देख रेख में काम करने वाला हर अधिकारी मानता है कि वह निहायत ईमानदार और प्रेरणा देने वाले व्यक्ति थे।
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पत्र पर कई बड़े पूर्व पुलिस अधिकारियों के हस्ताक्षर है। पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक जूलियो रिबेरो, पुणे के पूर्व पुलिस आयुक्त मीरन बोरवानकर और प्रसार भारती के पूर्व कार्यकारी अधिकारी जवाहर सरकार भी शामिल हैं। पत्र में प्रधानमंत्री द्वारा प्रज्ञा की उम्मीदवारी का समर्थन करने पर भी नाराजगी जताई गई है। प्रधानमंत्री ने प्रज्ञा की उम्मीदवारी को "हमारी सभ्यता की विरासत का प्रतीक" करार दिया था।
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पूर्व अधिकारियों ने इस पत्र के माध्यम से बीजेपी से प्रज्ञा के बायन की निंदा करने और उनकी उम्मीदवारी खारिज करने की भी मांग की है। इतना ही नहीं अधिकारियों ने पीएम मोदी से चुनाव के दौरान बने भय के माहौल को खत्म करने के लिए कदम उठाने की अपील भी की है।
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