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तिहाड़ में विदेशी कैदी हुए थे हिंसक, जेल से भागने की कोशिश की थी, 15 कैदियों और 10 जेल कर्मियों को आईं थी चोटें

तिहाड़ जेल प्रशासन ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया कि कुछ विदेशी कैदी जबरन अपने वार्ड से बाहर आ गए थे और उन्होंने दरवाजों के ताले भी क्षतिग्रस्त कर दिए थे।

फोटो: IANS
फोटो: IANS 

तिहाड़ जेल प्रशासन ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया कि कुछ विदेशी कैदी जबरन अपने वार्ड से बाहर आ गए थे और उन्होंने दरवाजों के ताले भी क्षतिग्रस्त कर दिए थे। तिहाड़ प्रशासन ने कहा, "16 जून, 2020 की सुबह 15-20 विदेशी कैदियों ने जेल में समस्या पैदा की। वे जबरन वार्ड से बाहर आ गए और वार्ड संख्या 9 और चक्कर के दरवाजों के ताले क्षतिग्रस्त कर दिए।"

जेल प्रशासन ने न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की अध्यक्षता वाली उच्च न्यायालय की एकल पीठ के समक्ष दायर एक स्टेटस रपट में कहा है, "समस्या के बारे में पता चलने और दूसरा विकल्प न सूझने के बाद सुबह लगभग 8.30 बजे अलार्म बजाया गया, बलों को बुलाया गया और इन कैदियों को न्यूनतम बल प्रयोग कर नियंत्रित किया गया।"

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कोर्ट में यह मामला तब सामने आया है, जब कुछ दिनों पहले पिंजरा तोड़ कार्यकर्ता नताशा नरवाल ने अदालत को बताया था कि जेल में बड़े पैमाने पर हिंसा होने के बाद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा निलंबित कर दी गई थी। नरवाल दिल्ली हिंसा के एक मामले में फिलहाल तिहाड़ में न्यायिक हिरास में हैं।

तिहाड़ ने अपने जवाब में कहा, "इस प्रक्रिया में 15 कैदियों और 10 जेल कर्मियों को मामूली चोटें आईं। जेल के डॉक्टरों ने जेल डिस्पेंसरी में उनका इलाज किया। घटना के लिए जिम्मेदार कैदियों को जेल नियम के अनुसार दंडित किया जाएगा।"

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इस घटना के एक दिन पहले कुछ विदेशी कैदी किसी बहाने से सुबह जेल की ड्योढ़ी पर आ गए थे और जेल अधिकारियों के बार-बार समझाने के बावजूद वे देर शाम तक वहां से नहीं हटे। चूंकि जेल को शाम को बंद करना होता है, लिहाजा जेल कर्मियों ने उन्हें पकड़ कर वहां से हटाया और अलग-अलग संबंधित सेल्स में कैद किया।

जेल प्रशासन ने अदालत से कहा कि तिहाड़ परिसर में जेल संख्या 6 के विदेशी कैदी कुछ दिनों से इस मांग के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं कि उन्हें भी अंतरिम जमानत देने पर विचार किया जाए। जेल प्रशासन उन्हें लगातार समझा रहा है कि उनके मामले अंतरिम जमानत के लिए निर्धारित मानदंडों के तहत नहीं आते।

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रिपोर्ट में कहा गया है, "हालांकि उनसे यह भी कहा गया कि उनके मामले अंतरिम जमानत के दायरे में भले ही नहीं आते तो भी वे सम्माननीय अदालतों में स्वतंत्रत रूप से अंतरिम जमानत या नियमित जामनत के लिए डीएसएलएसए के वकीलों के जरिए या निजी वकीलों के जरिए आवेदन कर सकते हैं। लेकिन ये कैदी बार-बार विरोध प्रदर्शन करते रहे।"

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा के बारे में नरवाल के कथ्य के जवाब में जेल प्रशासन ने कहा कि उनके वकील ने 24 जून, 2020 को उनके साथ सफलतापूर्वक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की थी और उनकी अगली कॉन्फ्रेंसिंग 29 जून, 2020 की शाम होगी।

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जेल प्रशासन ने यह भी कहा कि नरवाल ने अबतक आठ बार अपने परिवार से टेलीफोन पर बात की है। स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया है, "किताबें और पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराने से संबंधित अनुरोध के संबंध में यह बताया गया कि उन्हें 13 किताबें और दो रजिस्टर मुहैया कराए गए हैं।"

सोमवार की सुनवाई के दौरान नरवाल के वकील ने कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता को कई एफआईआर में आरोपी बनाया गया है, लिहाजा उससे कानूनी बातचीत के लिए उन्हें अधिक समय स्वीकृत किया जाए। अधिवक्ता अदिति एस. पुजारी ने कानूनी बातचीत के लिए सप्ताह में दो बार 30-30 मिनट का समय मांगा।

हालांकि दिल्ली सरकार के वरिष्ठ स्थायी वकील राहुल मेहरा की अनुपलब्धता के कारण अदालत ने मामले को दोपहर बाद के लिए स्थगित कर दिया।

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