कांग्रेस ने शुक्रवार को हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के दिल्ली समेत कई ठिकानों पर सीबीआई छापों पर सवाल उठाते हुए इसे प्रतिशोध की भावना से की कार्रवाई बताया है। कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि आज की कारर्वाई से प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी की विपक्ष के प्रति प्रतिशोध की दुर्भावन एक बार फिर प्रकट हुई है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार अपने राजनैतिक विरोधियों को बदनाम करने, अपमानित करने और परेशान करने के लिए लगातार देश की संस्थाओं का इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के पूर्व भाजपाई मुख्यमंत्रियों पर भी कई आरोप लगे हैं। जांच एजेंसियों को यह सब दिखाई नहीं पड़ रहा है।
छापे के समय पर सवाल उठाते हुए आनंद शर्मा ने कहा कि जींद उपचुनाव में प्रचार के आखिरी दिन हुड्डा एक रैली को संबोधित करने जा रहे थे, तभी सीबीआई ने ये छापे मारे। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा के खिलाफ डेढ़ साल पहले भी इसी तरह की कार्रवाई की गई थी। लेकिन जांच में कुछ नहीं निकला। उन्होंने कहा, “मामले अदालत अदालत में हैं। फिर ऐसे में ये छापे किस लिए? ये पहली बार नहीं हुआ है। डेढ़ साल पहले भी हुआ, उसके बाद भी हुआ और बार-बार हो रहा है। ऐसा करके प्रधानमंत्री और बीजेपी सरकार क्या संदेश देना चाहती है? क्या उनके विरोध में कोई बात नहीं करे, उनके खिलाफ कोई प्रचार ना करे और पूरा विपक्ष भयभीत होकर चुप्पी साधकर बैठ जाए।”
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आनंद शर्मा ने स्पष्ट लहजे में इसे राजनीतिक कार्रवाई बताते हुए कहा कि चाहे सीबीआई हो या ईडी, सभी संस्थाओं को कानून के दायरे में काम करना चाहिए। उन्होंने सख्त चेतावनी देते हुए कहा, " कुछ महीने के बाद चुनाव हैं, जिसमें सरकार बदलेगी। नई सरकार आएगी तो हर उस व्यक्ति, हर उस संस्था, हर उस अधिकारी की जवाबदेही तय करेगी, जिसने प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह और बीजेपी के कहने पर अपने पदों का दुरुपयोग कर उनके राजनैतिक विरोधियों को परेशान और बदनाम करने का काम किया है।" शर्मा ने कहा कि इस देश में कानून का राज चलेगा। क्योंकि इस सरकार में जो भय का वातावरण बनाया जा रहा है, जिसमें राजनैतिक विरोधी अपनी आवाज ना उठा सकें,काम ना कर सकें, वह भारत के प्रजातंत्र के लिए घातक सिद्ध होगा।
आनंद शर्मा ने सीबीआई विवाद का जिक्र करते हुए कहा कि देश की प्रमुख ऐजेंसी सीबीआई की आज कोई विश्वसनीयता देश में नहीं बची है। इस सरकार की वजह से उनकी जो छवि इतनी खराब हुई है, अगर वे उसकी मरम्मत कर लें, तो शायद देश के लिए एक अच्छा काम होगा। उन्होंने कहा कि सीबीआई के निदेशक और विशेष निदेशक को लेकर जो कुछ हुआ, वो सबके सामने हैं। आज भी अगले सीबीआई प्रमुख का नाम तय करने को लेकर विवाद है। सीबीआई विवाद का जो मामला अदालत के सामने है, उससे एक-एक कर कई जज अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। इससे ये बात स्पष्ट है कि सरकार ने ऐसे हालात पैदा कर दिए हैं कि कोई भी संस्था और कोई भी संगठन कानून के दायरे में रहकर अपना काम नहीं कर पा रहा है।
सेलेक्ट कमेटी द्वारा सीबीआई निदेशक का चयन न कर पाने के सवाल पर आनंद शर्मा ने कहा कि सरकार ने कमेटी के समक्ष आधे-अधूरे दस्तावेज पेश किए। उसमें किसी भी अधिकारी की पूर्ण जानकारी नहीं दी गई थी। शर्मा ने कहा, "यह तय है कि कांग्रेस पार्टी उस व्यक्ति को निदेशक के पद पर काबिज नहीं होने देगी, जिस पर कोई भी आरोप लगा हो या किसी राजनीतिक दल से उसकी निकटता साबित होती हो। मोदी सरकार जांच एजेंसियों के माध्यम से विपक्ष को कमजोर करना चाहती है। यह केवल एक वहम है। कांग्रेस पार्टी इनकी कार्रवाई से बौखलाने वाली नहीं है। दो-तीन माह बाद बीजेपी को अपनी गलतियों का अहसास हो जाएगा, लेकिन तब तक वे सत्ता से बाहर हो चुके होंगे।"
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