कोरोना महामारी के इस संकट में भारतीय कंपनियों के जबरन अधिग्रहण के खतरे को भांपते हुए केंद्र सरकार ने विदेशी निवेश (FDI-Foreign Direct Investment ) के नियमों को सख्त कर दिया है। अगर आसान शब्दों में कहें तो कोरोना वायरस की वजह से कई बड़ी और छोटी कंपनियों की मार्केट वैल्यू गिर गई है। ऐसे में उनका अधिग्रहण यानी ओपन मार्केट से शेयर खरीद कर मैनेजमेंट कंट्रोल हासिल किया जा सकता है। इसीलिए सरकार ने नियम सख्त किए हैं।
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आपको बता दें कि हाल में चीन के सेंट्रल बैंक, पीपल्स बैंक ऑफ चाइना (PBOC) ने भारत की सबसे बड़ी हाउसिंग फाइनेंस कंपनी हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (HDFC) में 1.01 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है। HDFC में हिस्सेदारी बढ़ाने की इस खबर के बाद से ही प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गईं थीं। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा था कि आर्थिक मंदी ने कई इंडियन कॉरपोरेट्स को कमजोर कर दिया, ऐसे में सरकार को खयाल रखना चाहिए कि भारतीय कंपनियों पर विदेशी कंपनियां नियंत्रण न कर सकें। हालांकि, उन्होंने अपने ट्वीट में HDFC का जिक्र नहीं किया था. अब सरकार ने बड़े बदलाव का ऐलान कर दिया है. ऐसे में राहुल गांधी ने ट्वीट कर सरकार को शुक्रिया कहा है।
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नए संशोधन के अनुसार, पड़ोसी देशों से भारतीय कंपनियों में एफडीआई निवेश के लिए अब सरकारी अनुमति की आवश्यकता होगी। यह उन सभी देशों पर लागू होगा जो चीन के साथ- भारत के साथ भूमि सीमा साझा करते हैं। आपको बता दें कि इसी तरह के एफडीआई प्रतिबंध पहले पाकिस्तान और बांग्लादेश पर लगाए गए थे। DPIIT की ओर से जारी नोट के मुताबिक, सरकार ने मौजूदा परिस्थितियों ( COVID-19 महामारी के कारण) में अवसरवादी अधिग्रहण (कंपनी को जबरन खरीदना) या भारतीय कंपनियों के अधिग्रहण पर अंकुश लगाने के लिए FDI पॉलिसी में बदलाव किया है।
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