देश

पिता हैं गेट-ग्रिल कारीगर, बिटिया बनी झारखंड सिविल सर्विस परीक्षा की टॉपर

झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की सिविल सर्विस परीक्षा में कमजोर तबके के अभ्यर्थियों ने कामयाबी का परचम लहराया है। परीक्षा की फस्र्ट टॉपर सावित्री कुमारी गेट-ग्रिल बनाने वाले कारीगर की पुत्री हैं।

फोटो: IANS
फोटो: IANS 

झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की सिविल सर्विस परीक्षा में कमजोर तबके के अभ्यर्थियों ने कामयाबी का परचम लहराया है। परीक्षा की फस्र्ट टॉपर सावित्री कुमारी गेट-ग्रिल बनाने वाले कारीगर की पुत्री हैं। बोकारो जिले के कसमार प्रखंड के दांतू गांव निवासी राजेश्वर नायक उर्फ नेपालकी पुत्री सावित्री शुरू से ही मेधावी छात्रा रही हैं। घर की कमजोर माली हालत को उन्होंने कभी अपने मार्ग की बाधा नहीं बनने दी। स्कूल से लेकर कॉलेज तक हर स्तर पर बेहतरीन रिजल्ट की बदौलत उन्हें स्कॉलरशिप योजनाओं का लाभ मिलता रहा और उनकी पढ़ाई को लेकर परिवार पर कभी बड़ा आर्थिक बोझ नहीं पड़ा। सावित्री ने मेहनत, लगन और हौसले में कोई कसर बाकी नहीं रखी और इसी का नतीजा है कि मंगलवार देर शाम जारी हुई जेपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा के सफल 252 अभ्यर्थियों की फेहरिस्त में उनका नाम सबसे ऊपर चमक रहा है। सविता बताती हैं कि गांव के सरकारी स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा के बाद उनका चयन नवोदय विद्यालय के लिए हो गया। 2010 में इंटरमिडिएट तक की पढ़ाई के बाद उन्होंने स्कॉलरशिप परीक्षा पास की और उनका चयन बांग्लादेश के चिटगांव के एशियन यूनिवर्सिटी फार वीमेन के लिए हो गया। यहां से उन्होंने बीएससी की डिग्री ली। इसके आगे उन्हें ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी लंदन में भी स्कालरशिप प्रोग्राम के जरिए पीजी में दाखिला मिला। इस दौरान वह पार्ट टाइम जॉब भी करती रहीं। इसके बाद वह भारत लौटीं तो आईआईटी मुंबई के क्लाइमेट चेंज डिपार्टमेंट में उन्हें नौकरी मिल गयी, लेकिन उन्होंने यह नौकरी छोड़कर सिविल सर्विस की तैयारी का फैसला किया। सावित्री के मुताबिक उन्होंने लगभग डेढ़ साल तक घर पर रहकर हर रोज आठ से दस घंटे तक पढ़ाई की और पहले ही प्रयास में कामयाबी हासिल की। सावित्री के पिता राजेश्वर प्रसाद कहते हैं, मेरी तीन बेटियां हैं और मैंने सबको घर-परिवार की चिंता से दूर रख अपने लक्ष्य पर ध्यान देने को कहा। किसी पर कोई दबाव भी नहीं दिया। मुझे खुशी और गर्व है कि बेटियों ने मुझे निराश नहीं किया। एक बेटी कंप्यूटर इंजीनियर है, दूसरी इंजीनियरिंग के फाइनल ईयर में है और तीसरी बेटी अफसर बनने जा रही है।

Published: undefined

इसी तरह हजारीबाग के एक अखबार हॉकर प्रेम कुमार की बेटी अंशु कुमारी ने परीक्षा में 49वीं रैंक हासिल की है। अंशु कहती हैं कि मैंने अपने पिता को 20 वर्षों से सर्दी, गर्मी, बारिश की परवाह किये बगैर सुबह चार बजे से लोगों के घरों के अखबार बांटते देखा है। मुझे अपने पिता से ही मेहनत की प्रेरणा मिली और आज यह सफलता मैं उन्हीं के नाम करती हूं।

Published: undefined

सफल अभ्यर्थियों में इसी जिले के बरही प्रखंड की जरहिया गांव की कंचन कुमारी भी हैं। वह आंगनबाड़ी सेविका के रूप में काम करती हैं और इसके एवज में उन्हें लगभग साढ़े छह हजार रुपये मानदेय मिलते हैं। कंचन को 145वीं रैंक हासिल हुई है। वह अब झारखंड सरकार में अफसर बनेंगी।

परीक्षा में 170वीं रैंक हासिल करने वाले बोकारो जिले के गोमिया प्रखंड के पुन्नू गांव निवासी अमित रविदास के पिता राजमिस्त्री का काम करते हैं। इसके पहले वह छठी जेपीएससी परीक्षा में भी उत्तीर्ण हुए थे और फिलहाल सेल्स टैक्स ऑफिसर के रूप में कार्यरत हैं।

Published: undefined

हजारीबाग के चौपारण प्रखंड के दादपुर गांव की प्रियंका कुमारी को परीक्षा में 33वां स्थान हासिल हुआ है। उनके पिता एक साधारण बीमा कार्यकर्ता हैं। उन्होंने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर खुद की पढ़ाई के लिए पैसे जुटाये।

हजारीबाग स्थित विनोबा भावे विश्वविद्यालय के वरिष्ठ व्याख्याता डॉ शैलेश चंद्र शर्मा कहते हैं कि कमजोर आर्थिक स्थिति वाले परिवारों से आने वाले छात्रों में अपने लक्ष्य के प्रति जो ललक पैदा हुई है, वह पूरे समाज के लिए एक सुखद संकेत है।

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined