देशभर के हजारों किसान गुुरुवार से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जुटेंगे। देश भर से आए ये किसान शुक्रवार को रामलीला मैदान से संसद मार्ग तक विरोध प्रदर्शन करते हुए रैली निकालेंगे, ताकि सरकार पर फसलों की ऊंची कीमत और कृषि ऋण माफी के लिए दवाब बना सकें। इस आंदोलन में देश भर के करीब 206 किसान संगठनों का नेतृत्व करने वाले ऑल इंडिया किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के मुताबिक, देश के परेशान हाल किसानों का दो दिवसीय विरोध प्रदर्शन गुरुवार से शुरू होगा।
किसानों के आंदोलन के बारे में बात करते हुए स्वराज इंडिया के अध्यक्ष और किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा, “केंद्र की मोदी सरकार इस देश की सबसे ज्यादा किसान विरोधी सरकार है, क्योंकि इसकी नीति, नीयत और सोच सब किसान विरोधी हैं। इस सरकार ने जिस तरह से किसानों से दुश्मनी दिखाई है, वैसा किसी और सरकार ने नहीं किया है।”
योगेंद्र यादव ने कहा कि किसानों को 4 बार आंदोलन करना पड़ता है। पहली बार सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिए, दूसरी बार सरकार से अपने मुद्दों पर वार्ता के लिए, तीसरी बार सरकार से लिखित आश्वासन हासिल करने के लिए और चौथी बार उन आश्वासनों और वादों को लागू करने के लिए आंदोलन करना पड़ता है। उन्होंने कहा, "हमने अपनी पहली रैली मंदसौर गोलीबारी के बाद निकाली थी, जिसे ना सिर्फ किसानों का, बल्कि देश के आम लोगों का भी समर्थन मिला। एआईकेएससीसी किसानों से जुड़ी सभी विचारधाराओं को एक साथ लेकर आया है।"
स्वराज इंडिया नेता ने कहा कि किसानों के आंदोलनों से ही पीएम मोदी की नींद खुली है, जिसका नतीजा है कि अब अपने भाषणों में वह भी एमएसपी का नाम लेने लगे हैं। हालांकि अभी भी किसानों के लिए उनकी जेब नहीं खुली है। आंदोलन के समय पर सवाल पूछने पर उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव नजदीक हैं। अगर अभी किसानों को कुछ नहीं मिला तो फिर आने वाले 5 सालों तक उन्हें कुछ नहीं मिलेगा। उन्होंने बताया, किसानों की मांग केवल इतनी है कि संसद में 2 कानून पड़े हैं, उनको लागू किया जाए। पहला, किसानों की फसलों के दाम गारंटी से मिलें। दूसरा, किसानों को कर्जों से मुक्त किया जाए।
आंदोलन के कार्यक्रम के बारे में एआईकेएससीसी समन्वयक वी.एम. सिंह ने कहा कि देश के विभिन्न भागों से आ रहे किसानों की रैली गुरुवार को रामलीला मैदान से शुरू होगी। स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के नेता और सांसद राजू शेट्टी एआईकेएससीसी से भी जुड़े हैं। उन्होंने किसानों की कर्ज माफी और कृषि वस्तुओं के लिए मूल्य गारंटी मुहैया कराने के लिए लोकसभा में दो निजी विधेयक प्रस्तुत किया था। उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं कि सरकार किसानों के लिए इन दोनों विधेयकों को पारित करे।"
एआईकेएससीसी ने कहा कि 21 राजनीतिक दलों ने विधेयक को अपना समर्थन दिया है और उनके प्रतिनिधि भी शुक्रवार के विरोध प्रदर्शन में शामिल होंगे। वाम दलों से संबद्ध ऑल इंडिया किसान सभा (एआईकेएस) के नेता अशोक धावले ने कहा कि निजी विधेयक को लेकर पिछले एक साल से सरकार ने कुछ नहीं किया है। धावले ने कहा, "अब तक देश में 3.5 लाख से ज्यादा किसान आत्महत्या कर चुके हैं। हमने किसानों की इससे ज्यादाबुरी हालत कभी नहीं देखी है। अब कृषि मंत्रालय भी कह रहा है कि नोटबंदी का किसानों पर बुरा असर पड़ा है।"
सामाजिक कार्यकर्ता मेघा पाटकर, वन रैंक वन पेंशन की मांग के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) सतबीर सिंह और जाने-माने पत्रकार पी साईनाथ भी इस विरोध प्रदर्शन में भाग ले रहे हैं। साईनाथ ने कहा कि जीएसटी को लेकर अल्प नोटिस पर संसद का विशेष सत्र बुलाया जा सकता है, लेकिन स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट 2006 से ही धूल फांक रही है और अभी तक उस पर संसद में बहस तक नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, “सरकार ने किसानों की आत्महत्या के आंकड़े जारी करना बंद कर दिये हैं। यह केवल किसानी का संकट नहीं है, बल्कि उससे अधिक है। यह अब राष्ट्रीय संकट बन चुका है। हमें किसानों के साथ एकजुटता दिखानी होगी।”
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एआईकेएससीसी की मांग है कि स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों के आधार पर 23 कृषि वस्तुओं के लिए 'सी2' लागत कारक को ध्यान में रखकर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाए। समिति ने कम मूल्य मिलने का हवाला देते हुए सरकार के 'ए2 प्लस एफएल' फार्मूले पर आपत्ति जताई है। सतबीर सिंह ने कहा कि उनका संगठन किसानों का समर्थन करता है, क्योंकि 70 से 80 फीसदी फौजी किसानों के बेटे हैं। एआईकेएससीसी के नेता ने कहा कि किसानों को दिल्ली लाने के लिए महाराष्ट्र के मिराज से और कर्नाटक के बेंगलुरू से दो विशेष ट्रेनों का प्रबंध किया गया है। देश के विभिन्न भागों से किसानों का राजधानी दिल्ली पहुंचना शुरू हो गया है।
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