भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) का कहना है कि किसान आंदोलन अब सिर्फ पंजाब तक सीमित नहीं है बल्कि इसमें अब पूरा देश शामिल है क्योंकि यह पूरे देश के किसानों का सवाल है। वहीं उत्तर प्रदेश में भारतीय किसान यूनियन ने भी दिल्ली के लिए मार्च किया है। किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार किसानों के मसले को हल करने में नाकाम रही है। हम अब दिल्ली जा रहे हैं।
भाकियू के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि अब यह सिर्फ पंजाब के किसानों आंदोलन नहीं है बल्कि इसमें पूरे देश के किसान शामिल हैं, लेकिन आंदोलन की रणनीति वही होगी जो पंजाब के किसान संगठनों के नेता तय करेंगे।
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केंद्र सरकार द्वारा लागू नये कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का विरोध प्रदर्शन शनिवार को तीसरे दिन जारी था। पंजाब और हरियाणा से आए प्रदर्शनकारी किसान दिल्ली की सीमा पर जुटे हैं और वे नये कृषि कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
गुरनाम सिंह ने बताया कि विरोध प्रदर्शन में पंजाब के करीब 30 किसान संगठनों के नेता यहां जुटे हैं और आगे की रणनीति बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि बहरहाल आंदोलन की वही दिशा औ रणनीति रहेगी जो पंजाब के किसान तय करेंगे। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि पूरे देश के किसान नेता भी इसके बाद मिलेंगे और आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श करेंगे।
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किसानों के मसले को लेकर सरकार से बातचीत को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि सरकार की अपनी शर्तें हैं।
बता दें कि शुक्रवार को आईएएनएस से बातचीत में कृषि एवं खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने कहा कि किसानों को बातचीत के लिए पहले ही आमंत्रित किया गया है और पूर्व में सरकार के साथ हुई बातचीत में पंजाब के किसाना नेताओं ने आगे बातचीत जारी रखने पर सहमति भी जताई थी। उन्होंने कहा कि मसले का हल बातचीत के जरिए ही निकल सकता है और सरकार बातचीत के लिए तैयार है, ऐसे में विरोध-प्रदर्शन का तो कोई आधार ही नहीं बनता है।
इस संबंध में पूछे गए सवाल पर गुरनाम सिंह ने कहा कि पिछली बार बातचीत बेनतीजा रही, इसलिए उन्हें सड़कों पर उतरना पड़ा।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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