पत्रकार, लेखक, चित्रकार और समाजसेवी चंचल सिंह को जौनपुर की एक अदालत ने आज 40 साल पुराने एक मामले में जेल भेज दिया। चंचल बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुके हैं। अब 60 की उम्र पार कर चुके समाजवादी चंचल को अदालत के आदेश पर महाराजगंज पुलिस ने गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। मामले की अगली सुनवाई 9 नवंबर को होगी। बताया जा रहा है कि पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष की गिरफ्तारी 1978 में दर्ज सरकारी कार्य में बाधा डालने के मुकदमे में हुई है। इस मामले में उनके खिलाफ अब तक कई बार वारंट जारी किये जा चुके हैं।
चंचल के खिलाफ 1978 में तत्कालीन डीएम टीडी गौड़ से झड़प करने और सरकारी कार्य में बाधा डालने के आरोप में धारा 353 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। साल 1986 से इस मामले में बार उनके खिलाफ वारंट जारी हो चुका है। जानकारी के अनुसार घटना के समय चंचल सिंह बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ अध्यक्ष थे। हालांकि अपनी गिरफ्तारी पर चंचल सिंह का कहना है कि वर्षों पुराने इस मामले में दोनों पक्षों में समझौता हो चुका है, फिर भी उनके खिलाफ वारंट जारी होता रहा।
Published: 08 Nov 2017, 8:43 PM IST
घटना वाले दिन जौनपुर जिले के महाराजगंज ब्लॉक के पास वे कुछ लोगों के साथ चाय पी रहे थे। उसी दौरान उनका एक परिचित उनसे मिलने वहां पहुंचा। उसे कुछ बोरी सिमेंट की जरूरत थी, जिसके लिए समय परमिट की आवश्यकता थी, जो किसी मजिस्ट्रेट द्वारा जारी किया जाता था।
इसी बीच तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर टीडी गौड़ ब्लॉक का मुआयना करने पहुंचे। उन्हें वहां देख चंचल के साथी ने उनसे चार बोरी सीमेंट का परमिट जारी करने का अनुरोध करने लगे। लेकिन इसी बीच अचानक से चंचल और डिप्टी कलेक्टर गौड़ के बीच किसी बात को लेकर बहस हो गई। इसके बाद गौड़ ने चंचल के खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने का मुकदमा दर्ज करा दिया। उसके बाद से अब जाकर इस मामले में कार्रवाई हुई है।
चंचल की 40 साल पुराने मामले में गिरफ्तारी को लेकर जौनपुर से लेकर दिल्ली तक बुद्धीजीवी वर्ग में काफी गुस्सा है। फेसबुक और ट्विटर के जरिये लोग सवाल उठा रहे हैं कि इतने पुराने मामले में अब जाकर ये कार्रवाई क्यों की गई है। चंचल सिंह सोशल मीडिया पर बेहद सक्रिय हैं और लगातार केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की योगी सरकार की नाकामियों और गलत नीतियों पर सख्त टिप्पणी करते रहे हैं। इसके अलावा वह कांग्रेस पार्टी का सोशल मीडिया प्रचार भी देखते हैं। ऐसे में उनकी गिरफ्तारी को लेकर सवाल उठने लाजिमी हैं कि कहीं यह गड़े मुर्दों के बहाने विपक्षी आवाजों को दबाने की कार्रवाई तो नहीं है।
Published: 08 Nov 2017, 8:43 PM IST
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Published: 08 Nov 2017, 8:43 PM IST