मोदी सरकार द्वारा देश के 10 सरकारी बैंकों का विलय कर चार बैंक बनाए जाने के फैसले को लेकर देश के बैंक करर्मचारियों में काफी नाराजगी है। बीते महीने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा इस फैसले के ऐलान के बाद से देश भर में बैंक कर्मचारी शांतिपूर्वक विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। अब मजबूती के साथ इस फैसले का विरोध करने के लिए बांक कर्मचारियों ने संसद के सामेन धरना देने का फैसला किया है।
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इसके तहत बैंकिंग सेक्टर की 9 ट्रेड यूनियनों के साझा मंच ‘द यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस’ (यूएफबीयू) ने सरकार द्वारा घोषित बैंक विलय योजना के विरोध में अगले सप्ताह संसद के सामने प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) के महासचिव सी एच वेंकटचलम ने बताया कि यूएफबीयू ने 20 सितंबर की सुबह 10:30 बजे संसद के सामने धरना देने का फैसला किया है। इसी के साथ यूएफबीयू ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक ज्ञापन देने का भी फैसला किया है।
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सरकार के फैसले का विरोध कर रहे अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ के सदस्यों ने इससे पहले 31 अगस्त को अपने-अपने बैंकों में काली पट्टी बांध कर काम करते हुए प्रदर्शन किया था। संघ के महासचिव सी एच वेंकटचालम का कहना है कि केंद्र सरकार ने यह फैसला गलत समय पर लिया है और इसकी समीक्षा की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस विलय का मतलब छह बैंकों का बंद होना है, जिन्हें बनने में सालों लगे हैं। उन्होंने कहा कि हड़ताल पर जाने को लेकर दिल्ली में संघ की बैठक होगी।
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गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 30 अगस्त को 10 सरकारी बैंकों का विलय कर चार बड़े बैंक बनाने का ऐलान किया है। इसका ऐलान करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि सरकार ने पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी), केनरा बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन बैंक में कुछ दूसरे सरकारी बैंकों का विलय कर चार बड़े बैंक बनाने का फैसला किया है। इसके तहत पीएनबी में ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और युनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का, केनरा बैंक में सिंडिकेट बैंक का, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक का और इंडियन बैंक में इलाहाबाद बैंक का विलय किया जाएगा। इस विलय के बाद पीएनबी देश का दूसरा और केनरा बैंक चौथा सबसे बड़ा सरकारी बैंक होगा।
(आईएएएस के इनपुट के साथ)
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