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7 दिसंबर को वोटिंग के लिए राजस्थान-तेलंगाना में थमा चुनावी शोर, सट्टा बाजार में बीजेपी से बहुत आगे निकली कांग्रेस

राजस्थान और तेलंगाना विधानसभा चुनाव के लिए चल रहा चुनावी शोर बुधवार शाम 5 बजे थम गया। दोनों राज्यों में 7 दिसंबर को मतदान होना है, जिसके नतीजे 11 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे। दोनों राज्यों में प्रचार के आखिरी दिन सभी पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के आखिरी दौर में राजस्थान और तेलंगाना में 7 दिसंबर को होने वाले मतदान के लिए बुधवार शाम 5 बजे चुनाव प्रचार खत्म हो गया। दोनों राज्यों में अब 7 दिसंबर को वोट डाले जाएंगे और नतीजे बाकी तीन राज्यों के साथ 11 दिसंबर को आएंगे। शुक्रवार को राजस्थान की 200 में से 199 और तेलंगाना की 119 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। राजस्थान की एक सीट पर चुनाव लड़ रहे बीजेपी प्रत्याशी की मृत्यु की वजह से वहां मतदान स्थगित कर दिया गया है।

चुनाव प्रचार के आखिरी दिन इन दोनों राज्यों में चुनाव लड़ रहीं सभी पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। बीजेपी की तरफ से जहां पीएम मोदी ने राजस्थान में ताबड़तोड़ रैलियां की, वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी प्रचार के आखिरी दिन तेलंगाना की जनता के बीच रहे। पीएम मोदी ने अपनी रैलियों में बीजेपी सरकार बनने का दावा जरूर किया, लेकिन राज्य में कांग्रेस का पड़ला भारी नजर आ रहा है। राजस्थान का सट्टा बाजार वसुंधरा राजे सरकार की वापसी पर भरोसा नहीं कर रहा है। सट्टा बाजरे के ट्रेंड बता रहे हैं कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार आ रही है। मिली जानकारी के अनुसार सट्टा बाजार में इस समय 200 सीटों वाली राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस को 125 से 127 सीटों पर बराबरी का भाव मिल रहा है। यानी सट्टा बाजार की माने तो कांग्रेस आसानी से बहुमत ले आएगी।

राजस्थान में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है। यहां कांग्रेस ने 195 तो बीजेपी ने सभी सीटों पर उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी सहित कई छोटे-मोटे दलों के अलावा निर्दलीयों सहित 2274 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। चुनाव में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट, पूर्व केन्द्रीय मंत्री गिरिजा व्यास, सीपी जोशी समेत चार सांसदों, मंत्रियों और कई विधायकों का भाग्य तय होगा। सीएम वसुंधरा राजे के सामने जहां हाल ही में बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में आए मानवेन्द्र सिंह हैं, वहीं गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया के सामने पूर्व मंत्री गिरिजा व्यास हैं। जबकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट के सामने बीजेपी ने युनुस खान को उतारा है।

राज्य में चुनाव प्रचार में बीजेपी सबसे आगे रही, जिसकी 222 से ज्यादा रैलियां और सभाएं हुईं और खुद पीएम मोदी ने आखिरी दो दिन राजस्थान में अपनी पूरी ताकत लगा दी। लेकिन प्रचार के आखिरी दिन भी सट्टा बाजार में बीजेपी का भाव नहीं बढ़ा और ताजा आंकड़ों में बीजेपी के लिए सिर्फ 56 से 58 सीटों पर बराबरी का भाव चल रहा है। इससे साफ पता लगता है कि राजस्थान में बीजेपी के लिए वापसी का रास्ता काफी मुश्किल है और कांग्रेस की हवा है।

वहीं तेलंगाना की बात करें तो यहां टीआरएस और कांग्रेस के नेतृत्व वाले महागठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला है। जबकि बीजेपी यहां अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है। कांग्रेस के नेतृत्व वाले महागठबंधन में कांग्रेस, टीडीपी, सीपीआई, तेलंगाना जन समिति (टीजेएस) और बीकेपी शामिल हैं। वहीं राज्य की सत्तारूढ़ टीआरएस को इस बार ओवैसी का समर्थन मिलने की बात कही जा रही है।

तेलंगाना में टीआरएस सरकार के खिलाफ लहर मजबूत है और कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन को लोगों का काफी समर्थन मिल रहा है। प्रचार के आखिरी दिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी तेलंगाना में ही रहे। उन्होंने चुनाव प्रचार के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि वे चाहते हैं कि तेलंगाना की सच्ची आवाज ही इस बार तेलंगाना की सरकार चुने। इस दौरान उन्होंने कहा कि किसानों की समस्या देश की समस्या है। जहां तक आत्महत्याओं की बात है चाहे किसान हों या युवा हों, उनको कोई रास्ता नहीं दिख रहा है। युवा रोजगार ढूंढ-ढूंढ कर थक गया है और किसान अपनी बदहाली से परेशान है। इस चुनाव में राज्य के लोग अपने लिए वोट डालेंगे।

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राजस्थान में 4.74 करोड़ से ज्यादा मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे, वहीं तेलंगाना में 2.80 करोड़ से ज्यादा मतदाता वोट डालेंगे। दोनों राज्यों में चुनाव के लिए कड़े सुरक्षा इंतजाम किये गए हैं। दोनों राज्यों के नतीजों का ऐलान छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और मिजोरम के साथ 11 दिसंबर को किया जाएगा।

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