भारत में मंगलवार को ईद का चांद दिख गया। आज धूमधाम से देशभर में ईद मनाई जा रही है। लोग एक दूसरे को बधाई दे रहे हैं। मंगलवार को ईद का चांद जैसे ही आसमान में दिखा रोजेदारों ने एक दूसरे को बधाई दी। भारत में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने एक दूसरे को बधाइयां दी और देश-दुनिया में अमन-चैन की दुआ की।
रमजान का महीना अल्लाह की इबादत का महीना माना जाता है। इस पूरे महीने मुस्लिम समुदाय के लोग 30 दिन (चांद के हिसाब से कभी 29 दिन) तक बिना कुछ खाए पिए रोजा रखते हैं। जिसके बाद 10वें महीने शव्वाल की पहली चांद वाली रात ईद की रात मानी जाती है। इस चांद को देखने के बाद ही ईद-उल-फितर का त्योहार मनाया जाता है। इस ईद को लोग मीठी ईद के नाम से भी जानते हैं।
ईद की खुशी को दोगुना करने के लिए घर आए मेहमानों का स्वागत मीठी सेवाइयां खिलाकर करते हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर कब से ईद के त्योहार को मनाने की शुरुआत हुई और क्यों मनाई जाती हैं ईद।
इस्लामिक ग्रंथ पवित्र कुरान के अनुसार रमजान के दौरान पूरा महीना रोजे रखने के बाद अल्लाह अपने बंदों को एक दिन इनाम देते हैं। अल्लाह की इस बख्शीश को ईद-उल-फितर के नाम से पुकारा जाता है। भारत ही नहीं पूरे विश्व में इस त्योहार को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।
माना जाता है कि सबसे पहली ईद सन् 624 ईस्वी में पैगंबर मुहम्मद ने मनाई थी। इस ईद को ईद उल-फितर के नाम से जाना गया। पैगंबर हजरत मोहम्मद ने ये ईद बद्र के युद्ध में विजय हासिल करने की खुशी में मनाई थी। इस्लामिक प्रथा के मुताबिक ईद की नमाज अदा करने से पहले हर मुस्लिम व्यक्ति को दान (जकात और फितरे) देना जरूरी होता है।
रमजान में 30 दिनों तक रोजा रखने की हिम्मत देने के लिए ईद के दिन खुदा का शुक्रिया अदा किया जाता है। जिसके बाद वो इस खास दिन जकात यानी एक खास रकम किसी जरूरतमंद के लिए निकालते हैं। ईद की नमाज से पहलेघर के सभी लोग फितरा देते हैं।
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