डोकलाम विवाद के थमने के बाद एक बार फिर चीन की सेना ने भारतीय सीमा का उल्लंघन कर दिखा दिया है कि मोदी सरकार की विदेश नीति कितनी लचर है। बीते दिनों चीन की पिपुल्स आर्मी ने एक नहीं दो-दो बार भारतीय सीमा का उल्लंघन किया। एक ओर भारत के सुदूर उत्तर पूर्वी राज्य अरुणाचल में चीन के सैनिक ना सिर्फ काफी अंदर तक घुस आए, बल्कि वहां अपना टेंट भी लगा लिया। वहीं दूसरी घटना के तहत लद्दाख में चीन के दो हेलिकॉप्टरों ने उड़ान भरकर भारतीय हवाई सीमा का उल्लंघन किया।
पहली घटना अरुणाचल प्रदेश की है, जहां एक बार फिर करीब 10 दिन पहले चीनी सेना ने घुसपैठ की। खबरों के मुताबिक चीनी सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का उल्लंघन करते हुए अरुणाचल की दिवांग घाटी में काफी अंदर तक घुस आए। चीनी सुरक्षाबलों के दाखिल होने की जानकारी क्षेत्र के ग्रामीणों ने भारतीय सेना को दी। जिसके बाद भारतीय सुरक्षा बलों ने वहां पहुंचकर अपना कड़ा प्रतिरोध जताया। जिसके बाद दोनों सेनाओं ने सीमा विवाद के तत्काल निपटारे के लिए तय प्रोटोकॉल के तहत इस मामले को सुलझाया। इसके बाद चीनी सैनिकों को अपनी सीमा में वापस लौटना पड़ा। हालांकि सेना की तरफ से कहा जा रहा है कि यह घटना उल्लंघन जैसा नहीं है, क्योंकि एलएसी को लेकर असमंजस की स्थिति के चलते वहां पेट्रोलिंग के दौरान ऐसी घटना हो जाती है।
वहीं, दूसरी घटना के तहत लद्दाख में चीन ने हेलिकॉप्टर से भारतीय हवाई सीमा में घुसने की कोशिश की। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की एक रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है कि बीते दिनों चीन के दो हेलिकॉप्टरों ने भारतीय हवाई सीमा का उल्लंघन किया। रिपोर्ट के मुताबिक, बीते 27 अगस्त को सुबह करीब 9 बजे लद्दाख के बुर्तसे और ट्रैक जंक्शन पोस्ट के आसपास दो चीनी हेलिकॉप्टर देखे गए। ये हेलिकॉप्टर करीब 5 मिनट तक भारतीय हवाई क्षेत्र में रहे।
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बता दें कि लद्दाख की ट्रिग हाईट और डेपसांग का इलाका भारत के लिए रणनीतिक तौर पर काफी महत्वपूर्ण है। इसी क्षेत्र में भारत का अहम माना जाने वाला दौलत बेग ओल्डी एयरफील्ड भी है। यही वजह है कि चीन यहां बार-बार घुसपैठ करने की कोशिश में रहता है। वहीं इससे पहले इसी साल अगस्त में चीनी सैनिकों ने उत्तरांचल के चमोली जिले में घुसपैठ की थी। उस दौरान चीनी सैनिक अंतरराष्च्रीय सीमा से चार किलोमीटर भारत के अंदर आइटीबीपी की चौकी के करीब तक आ गए था। भारतीय जवानों के कड़े प्रतिरोध के बाद चीनी टुकड़ी को वापस लौटना पड़ा था।
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