पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जन्म शताब्दी की पूर्व संध्या पर18 नवंबर को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता वाली एक उच्च स्तरीय समिति ने मनमोहन सिंह को 2017 के प्रतिष्ठित ‘इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार’से सम्मानित करने की घोषणा की। सिंह को शांति, निरस्त्रीकरण और विकास के क्षेत्र में अहम योगदान के लिए यह पुरस्कार दिया गया है।
ज्यूरी ने डॉ मनमोहन सिंह का चयन देश का नेतृत्व करने, सुधारों और अर्थव्यवस्था में योगदान देने, विश्व स्तर पर भारत की साख को बढ़ाने और चीन और पाकिस्तान सहित पड़ोसी देशों के साथ भारत के संबंधों को सुधारने के लिए किया। ज्यूरी ने आस्था, जाति, क्षेत्र या भाषा के आधार पर भेदभाव किए बिना आम लोगों की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करने के लिए मनमोहन सिंह के प्रयासों का विशेष रूप से उल्लेख किया।
मनमोहन सिंह दो कार्यकाल पूरा करने वाले भारत के केवल तीसरे प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने 2004 से 2014 के बीच प्रधानमंत्री के तौर पर देश का नेतृत्व किया। अमेरिका के साथ भारत का ऐतिहासिक परमाणु करार और कोपेनहेगन में जलवायु परिवर्तन समझौता उन्हीं के कार्यकाल की उपलब्धि है।
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डॉ मनमोहन सिंह ने भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर और फिर पी.वी. नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली सरकार में वित्त मंत्री के रूप में काम करते हुए आर्थिक सुधारों की शुरुआत में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जबकि प्रधानमंत्री के तौर पर उन्होंने आजादी के बाद पहली बार आर्थिक विकास की सर्वोच्च दर हासिल करने में देश का नेतृत्व किया।
बतौर प्रधानमंत्री डॉ. सिंह के कार्यकाल में सबसे कम आतंकवादी घटनाएं हुईं। इसके अलावा उनके कार्यकाल में सांप्रदायिक सद्भाव और शांति का लंबा दौर कायम रहा।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर प्रदान दिए जाने वाले इस अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार की स्थापना 1986 में की गई थी। इससे पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायोग को यह पुरस्कार प्रदान किया गया था।
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