गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ रहे डॉक्टर कफील को रविवार 23 सितंबर की रात अचानक पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उनके साथ ही उनके भाई अदील अहमद खान को भी गिरफ्तार किया गया है। इन पर धोखाधड़ी, अहम सुरक्षा में फर्जीवाड़ा करने, फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस को असली बताने और आपराधिक साजिश रचने का आरोप लगाय गया है।
गोरखपुर के एसपी सिटी विजय कुमार सिंह ने बताया कि मुजफ्फर आलम नाम के व्यक्ति ने अदील अहमद के एक साथी मोहम्मद फैज़ान के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। एफआईआर में कहा गया है कि अदील अहमद ने 2009 में शिकायतकर्ता के नाम से फर्जी दस्तावेज़ जाम कर बैंक में खाता खोला। इस खाते में अगले पांच साल के दौरान 2 करोड़ रुपए का लेनदेन हुआ। इस खाते से डॉक्टर कफील अहमद और उनके भाई को फायदा पहुंचाया गया।
एफआईआर के मुताबिक, “जब डॉक्टर कफील पढ़ाई कर रहे थे तो इसी खाते से उनकी फीस जमा कराई जाती थी।” एसपी सिटी ने इस बात का कोई जवाब नहीं दिया कि आखिर इस मामले की एफआईआर 9 साल बाद क्यों लिखाई जा रही है।
डॉक्टर कफील को पिछले साल सितंबर में सात अन्य लोगों के साथ उस वक्त गिरफ्तार किया गया था जब गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दो दर्जन से ज्यादा बच्चों की मौत ऑक्सीजन की कमी के चलते हो गई थी। उस समय डॉक्टर कफील इसी अस्पताल में काम करते थे और एंसिफ्लाइटिस वार्ड के इंचार्ज थे। उन्हें मई 2018 में ही जमानत पर रिहा किया गया है। रिहा होने के बाद डॉक्टर कफील लगातार उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर प्रताड़ित करने के आरोप लगा रहे हैं।
रोचक है कि गिरफ्तारी से कुछ घंटे पूर्व ही डॉक्टर कफील को बहराईच पुलिस ने हिरासत में लिया था। वे वहां के जिला अस्पताल में 120 बच्चों की एंसिफ्लाइटिस से मौत पर राज्य सरकार की उदासीनता के खिलाफ विरोध करने गए थे। अस्पताल प्रशासन का आरोप था कि उन्होंने अस्पताल में भर्ती मरीज़ों और उनके तीमारदारों को डॉक्टरों पर हमला करने के लिएउकसाया।
यह भी संयोग ही है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी पिछले दो दिन से गोरखपुर में हैं। गिरफ्तारी के बाद जब डॉक्टर कफील को ले जाया जा रहा था तो उन्होंने कहा कि, इस समय देश में अघोषित आपातकाल का माहौल है। उन्होंने कहा कि, “यह सीधा-सीधा प्रताड़ित करने का मामला है क्योंकि हम बीजेपी की विभाजनकारी विचारधारा से सहमत नहीं हैं।” उन्होंने दावा किया कि शिकायतकर्ता ने सिर्फ फैज़ान के खिलाफ मामला दर्ज कराया था, लेकिन पुलिस ने इसमें उनका नाम शामिल किया है।
फैज़ान फिलहाल पुलिस की गिरफ्त से बाहर है।
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इस मामले में गोरखपुर के सीओ कैंट प्रभात राय ने बताया कि राजघाट क्षेत्र के शेषपुर निवासी मुजफ्फर आलम की शिकायत पर पूर्व में एक मुकदमा दर्ज हुआ था। दरअसल, मुजफ्फर डॉ. कफील के भाई आदिल के साथ काम भी कर चुके हैं। मुजफ्फर का आरोप था कि उनके दस्तावेज का गलत इस्तेमाल कर दोनों ने फैजान के नाम से यूनियन बैंक की बैंक रोड शाखा में 2009 में एक खाता खोला, जिसके जमानतदार अदील बने थे। आलम ने कहा कि, 'मनिपाल यूनिवर्सिटी से पढ़ाई के दौरान डॉक्टर कफील खान ने इसी खाते से 3 लाख 81 हजार रुपये का डीडी बनवाकर फीस जमा की थी। 2014 में मुजफ्फर की आपत्ति पर यह खाता बैंक ने बंद कर दिया।'
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