देश भर के शहरों के बाद गांवों में कोरोना संक्रमण से हालात खराब होते देख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के कुछ चिकित्सकों ने एक नई पहल की है। गावों में फेरीवालों की तरह घर-घर जाकर ये डॉक्टर बुखार और ऑक्सीजन लेवल चेक कराने के लिए गुहार लगाते हैं और फिर जरूरी परामर्श और दवाएं देते हैं। बीएचयू के जुनूनी चिकित्सकों ने इस पहल को 'ऑक्सीजन फेरीवाला' नाम दिया है।
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दरअसल, बीएचयू के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. विजय नाथ मिश्र, डॉ. अभिषेक पाठक आदि चिकित्सकों ने गांव-गांव संदिग्ध कोरोना रोगियों की पहचान करने की मुहिम शुरू की है। ऑक्सीमीटर, थमार्मीटर जैसे उपकरणों और दवाओं के साथ बीएचयू के डॉक्टरों की टीम बनारस के गांवों में पहुंच रहीं हैं। अब तक यह टीम बनारस के डाफी, रमना गांव में घर-घर जाकर लोगों के ऑक्सीजन लेवल की जांच कर संदिग्ध रोगियों को दवाएं दे चुकीं हैं।
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बीएचयू के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. विजय नाथ मिश्र ने आईएएनएस को बताया, न्यूरोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने यह पहल की है। ताकि हम गांवों में रहने वालों की इस महामारी से जान बचा सकें। गांवों के लोग संक्रमण की चपेट में आने पर भी उसे मौसमी फ्लू मानकर लापरवाही करते हैं। लापरवाही से जिंदगी खतरे में पड़ जाती है। गांवों में लोगों के पास होम आइसोलेशन की दवाएं और पल्स ऑक्सीमीटर आदि नहीं रहते। ऐसे में डॉक्टरों की टीम गांवों में जाकर लोगों के ऑक्सीजन सेचुरेशन की जांच कर रही है। कोविड 19 के लक्षण वालों को दवाएं दी जा रहीं हैं। गंभीर रोगियों को वाराणसी के अस्पतालों में भर्ती कराने में भी हम मदद कर रहे हैं।
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बीएचयू के डॉक्टरों ने सामाजिक संगठनों की मदद से दवाओं की व्यवस्था की है। सेवा भारती जैसे संगठन भी सहयोग कर रहे हैं। ग्राम प्रधानों को ऑक्सीमीटर और दवाएं दी जा रहीं हैं। ताकि गांव में कोरोना संक्रमित रोगियों के उपचार में मदद हो सके।
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अब ऑक्सीजन लेवल का पता लगाने के लिए लोगों को अस्पतालों का चक्कर नहीं काटना पड़ रहा है। डॉ. विजय नाथ मिश्र के मुताबिक, यह अभियान लगातार चलता रहेगा। बता दें कि बीएचयू के न्यूरोलॉजी विभाग के 5 डॉक्टरों ने मिलकर इसके पूर्व वाराणसी में महामना ऑक्सीजन प्वाइंट भी शुरू किया है। इससे रोगियों को वैन के माध्यम से ऑक्सीजन उपलब्ध कराया जा रहा है।
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