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दिल्ली: संस्कृति मंत्रालय की संस्था में ‘सृजन’  जैसा करोड़ों का घोटाला, बड़ी ‘मछलियां’ अभी भी गिरफ्त से बाहर

इस ‘भ्रष्टाचार’ की जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय को भी है। और इस मामले में पिछले दिनों एक सरकारी कर्मचारी समेत 6 लोगों को हिरासत में लिया गया है। हालांकि आरोप है कि संस्कृति मंत्रालय इस घोटाले को दबाने के हर संभव प्रयास में जुटी है।

फोटो: अफरोज आलम साहिल
फोटो: अफरोज आलम साहिल संस्कृति मंत्रालय की संस्था में करोड़ों को घोटाला

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भले ही देश से भ्रष्टाचार की ‘संस्कृति’ को हमेशा के लिए समाप्त कर देने की बात करते आए हों, लेकिन उनके ही संस्कृति मंत्रालय में भ्रष्टाचार की नई कहानी सामने आई है।

इस ‘भ्रष्टाचार’ की जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय को भी है। और इस मामले में पिछले दिनों एक सरकारी कर्मचारी समेत 6 लोगों को हिरासत में लिया गया है। हालांकि आरोप है कि संस्कृति मंत्रालय इस घोटाले को दबाने के हर संभव प्रयास में जुटी है। 6 मामूली लोगों को गिरफ़्तार कर असली ‘मछलियों’ को बचाया जा रहा है।

ये कहानी संस्कृति मंत्रालय के अधीन नई दिल्ली के द्वारका में चलने वाले ‘सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र’ की है। यहां इसके निदेशक पर करोड़ों रूपये के घोटाले की रिपोर्ट सामने आई है और आरोप है कि इसमें संस्कृति मंत्रालय के तार भी जुड़े हुए हैं।

इस मामले को लेकर पिछले दिनों 24 जुलाई 2018 को राज्यसभा में माजिद मेनन ने सवाल किए, जिसके जवाब में संस्कृति राज्य मंत्री डॉ महेश शर्मा ने ये स्वीकार किया कि ‘सीसीआरटी में बरती गई अनियमितताओं के चलते ऑडिटोरियम किराए पर देने पर रोक लगाए जाने से लेखा-परीक्षा दल के ज़रिए 1.56 करोड़ की हानि इंगित की गई है’।

31 जुलाई 2018 को भी महेश शर्मा ने डॉ टी सुब्बारामी रेड्डी के एक सवाल के जवाब में बताया कि इस केन्द्र में कई वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितताएं इंगित की गई हैं।

उन्होंने ये भी बताया कि स्कॉलरशिप का भुगतान न किए जाने के 348 मामले संज्ञान में आए हैं, जिनमें लगभग 51,50,404 रुपये की राशि शामिल है। जबकि इससे पहले 19 मार्च, 2018 को मंत्री महेश शर्मा ने लोकसभा में एक जवाब में बताया था कि अब तक लगभग 325 मामलों में लगभग 51 लाख रुपये का भुगतान न किए जाने के मामले सामने आए हैं।

यहां बता दें कि 7 अगस्त, 2018 को लिखित प्रश्न के जवाब में डॉ महेश शर्मा ने बताया है कि साल 2018-19 के लिए सीसीआरटी को कुल आवंटित बजट 2565.97 लाख रुपये है।

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मामला अदालत में, पुलिस को जांच के आदेश

ये मामला अदालत में भी है। दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में पुलिस को जांच के आदेश भी दिए हैं।

इस मामले को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर करने वाले ब्रजेश कुमार का कहना है कि ‘6 मार्च को कोर्ट ने इस संबंध में दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच को इसकी जांच के आदेश दिए थे। पुलिस ने कार्रवाई के नाम पर 6 लोगों को हिरासत में लिया है, जबकि असल लोग पुलिस की गिरफ़्त से बाहर हैं। मामले को हर तरह से दबाने की कोशिश की जा रही है’।

बता दें कि 1979 में स्थापित ये केन्द्र संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन एक स्वायत्त संस्थान के रूप में कार्यरत है।

गंभीर आर्थिक और प्रशासनिक अनियमितता

आरटीआई के ज़रिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय के इंटरनल ऑडिट विंग से हासिल स्पेशल ऑडिट रिपोर्ट बताती है कि ‘सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र’ के निदेशक जीसी जोशी द्वारा गंभीर आर्थिक और प्रशासनिक अनियमितता बरती गई है।

ये ऑडिट रिपोर्ट बताती है कि अगर 2010-11 में ऑडिटोरियम से हुए कमाई को राजस्व का आधार माना जाए तो निदेशक जोशी की ऑडिटोरियम के लिए अनुमोदन/लाइसेंस में गैर-कार्यवाही के कारण साल 2011-12 से 2015-16 तक 1.56 करोड़ का नुकसान हुआ है।

यही नहीं, यहां कई स्टॉफ की बहाली बग़ैर किसी पूर्व सूचना या विज्ञापन जारी किए हुई है। इसके अलावा इस रिपोर्ट में निदेशक द्वारा किए गए कई सारी अनियमितताओं की ओर स्पष्ट तौर पर इशारा किया गया है।

इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि इस केन्द्र के निदेशक के कारनामों को देखते हुए उन्हें तुरंत सस्पेंड किया जाए या फिर उन्हें जांच मुकम्मल होने तक छूट्टी पर भेज दिया जाए। साथ ही 2012 से इन्होंने जितने बहाली, ख़रीदारी और स्टॉफ़ बर्ख़ास्तगी के अनुमोदन दिए हैं, उन सबको अवैध माना जाए। बावजूद इसके निदेशक जीसी जोशी अपने पद पर लगातार बरक़रार रहे और अब वो 31 जुलाई को रिटायर भी हो चुके हैं।

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सृजन घोटाले की तर्ज पर यहां स्कॉलरशिप घोटाला

इसी केंद्र द्वारा दी जाने वाली ‘सांस्कृतिक प्रतिभा खोज स्कॉलरशिप’ में भी भारी घोटाले की कहानी सामने आ चुकी है।

इस मामले की कहानी बिहार में हुए ‘सृजन घोटाला’ से मिलती-जुलती है। आरोप है कि संस्कृति मंत्रालय के अधीन चलने वाले ‘सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र’ के एक भूतपूर्व संविदा कर्मचारी द्वारा ‘सांस्कृतिक प्रतिभा खोज स्कॉलरशिप’ की रक़म छात्रों को आरटीजीएस के माध्यम से समय पर न भेजकर उस राशि को ग़लत तरीक़े से खुद पर और अपने परिजनों के बैंक खातों में जमा कराया जाता रहा है। यह भी आरोप है कि इस मामले में इस केन्द्र के निदेशक भी शामिल हैं और उनकी देख-रेख में यह घोटाले हो रहे थे।

इस मामले की शिकायत (पीएमओपीजी/एफ/2017/0301596) खुद इस स्कॉलरशिप के लिए चयनित छात्रों ने प्रधानमंत्री कार्यालय में दर्ज कराई है। इस शिकायत के बाद जब इंटरनल जांच की गई, तब बच्चों के करोड़ों की स्कॉलरशिप की राशि यहां के उप-निदेशक और निदेशक के परिजनों के अकाउंट में जाने का भंडाफोड़ हुआ।

इस केन्द्र के निदेशक द्वारा कराए गए एक इंटरनल जांच में भी यह स्वीकार किया गया है कि घोटाले की बात 100 फीसदी सही है और करीब 50 लाख रुपयों का गबन किया गया है। जबकि इस मामले को करीब से देखने वालों का कहना है कि यह घोटाला करोड़ों का है। संस्कृति मंत्रालय को इसकी जांच खुद करनी चाहिए क्योंकि अभी जो लोग इसकी जांच कर रहे हैं, वो खुद इस मामले के आरोपी हैं। यानी इस मामले की जांच इस केन्द्र के निदेशक ही कर रहे थे।

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