दिल्ली की ऐतिहासिक जामा मस्जिद की हालत इन दिनों बहुत खराब है। मस्जिद का अंदरूनी प्लास्टर कई जगहों से उखड़ रहा है और पूरी इमारत में कई जगहों पर दरारें आ गई हैं। आज मस्जिद की ये हालत भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआई) और दिल्ली वक्फ बोर्ड की लापरवाही और अनदेखी की वजह से हुई है। हालांकि, मीडिया में इस संबंध में खबर आने के बाद एएसआई की एक टीम ने 14 दिसंबर को जामा मस्जिद का दौरा किया और वहां की मीनारों और दीवारों की स्थिति का जायजा लिया। इस दौरान वहां मौजूद जामा मस्जिद सलाहकार समिति के तारिक बुखारी ने कहा के मीनारों की मरम्मत जल्द से जल्द कराए जाने की आवश्यकता है।
Published: 14 Dec 2017, 5:27 PM IST
361 साल पुरानी इस आलीशान ‘मुगलिया’ मस्जिद के केंद्रीय गुंबद की हालत इतनी खराब है कि उसके अंदर का प्लास्टर उखड़ रहा है और उसमें दरारें पड़ गई हैं। इन दरारों से बरसात के दिनों में पानी अंदर आता है। इसी केंद्रीय गुंबद के नीचे खड़े होकर शाही इमाम अपना खुतबा (धार्मिक व्याख्यान) देते हैं और नमाज पढ़ाते हैं। मस्जिद की छत के चारों तरफ बनी मुंडेरों का भी प्लास्टर उखड़ गया है और उसकी भी हालत बहुत खराब है।
Published: 14 Dec 2017, 5:27 PM IST
यहां यह बताना जरूरी है कि जो गुंबद सामने से नजर आता है उसके अंदर भी एक गुंबद है। बरसात में पानी बाहर की गुंबद से अंदर की गुंबद पर टपकता है और अंदर की गुंबद से वह मस्जिद की छत पर पहुंच जाता है। इसकी वजह से छत में सीलन पड़ गई है जो केंद्रीय गुंबद के नीचे साफ नजर आता है। मस्जिद के चारों तरफ के बरामदे, दीवारों और छत की हालत बहुत खराब है और उनमें कई जगह दरारें स्पष्ट नजर आती हैं।
Published: 14 Dec 2017, 5:27 PM IST
इस बारे में मस्जिद के शाही इमाम सैय्यद अहमद बुखारी ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री और एएसआई दोनों को पत्र लिखकर इस स्थिति से अवगत कराया है, लेकिन दोनों ही जगहों से इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई। बुखारी ने बताया कि एएसआई को 5 फरवरी 2014 और 16 और पीएम मोदी को16 अगस्त 2016 को पत्र लिखकर मस्जिद की स्थिति के बारे में जानकारी दी गई थी, लेकिन अभी तक इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया गया।
इस मामले पर एएसआई के प्रवक्ता डी एम डुमरी ने बताया कि इस बारे में एएसआई को कोई जानकारी नहीं है। हालांकि, उन्होंने बताया कि मस्जिद की फर्श और कुछ अन्य मरम्मत के काम प्रस्तावित हैं और इस संबंध में टेंडर आदि का काम हो चुका है। बता दें कि जामा मस्जिद के रख-रखाव की जिम्मेदारी एएसआई की नहीं है। इसकी सारी जिम्मेदारी दिल्ली वक्फ बोर्ड की है।
Published: 14 Dec 2017, 5:27 PM IST
केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बाद 1956 में 10 साल के लिए एएसआई को इस शाही मस्जिद की मरम्मत के लिए कहा गया था, लेकिन उसके बाद भी सरकार के कहने पर एएसआई मस्जिद में मरम्मत का काम करता रहा और साल 2005-06 में भी एएसआई ने यहां काफी काम किया था। इधर, दिल्ली वक्फ बोर्ड की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वह इस आलीशान ऐतिहासिक मस्जिद की मरम्मत का काम करा सके।
Published: 14 Dec 2017, 5:27 PM IST
मस्जिद में आने वाले पर्यटक या स्थानीय लोग जो मीनारों पर जाते हैं तो उसका टिकट लगता है। इन टिकटों की बिक्री से जो रुपये आते हैं उससे मस्जिद के कर्मचारियों के वेतन और अन्य खर्च पूरे होते हैं। सूत्रों के अनुसार मीनार के टिकट और पार्किंग से आने वाले रुपयों का 7 फीसदी हिस्सा वक्फ बोर्ड को भी जाता है। इस ऐतिहासिक मस्जिद को तत्काल सरकार की मदद की जरूरत है। अगर इस पर जल्द ही ध्यान नहीं दिया गया तो स्थिति और गंभीर हो सकती है।
Published: 14 Dec 2017, 5:27 PM IST
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Published: 14 Dec 2017, 5:27 PM IST