मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) की तीन दिन तक चली केंद्रीय समिति की बैठक में आने वाले विधानसभा चुनावों और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर कई अहम फैसले लिए गए। बैठक में सर्वसम्मति से तय किया गया कि 2019 के आम चुनावों पार्टी की सबसे बड़ी प्राथमिकता बीजेपी को सत्ता से हटाना है। इसके लिए वाम दलों को मजबूत करना है और केंद्र में सेक्युलर दलों की सरकार बनाना हैै। सीपीएम ने बैठक में अहम फैसला लेते हुए कहा कि 2019 में जब बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने की नौबत आएगी तो कांग्रेस के साथ मिलकर सेक्युलर सरकार बनाने का विकल्प खुला है।
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दिल्ली में दिन तक चली पार्टी की केंद्रीय समिति की बैठक में देश की मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों के अलावा देश में बीजेपी विरोधी सभी राजनीतिक ताकतों के बीच आपसी विश्वास व समझ कायम कराने की संभावनाओं पर व्यापक चर्चा हुई। आम चुनाव के बाद कांग्रेस के नेतृत्व में धर्मनिरपेक्ष सरकार की संभावनाओं पर सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के लिए सीपीएम बाकी वाम दलों के साथ किसी भी सीमा तक जाएगी। यह पूछे जाने पर क्या कांग्रेस को भी समर्थन दिया जा सकता है तो येचुरी ने कहा कि वामदलों ने 1996 में भी बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के लिए ही कांग्रेस के नेतृत्व में सेक्युलर सरकार बनाने के लिए समर्थन दिया था।
इससे पहले सीपीएम ने इस साल अप्रैल में अपनी पार्टी कांग्रेस में कांग्रेस पार्टी के साथ किसी भी तरह का चुनावी तालमेल नहीं करने का फैसाला किया था। इस बारे में पूछने पर येचुरी ने कहा, “मोटे तौर हम अपनी पार्टी कांग्रेस के फैसले से ही बंधे हैं, लेकिन सर्वोच्च प्राथमिकता बीजेपी को सत्ता से बाहर करना है।” बीजेपी के खिलाफ राष्टीय स्तर पर विपक्षी पार्टियों के महागठबंधन की संभावनाओं पर येचुरी ने कहा कि हर प्रदेश की सियासी सूरत अलग-अलग है, इसलिए राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन व्यावहारिक नहीं, जैसे कि उत्तर प्रदेश में एसपी-बीएसपी मजबूत हैं, लेकिन पड़ोस के राज्य बिहार में आरजेडी और बाकी सेक्युलर पार्टियां बीजेपी को हराने में सक्षम हैं, वहां एसपी-बीएसपी नहीं हैं।
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के बीजेपी विरोधी मोर्चे के प्रस्ताव को येचुरी ने खारिज करते हुए कहा कि वहां ममता सभी 42 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर चुकी हैं। उनसे किसी समझौते का सवाल कहीं भी पैदा नहीं हो सकता।
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आगामी 5 प्रदेशों के विधानसभा चुनावों और बाद में आम चुनावों की रणनीति पर सीपीएम की केंद्रीय समिति ने तय किया है कि जिन सीटों पर वह चुनाव नहीं लड़ेगी, वहां बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस समेत बाकी समान विचार वाले सेक्युलर दलों के उम्मीदवारों को समर्थन देगी। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ और राजस्थान में कुछ सीटों पर सीपीएम चुनाव लड़ रही है, लेकिन वह तेलंगाना में बहुजन वाम मोर्चे के साथ चुनाव मैदान में है। तेलंगाना में वाम दल टीआरएस और बीजेपी दोनों को चुनाव में हराने के लिए काम कर रहे हैं।
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