उत्तर प्रदेश में आवारा पशुओं की विकराल होती समस्या का समाधान भले ही योगी सरकार न निकाल पा रही हो मगर शामली जिले में अपनी फसलों के बर्बाद होने से नाराज दर्जनों किसानों ने एक नया कारनामा कर दिया। दरअसल 29 जनवरी को जिले के कुडाना गांव में फसल बर्बाद होने से आहत दर्जनों किसानों ने खेतों में आवारा गूम रही 50 से ज्यादा गायों को पकड़कर गांव के सरकारी प्रथामिक स्कूल में बांध दिया। स्कूल की कक्षाओं में गायों के बंधे होने के कारण स्कूल प्रशासन ने स्कूल के बाहर गली में बच्चों को रास्ते पर बैठाकर पढ़ाया।
मामला यहीं नहीं रुका। जैसे ही इस घटना की खबर फैली तो शामली प्रशासन में हड़कंप मच गया। मौके पर एक के बाद एक अधिकारी पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। इसके बाद पुलिस ने गांव के दर्जनों किसानों के खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कराया है। अब मुकदमा दर्ज होने को लेकर स्थानीय किसानों में काफी रोष है।
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कुडाना, शामली से 12 किमी दूर एक जाट बहुल गांव है। गांव के किसान जितेंद्र चौधरी ने बताया कि इस समय जंगलों में सैकड़ों गाय और सांड घूम रहे हैं जो फसल तबाह कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “किसानों ने इस समय गेंहू की बुआई की है। उन्होंने कई बार स्थानीय प्रशासन से इसकी शिकायत भी की। आसपास की सारी गोशालाएं अब इन्हें लेने से इंकार कर रही हैं। पहले वे 5 हजार रुपए की पर्ची काट रहे थे। किसान इन आवारा पशुओं से तंग हो गया है। हम सब लगभग 50 गोवंश को स्कूल के अंदर छोड़ आए। हम गाय का आदर करते हैं, लेकिन सरकार को इन्हें गौशाला में भिजवाना चाहिए। खुले में घूमने से कोई भी अप्रिय घटना हो सकती है।” चौधरी ने कहा कि उन लोगों ने यह अपनी फसल बचाने और गाय को नुकसान न पहुंचे इस नियत से किया है, मगर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया गया।
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गांव के जिस प्राथमिक स्कूल में गायों को बांधा गया, उसी स्कूल की शिक्षिकाओं ने उच्च अधिकारियों को इसकी सूचना दी। एक शिक्षिका ने बताया कि सुबह जब वह स्कूल पहुंची तो स्कूल बाहर से बंद था और अंदर 25 से 30 गायें घूम रही थीं। वह यह देखकर भौंचक्क रह गईं। किसान कह रहे थे वे मजबूर हैं। इसके बाद भी कुछ किसान गाय लेकर आए। शिक्षिका ने कहा कि इस वजह से हमें बच्चों को स्कूल के बाहर रास्ते पर पढ़ाना पड़ा।
स्कूल की शिक्षिकाओं की सूचना पर स्थानीय तहसीलदार सुरेन्द सिंह और कोतवाली पुलिस गांव पहुंची। इसके बाद प्रशासन और किसानों के बीच बात हुई। तहसीलदार सुरेंद्र सिंह ने बताया कि बुतराडा में गायों की अस्थाई व्यवस्था कर दी गई है। देर शाम पुलिस ने गांव के कई किसानों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया।
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प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक यह कार्रवाई लखनऊ के आदेश पर हुई। शामली के एसपी अजय कुमार के मुताबिक स्कूल में गाय बंद करने वाले किसानों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया है। इन्होंने स्कूल में पढ़ते बच्चों को ठंड में बाहर पढ़ने पर मजबूर किया और सरकारी कार्य मे बाधा पहुंचाई है। यही नहीं एसपी की ओर बाकायदा एक अपील भी जारी की गई है जिसमें किसानों को गायों को इस तरह से बंद न करने की हिदायत दी गई है और इसे पब्लिसिटी स्टंट बताया गया है। खास बात है कि किसान इसे अपील कम धमकी ज्यादा बता रहे हैं। इसमें स्कूल में गाय बंद करने वाले किसानों को शरारती तत्व कहने पर किसानों ने सख्त आपत्ति की है।
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शामली के पूर्व कांग्रेस विधायक पंकज मलिक ने इस पर कड़ी नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा, “किसानों की आवारा पशुओं की यह समस्या गांव-गांव में है। आज किसानों के विरुद्ध मुकदमे दर्ज कर दिए गए हैं। यह बात साबित करती है कि यह सरकार किसान विरोधी है और उनकी आवाज दबाने का काम कर रही है। बीजेपी के लोगों को यह समस्या क्यों दिखाई नहीं दी। हम किसी भी जीव को तकलीफ पहुंचाने के पक्षधर नहीं हैं, लेकिन सरकार इन गोवंश के लिए माकूल व्वयस्था क्यों नही कर रही है?”
कुडाना के किसान रोहताश, बबलू और राजकुमार ने बताया कि पुलिस ने किसानों के विरुद्ध मुकदमा लिखकर उनपर दोहरी चोट की है। सरकार को गायों को चिंता तो है मगर किसानों की नहीं है। रात में गायें फसल खराब करती हैं और जब किसान पानी चलाने जाते हैं तो उन्हें मारती भी हैं। सरकार को इन गायों को गौशाला भिजवाने का बंदोबस्त करना चाहिए।
बता दें कि इससे पहले भी उत्तर प्रदेश में कई जगह किसानों ने गाय सरकारी दफ्तरों में बांध दिए, जिसकी वजह से कई जगहों पर किसानों के खिलाफ मुकदमे भी दर्ज हुए हैं। हाल ही मथुरा में 50 से ज्यादा किसानों के विरुद्ध मुकदमे दर्ज किए गए थे। मथुरा के गोवर्धन के जिखरगंज में भी किसानों ने गोवंश को स्कूल में बंद कर दिया था इसके बाद उनके विरुद्ध पशु क्रूरता अधिनियम के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर दिया गया।
गौरतलब है उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के गायों के प्रति रुख को देखते हुए प्रदेश की सड़कों पर आवारा गोवंश की बाढ़ आ गई है। कुछ गौशालाओं के मालिकों ने भ्रष्टाचार के नए रास्ते खोज लिए हैं। एक बड़े समुदाय ने गाय पालना लगभग बंद कर दिया है। इन सारी वजहों से ही प्रदेश में आवारा पशुओं की बाढ़ सी आ गई है।
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