जीएसटी को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने सैनिटरी नैपकिन को जीएसटी दायरे में रखने औऱ उसपर 12 प्रतिशत जीएसटी लगाए जाने पर केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि जब बिंदी, सिंदूर और काजल को जीएसटी दायरे से बाहर रखा जा सकता है, तो महिलाओं के लिए बेहद जरूरी सैनिटरी नैपकिन को क्यों नहीं। दिल्ली हाईकोर्ट जेएनयू के अफ्रीकी अध्ययन केंद्र में पीएचडी की छात्रा जरमीना इसरार खान की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। अपनी याचिका में जरमीना ने सैनिटरी नैपकीन पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगाने के केंद्र के फैसले को चुनौती देते हुए इसे गैर कानूनी और असंवैधानिक बताया है।
दिल्ली हाईकोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी.हरिशंकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि सैनिटरी नैपकिन एक बेहद जरूरी चीज है। उस पर कर या जीएसटी लगाने और दूसरी अन्य कई वस्तुओं को जरूरी चीजों की श्रेणी में लाकर कर के दायरे से बाहर रखने का कोई स्पष्टीकरण नहीं हो सकता है। पीठ ने पूछा, “क्या इसका कोई स्पष्टीकरण हो सकता है। आप बिंदी, काजल और सिंदूर को छूट देते हैं। लेकिन सैनिटरी नैपकिन को जीएसटी के दायरे में लाकर इस पर कर लगा देते हैं। यह तो बेहद जरूरी चीज है। क्या इसका कोई स्पष्टीकरण है।"
कोर्ट ने 31 सदस्यीय जीएसटी परिषद में एक भी महिला सदस्य के नहीं होने पर भी नाराजगी जाहिर की। पीठ ने सरकार से पूछा, “नैपकिन को जीएसटी के दायरे में लाने के मामले में क्या आपने महिला व बाल विकास मंत्रालय से चर्चा की थी या सिर्फ आयात-निर्यात के आंकड़ों के आधार पर ही फैसला कर लिया?” कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई की तारीख 14 दिसंबर तय की है।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined