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आंध्र प्रदेश में देशव्यापी फर्जी सर्टिफिकेट रैकेट का भंडाफोड़, 500 पाठ्यक्रमों के लिए बनाया जा रहा था प्रमाणपत्र

आंध्र प्रदेश के प्रकासम जिले की पुलिस ने शनिवार को दो साल पुराने फर्जी सर्टिफिकेट रैकेट का भंडाफोड़ कर सात लोगों को 'जेएनटीसी' नाम से 500 पाठ्यक्रमों के लिए प्रमाणपत्र जारी करने के लिए गिरफ्तार किया है।

फोटो : IANS
फोटो : IANS 

आंध्र प्रदेश के प्रकासम जिले की पुलिस ने शनिवार को दो साल पुराने फर्जी सर्टिफिकेट रैकेट का भंडाफोड़ कर सात लोगों को 'जेएनटीसी' नाम से 500 पाठ्यक्रमों के लिए प्रमाणपत्र जारी करने के लिए गिरफ्तार किया है। यह फजीर्वाड़ा एक प्रतिष्ठित तकनीकी विश्वविद्यालय की नकल कर हो रही थी। प्रकासम जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) सिद्धार्थ कौशल ने आईएएनएस को बताया, "हमने देशव्यापी ऑपरेशन का भंडाफोड़ किया है, जो जवाहरलाल नेहरू तकनीकी केंद्र (जेएनटीसी) नाम से चलाया जा रहा था, जाहिर तौर पर इसे जवाहरलाल नेहरू तकनीकी विश्वविद्यालय (जेएनटीयू) नाम से भ्रमित करने के इरादे से बनाया गया था।"

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गिरफ्तार किए गए सात लोगों में जामपनी वेंकटेश्वरलू (49), सिलारापु बाला श्रीनिवास राव (53), सिलाराप्पु सुजाता (47), सिद्दी श्रीनिवास रेड्डी (25), कोडुरी प्रदीप कुमार (32), अनपर्थी क्रिस्टोफर (47) और बत्ता पोटुला वेंकटेश्वरलु (48) हैं। पुलिस ने उन्हें धोखाधड़ी, जालसाजी, जाली दस्तावेजों का इस्तेमान करने को लेकर आईपीसी धारा 420, 468, 471 और अन्य के तहत गिरफ्तार किया। आरोपी देश भर के 11 राज्यों में जेएनटीसी नाम से काम कर रहे थे।

कौशल ने कहा, "वे अध्ययन के करीब हर फिल्ड के फर्जी प्रमाण पत्र जारी कर रहे थे और जमीनी स्तर पर कुछ भी नहीं था। हमने करीब 500 प्रकार के प्रमाण पत्र सूचीबद्ध किए, जिसे वे जारी कर रहे थे। इसमें तीन महीने के पाठ्यक्रम से लेकर 3 साल की डिग्री तक थी।"

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प्रमाण पत्र मैनेजमेंट, हॉस्पिटालिटि यहां तक कि स्वास्थ्य, विमानन, आग और सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों और अन्य इसी तरह के विषयों में प्रमाण पत्र जारी किए गए थे। पुलिस ने अब तक 11 राज्यों में जारी किए गए करीब 2,400 ऑड प्रमाण पत्रों के बारे में पता लगाया है, यह संख्या बढ़ने की संभावना है।

इसी बीच पुलिस ने लोगों को सतर्क करने के लिए सर्टिफिकेट फर्जीवाड़े मामले को जल्द से जल्द जनता के सामने पेश किया, ताकि इन फर्जी डिग्री का इस्तेमाल कर रहे लोगों से वे बच सकें।

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कौशल ने कहा, "हमने इस जांच का विवरण जनता के हित को देखते हुए तुरंत सार्वजनिक किया, क्योंकि हमें संदेह है कि इनमें से कई प्रमाण पत्रों का उपयोग सरकारी या निजी क्षेत्र के साथ संवेदनशील स्थानों पर भी अवैध रूप से रोजगार पाने के लिए किया गया है।" एसपी को उम्मीद है कि नियोक्ता और कर्मचारी संदिग्ध उम्मीदवारों को लेकर सतर्कता बरतेंगे।

आईपीएस अधिकारी ने इनके कार्यप्रणाली के बारे में बताते हुए कहा कि रैकेट में सिर्फ आंध्र प्रदेश में 155 माध्यम थे, जो एक कंप्यूटर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट या इसी तरह के सेटअप की आड़ में चल रहे थे। यह किसी भी तरह का सर्टिफिकेट देने के लिए काम करते हैं।

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उन्होंने कहा, "उदाहरण के लिए मान लीजिए ओंगोले में श्रीनिवास कम्प्यूटर प्रशिक्षण संस्थान है, जो सिर्फ पैसे के भुगतान पर कोई भी सर्टिफिकेट प्रदान करता है, जैसे कि लैब टेक्नीशियन के लिए डिप्लोमा, कृषि में डिप्लोमा या जो भी हो।" आंध्र प्रदेश में इस गिरोह ने 1,900 फर्जी प्रमाणपत्र जारी किए।

रैकेट में शामिल प्रत्येक व्यक्ति को ट्रेस करने के लिए पुलिस ने सभी प्रमाण पत्रों और जेएनटीसी शाखाओं के नाम सूचीबद्ध किया और संबंधित जिला पुलिस को सतर्क किया। कौशल ने कहा, "आप अन्य जिलों में भी कई आपराधिक मामलों, धोखाधड़ी के मामलों और आदि की अपेक्षा कर सकते हैं। मैं इन विवरणों को अन्य राज्यों को भी भेज रहा हूं।"

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हालांकि रैकेट का भंडाफोड़ हो गया, लेकिन कौशल को डर है कि कई लोगों ने लाभ के लिए इन फर्जी प्रमाणपत्रों का दुरुपयोग किया होगा। पुलिस को मामले के बारे में तब पता चला, जब वे एक उर्वरक की दुकान की नियमित स्टॉक जांच के लिए गए। ऐसी दुकानों को चलाने के लिए कृषि डिप्लोमा की आवश्यकता होती है।

उन्होंने कहा, "दुकान चलाने वाला व्यक्ति थोड़ा संदिग्ध लग रहा था और जब हमने सब कुछ सत्यापित किया, तो हमें पता चला कि उसका डिप्लोमा नकली था। जब हमने गहरी जांच शुरू की, तो हमें एक पूरा रैकेट मिला।"

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यह जानने के बाद कि आरोपी विशाखापत्तनम से काम कर रहे थे, पुलिस ने फर्जी प्रमाणपत्र, टिकट, होलोग्राम, कंप्यूटर और जालसाजी के लिए इस्तेमाल किए गए हार्ड ड्राइव की खोज के लिए उनके स्थानों पर छापा मारा।

गिरफ्तार किए गए सातों रैकेट के मास्टरमाइंड हैं। वे किसी भी अनिश्चित मूल्य पर नकली प्रमाण पत्र बेचने के लिए कई स्थानीय लोगों को काम पर लगाते हैं, और खरीदार के सामथ्र्य के आधार पर 2,000 रुपये से लेकर 80,000 रुपये में सर्टिफिकेट बेचते हैं।

इस मामले में मुख्य आरोपी व्यक्ति वायुसेना के एक पूर्व कर्मचारी का बेटा है, जिसने केरल में एक फायर एंड सेफ्टी ट्रेनिंग फील्ड में काम करने के दौरान मौके को देखते हुए ऐसा किया।

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कौशल ने कहा, "अब अगर आप आग और सुरक्षा के लिए फर्जी डिप्लोमा और प्रमाण पत्र जारी करना शुरू करते हैं और कारखानों में आपके पास ये अग्नि सुरक्षा अधिकारी और पर्यवेक्षक हैं, और उन्हें अपना काम नहीं आता है, तो कल यह हर किसी के लिए जोखिम पैदा कर सकते हैं।"

उन्होंने कहा कि आरोपियों ने विमानन, चिकित्सा और अग्नि और सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को भी नहीं बख्शा। आगे की जांच के लिए पुलिस एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन करेगी

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