उत्तर प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव की वोटों की गिनती शुक्रवार सुबह आठ बजे शुरू हो गई। इसके लिए सुरक्षा-व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए गए हैं। जहां वोटों की गिनती हो रही है वहां को रास्ते पर सीमित वाहनों को ही प्रवेश मिलेगा। साथ ही जीतने वाली उम्मीदवार को विजय जुलूस निकालने की इजाजत नहीं होगी। किसी को भी मतगणना स्थल पर मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति नहीं है। शांति एवं सुरक्षा की जिम्मेदारी सीओ स्तर के अधिकारी को दी गई है।
मतगणना स्थल पर प्रत्याशी, उनके एजेंट या गणना एजेंट को ही प्रवेश मिलेगा। इसके लिए प्रशासन ने उन्हें प्रवेश-पत्र जारी किया है। मंत्री, सांसद, विधायक मतगणना स्थल पर नही जा सकेंगे। प्रदेश की सत्ता पर काबिज बीजेपी महानगरों में अपना दबदबा बनाए रखने में अब तक सफल रही है। इस बार पार्टी के सामने असली चुनौती निगमों की सरकार में बहुमत हासिल करने की होगी।
नगर निगम के पिछले चुनाव में भले ही बीजेपी के 10 मेयर जीतने में कामयाब रहे थे, लेकिन उन्हें किसी भी निगम सदन (बोर्ड) में बहुमत नहीं मिला था।
ताजा रुझानों में मायावती की बीएसपी ने वापसी के संकेत दिखाए हैं। 16 नगर निगमों में से 11 पर बीजेपी आगे है, जबकि चार में बीएसपी आगे बढ़ रही है। वहीं, एक नगर निगम की सीट पर कांग्रेस अभी भी आगे हैं। जिन पर बीएसपी आगे है, वो सभी नगर निगम पश्चिमी उत्तर प्रदेश से हैं।
राजधानी लखनऊ सहित 16 नगर निगम, 198 नगर पालिका परिषद और 438 नगर पंचायतों में तीन चरणों में चुनाव हुए थे। नगर निगम क्षेत्रों की मतगणना ईवीएम से हो रही है। एक ईवीएम से मतगणना में दस मिनट तक का समय लगता है। वहीं नगर पालिका परिषदों व नगर पंचायतों में मतपत्र से चुनाव होने के कारण मतगणना में समय अधिक लगेगा। निकाय चुनाव 2012 की तुलना में सात घंटे पहले परिणाम जारी कराने के लिए मतगणना टेबलों की संख्या बढ़ाई गई है।
नतीजों का ऐलान होने केे बाद निर्वाचन अधिकारी राज्य निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर इसे फीड करेंगे। इसके साथ ही जीतने वाले उम्मीदवार के नाम ऑनलाइन प्रमाण पत्र जारी हो जाएगा। निर्वाचन अधिकारी प्रमाण पत्र पर अपने दस्तखत कर विजेता प्रत्याशी को सौंप देगा।
राज्य निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर मोबाइल नंबर अपडेट कराने वाले 25 लाख मतदाताओं के साथ ही सभी प्रत्याशियों को चुनाव परिणाम की सूचना मोबाइल पर एसएमएस के जरिए दी जाएगी।
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