योग गुरु रामदेव ने कुछ दिनों पहले 'कोरोनिल' नामक दवा लॉन्च करते हुए दावा किया था कि यह कोरोना वायरस को ठीक कर सकती है। अब दिल्ली की एक अदालत में याचिका दायर कर रामदेव, पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड, आचार्य बालकृष्ण और अन्य लोगों के खिलाफ झूठे दावे करने पर एफआईआर दर्ज करने के लिए पुलिस को निर्देश देने की मांग की गई है। अधिवक्ता तुषार आनंद द्वारा दायर एक याचिका में कहा गया है कि अभियुक्तों ने खुद को गलत तरीके से लाभ पहुंचाने के इरादे से गलत बयानी करके जनता को गलत तरीके से नुकसान पहुंचाने की साजिश रची। इस मामले पर शुक्रवार को सुनवाई होगी।
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याचिका में कहा गया है कि आरोपियों ने अपने दुर्भावपूर्ण इरादों को जाहिर किया है। इसमें कहा गया है कि आरोपियों ने घातक कोविड-19 से ठीक होने का दावा करते हुए दवा खरीदने के लिए भोले-भाले उपभोक्ताओं के विश्वास के साथ खिलवाड़ किया है।
आवेदक ने अदालत से वसंत विहार पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) को रामदेव और अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत धोखाधड़ी, दुर्भावनापूर्ण कार्य जैसे अपराधों के लिए एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की है।
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आनंद ने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट और ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज करने की मांग की। पतंजलि आयुर्वेद ने 23 जून को कोरोनिल टैबलेट और स्वासारि वटी दवा लॉन्च की थी, जिसमें दावा किया गया था कि ये दवा कोविड-19 को सात दिनों के भीतर ठीक कर सकती हैं। हालांकि दवा लॉन्च होते ही आयुष मंत्रालय ने कहा कि उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी ही नहीं है। मंत्रालय ने पतंजलि को दवा का विज्ञापन करने से भी रोक दिया था।
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पतंजलि ने पहले दावा किया था कि दो आयुर्वेद-आधारित दवाओं ने कोविड-19 रोगियों पर नैदानिक परीक्षण के दौरान 100 प्रतिशत अनुकूल परिणाम दिखाए हैं, सिवाय एक लाइफ सपोर्ट सिस्टम के।
आयुष मंत्रालय ने बुधवार को पतंजलि को कोरोनिल बेचने की अनुमति दे दी। मगर इसे एक प्रतिरक्षा बूस्टर के तौर पर विज्ञापित किया गया है, न कि कोरोनावायरस के इलाज के लिए।
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