केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कोरोनावायरस के खिलाफ जंग में शामिल स्वास्थ्यकर्मियों पर हमलों की पृष्ठभूमि में बुधवार को एक अध्यादेश को मंजूरी दी। इसमें स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ हिंसा को गैर जमानती अपराध माना गया है। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को इसकी जानकारी दी। जावड़ेकर ने कहा कि प्रस्तावित अध्यादेश में स्वास्थ्यकर्मियों के घायल होने और संपत्ति को नुकसान पहुंचने पर भी मुआवजे का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित अध्यादेश के माध्यम से महामारी अधिनियम 1897 में संशोधन किया जाएगा। इससे स्वास्थ्य सेवा से जुड़े कर्मियों की सुरक्षा और उनके रहने और काम करने की जगह को हिंसा से बचाने में मदद मिलेगी।
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अध्यादेश में हिंसा का दोषी पाए जाने पर छह महीने से सात साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मेडिकलकर्मियों पर हमला करने वालों को जमानत नहीं मिलेगी, 30 दिन के अंदर इसकी जांच पूरी होगी। 1 साल के अंदर फैसला लाया जाएगा, जबकि 3 महीने से 5 साल तक की सजा हो सकती है। अध्यादेश के अनुसार, अगर किसी ने स्वास्थ्यकर्मी की गाड़ी पर हमला किया तो मार्केट वैल्यू का दोगुना ज्यादा भरपाई की जाएगी।
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प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि देश में अब 723 कोविड अस्पताल हैं, जिसमें लगभग 2 लाख बैड तैयार हैं। इनमें 24 हजार आईसीयू बेड हैं और 12 हजार 190 वेंटिलेटर हैं। जबकि 25 लाख से अधिक N95 मास्क भी हैं। जबकि 2.5 करोड़ के ऑर्डर दिए जा चुके हैं।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सरकार की ओर से फर्टिलाइज़र के लिए दी जाने वाली सब्सिडी को बढ़ाया गया है, इसे बढ़ाकर 22 हजार करोड़ से अधिक किया गया है।
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स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस को लेकर मंत्री ने बताया कि अब सोमवार, मंगलवार, गुरुवार और शुक्रवार को स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी। बुधवार को कैबिनेट की ब्रीफिंग की जाएगी और शनिवार, रविवार को प्रेस रिलीज़ जारी की जाएगी।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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