कोरोना महामारी के पिछले एक साल में दुनिया भर के लोगों ने कई महीने लंबे लॉकडाउन झेले हैं। लाखों-करोड़ों नौकरीपेशा लोगों को उनकी कंपनियों ने 'वर्क फ्रॉम होम' यानि घर से काम करने का विकल्प भी दिया। नतीजतन इनमें से ज्यादातर लोगों ने घर में ही रहकर नौकरी की। इसका एक असर ये भी हुआ कि चोरों को लोगों के घर में सेंध मारने का मौका नहीं मिला। जर्मनी को देखें तो यहां ऐतिहासिक रूप से चोरी की घटनाओं में कमी आई।
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जर्मनी के तमाम परिवार घरों में चोरी के समय होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए पहले से ही बीमा करवाते हैं। बीमा कंपनियों ने बताया है कि बीते एक साल में उनके पास घर में सेंध लगने के कारण बीमा के दावे सबसे कम दर्ज हुए हैं। जर्मन बीमा उद्योग संगठन जीडीवी ने बताया है कि जब से बीमा का रिकार्ड दर्ज किया जाना शुरु हुआ तबसे अब तक सबसे कम दावे पिछले साल ही आए थे।
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साल 2020 में जर्मनी में सेंधमारी के 85,000 मामलों के लिए लोगों ने दावे किए। जीडीवी ने पिछले साल की रिपोर्ट पेश करते हुए बताया यह संख्या एक साल पहले के मुकाबले 10,000 कम थे। जर्मनी में इसके आंकड़े दर्ज किए जाने की शुरुआत सन 1998 में हुई थी। जीडीवी के प्रमुख यॉर्ग आसमुसेन के कहा, "सेंधमारी की घटनाओं में कमी का सबसे बड़ा कारण लोगों का घर में पहले से कहीं ज्यादा समय बिताना है। कोरोना वायरस की महामारी के कारण ही ऐसा हुआ है।" उन्होंने कहा, "चोरों को अपने कारनामे के लिए ज्यादा मौका ही नहीं मिल पाया।"
बीमा संगठन ने बताया कि 2020 में उन्हें 23 करोड़ यूरो (करीब 27 करोड़ डॉलर) के दावे पेश किए गए। यह राशि इसके पीछे के साल के मुकाबले 7 करोड़ यूरो कम थी। व्यक्तिगत बीमा के औसत दावे भी करीब 10 फीसदी कम किए गए।
हालांकि एक सच यह भी है कि जर्मनी के सभी 16 राज्यों में साल दर साल बीमा के दावों में कमी का ट्रेंड बीते कई सालों से देखा गया। कोरोना वायरस महामारी के आने से पहले ही सेंधमार चोरी में लगातार थोड़ी थोड़ी गिरावट आने लगी थी। सन 2015 से ही जर्मनी के हर इलाके में ऐसी चोरियां कम होने लगी थीं। कई घरों और अपार्टमेंटों को सुरक्षित बनाने में अब पहले से कहीं ज्यादा निवेश किया जाने लगा है। यॉर्ग आसमुसेन का मानना है कि "वह निवेश असर दिखा रहा है।" उन्होंने बताया कि आधे की करीब सेंध की कोशिशें नाकाम रहीं क्योंकि चोर जल्दी से जल्दी घर के अंदर नहीं घुस सके।
इसके पहले सन 2008 से 2015 के बीच सेंधमार कर की जाने वाली चोरियों में लगातार बढ़ोत्तरी हुई थी और 2015 में एक साल में चोरी के बाद के बीमा दावे 167,136 पर पहुंच गए थे. यह पिछले साल के मुकाबले लगभग दोगुनी संख्या थी।
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